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 राज्य सभा में चीखती चिल्लाती  ईरानी जी

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सुसंस्कृति परिहार

राज्य सभा जैसे उच्च सदन में एक चूक के लिए कांग्रेस के अधीर रंजन को  महामहिम राष्ट्रपति का अपमान बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने जिस तरह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सांसद और प्रधानमंत्री जैसे पद को तिलांजलि देकर एक इतिहास रचने वाली सोनिया गांधी जी को माफी मांगने कहा।वह भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा उजागर करता है।जबकि प्रधानमंत्री मोदीजी ने जब अपने भाषण में बेटियों को पटाओ और लिखाओ कह दिया तब बेटियों के उस अपमान पर क्या मोदीजी ने माफी थी। यहां तो कम से कम अनभिज्ञता में कहे शब्द को स्वीकार किया गया और बताया भी गया कि उनकी ऐसी मंशा कतई नहीं थी जैसा समझा गया।

ये बात सच है कि जुबान फिसल जाती है लेकिन उसे सुधार लिया गया तब ये हंगामा और मंत्री महोदया की चीख चिल्लाहट क्यों?लगता है गोवा के आबकारी अधिकारियों द्वारा जो उनकी पोल खोली गई और उसे कांग्रेस ने एक मुद्दा बनाया है। उनके इस्तीफे की मांग की है वह उन्हें नागवार गुजरा है और उसको लेकर कांग्रेस के खिलाफ पूरी भाजपा एकजुट हो रही है।क्योंकि इस सरकार का जनता की समस्याओं के प्रति कोई जिम्मेदारी नज़र नहीं आती।ई डी द्वारा गड़े मुर्दे उखाड़ कर गांधी परिवार को जिस तरह परेशान किया जा रहा है इससे तो यही लगता है कि जब इस परिवार पर स्विस बैंकों में जमा धन का मामला सिद्ध नहीं कर पाए तो जबरन नेशनल हेराल्ड को उठा लाए।इस सरकार की अब तक जो फंसाने की चालें सरकार विरोधियों पर जारी है उससे लगता है कि 2024चुनाव से पहले गांधी परिवार को जेल भेजना चाहते हैं।यही वजह है कि कांग्रेस, सरकार विरोध में तेजी से सक्रिय हो गई है।मंहगाई पर पूरे देश में जिस तरह कांग्रेस को व्यापक समर्थन मिला।वह देख भाजपा भौंचक है। यहां तक कि मंहगाई पर आवाज उठाने वाले अन्य प्रतिपक्ष के साथियों का भी निलंबन किया गया है।जो इस सरकार की नीयत बताती है।

अजीब हालत में आज लोकतंत्र की स्थिति बनी हुई है जहां माननीय सांसदों को सदन से सिर्फ इसीलिए निलंबित किया गया कि वे आवश्यक वस्तुओं पर जी एस टी लगाने का डटकर विरोध कर रहे थे।इने गिने प्रतिपक्ष के सदस्य ही सदन में ना रहें तो इसे क्या कहेंगे।अभी तो कांग्रेस मुक्त भारत की बात होती थी किन्तु अब तो विपक्ष मुक्ति का ही अभियान शुरू हो गया है।क्या यह सदन की मूल भावना का अपमान नहीं है।चीखती मंत्राणी ईरानी जी को यह अपमान नज़र नहीं आता।ये जनहित की समस्याएं दिखाई नहीं देती।

काश यह चीख खंडवा में फांसी पर झूलती तीन बहनों के लिए होती।सोनी सोरी के लिए होती,सुधा रामचंद्रन के लिए होती जो आदिवासी समाज के लिए निरंतर संघर्षरत है। सोनिया गांधी से माफी मांगने वाली चीख किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। उनके कद तक पहुंचना दुष्कर काम है।उनकी गरिमा एक गंभीर और समझदार भारतीय महिला की है।आपकी चीख फ़िज़ूल है।जो सदन की गरिमा को आहत करती है। खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

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