अनु रॉय
पाकिस्तान से अपने चार बच्चों के साथ भारत आ कर हिंदू बन चुकी सीमा ग़ुलाम हैदर अली के लिए हर शख्स के पास अपनी थ्योरी है. किसी के लिए जासूस, किसी के लिए अय्याश, किसी के लिए बेवफ़ा बीवी, किसी के लिए काफ़िर, किसी के लिए ख़राब मां, और किसी के लिए प्यार में डूबी एक लड़की. आगे न जाने और क्या-क्या होंगी सीमा हैदर अली. वैसे भी औरतें तमाम उम्र किसी न किसी कसौटी पर परखीं जाती ही हैं. आइये आज देखते हैं उन सभी कसौटियों को जिन पर परखीं जा रही हैं सीमा हैदर अली-
जासूस:
पाकिस्तान से कोई भारत के तीन आधार कार्ड, चार-पांच मोबाइल सिम, एक-दो टूटे-फूटे फ़ोन के साथ भारत नेपाल के रास्ते हो कर आये तो उसे बहू या दामाद नहीं माना जायेगा देश का. वो देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब होना चाहिए. ऐसे कैसे कोई बिना वीज़ा के भारत में आ कर रहने लग जाएगा और देश की मीडिया उसे स्टार बना देगी. जबकि अगर यही मामला पाकिस्तान में हो तो पाकिस्तानी आर्मी या पाकिस्तानी मीडिया उस शख़्स को स्टार नहीं बल्कि सरबजीत बना देंगे. एक औरत जो ज़हीनियत से बात करती है, हिंदी-अंग्रेज़ी सब बोल लेती हैं, कंप्यूटर चला लेती है, जिसका चाचा और भाई पाकिस्तानी आर्मी में काम करता हो, उसकी बातों पर कोई कैसे यक़ीन कर सकता है. जो बीमार बच्चों का वास्ता दे कर भारत में घुसी हो उसे जासूस नहीं तो क्या बहू मान लेंगे!
एक औरत जिसके चार बच्चे हों लेकिन जो उन चार बच्चों के होने के बाद भी, किसी और के प्यार के चक्कर में अपने शौहर को छोड़ दे उसे अय्याश नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे. जिसे पति, बसी-बसायी गृहस्थी, घर-बार से कहीं ज़्यादा अपने अरमानों की चिंता हो उसका चरित्र सही नहीं हो सकता. जो अपने पति को यूँ छोड़ कर घर से भाग जाए उसे अय्याश औरत नहीं तो क्या सती सावित्री कहेंगे!
काफ़िर/मूर्तिपरस्त:
एक सच्चे मुसलमान के लिए हराम है मूर्ति को पूजना, तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना, राम नाम का जाप करना. सीमा हैदर अली जो मुस्लिम से हिंदू हो चुकी हैं वो अब वही सब करने लगी हैं जिसकी मनाही इस्लाम में है. पाकिस्तान की फ़ेमिनिस्ट्स जो ख़ुद को महिलाओं की मसीहा कहती हैं वो सब सीमा हैदर के हिंदू हो जाने से नाराज़ हैं. उनके लिए भी एक औरत का यूँ अपनी मर्ज़ी से जीने का फ़ैसला लेना कायराना हरकत से ज़्यादा कुछ भी नहीं है.
बदचलन मां:
हर समाज के कुछ तय नियम क़ायदे होते हैं. उनमें से जो सबसे अहम् है वो है एक औरत का माँ बन जाने के बाद बच्चों के पीछे अपनी ज़िंदगी क़ुर्बान कर देना. अपनी तमाम कामनाओं को भूल कर बच्चे के लिए सोचना, उनके भविष्य को संवारना. अब सीमा जो अपनी पैतृक संपत्ति को बेच कर भारत आ गई हैं, वो भी एक शख़्स के लिए जो सही से कमा नहीं रहा है, जो अमीर नहीं है, जिसके पास बड़ा मकान भी नहीं है वो उन चार बच्चों को कैसा भविष्य देगा? उन बच्चों को शायद उनका बाप एक बेहतर ज़िंदगी देता क्योंकि वो दुबई में नौकरी कर रहा है लेकिन सीमा ने अपनी ख़ुशियों के सामने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना ज़रूरी नहीं समझा और वो सब कुछ छोड़ कर यूँ भारत आ गई क्या ये एक अच्छी मां होने की निशानी है?
प्रेमिका:
पबजी खेलते हुए किसे लगा होगा कि उनको उनका सोलमेट यूँ इस एप्प पर मिल जाएगा. हिंदुस्तानी सचिन या पाकिस्तानी सीमा ने भी ये नहीं सोचा रहा होगा लेकिन दिल को दिल की राह पता होती है. प्यार के आगे दुनिया की कौन सी दीवार टिकी है जो सीमा के आगे टिकती. दिल जब दिल को पुकारता है तो इंसान सिर्फ़ दिल की सुनता है, उसे दुनिया की रस्मों-रिवाज़, दुनियादारी की आवाज़ नहीं सुनाई देती. उसे सिर्फ़ महबूब का साथ चाहिए होता है. सीमा को भी धन-दौलत नहीं बल्कि सचिन का प्यार से भरा दिल चाहिए और जो उसे आख़िर मिल ही गया. सचिन के प्यार के रंग में वो कुछ रंगी कि मुस्लिम से हिंदू हो गई. अब वो ख़ुद को सचिन से अलग सोच भी नहीं पाती हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा भी है-
I am Sachin’s wife, not anyone else’s!
आपके लिए सीमा हैदर अली और क्या हैं, बताइए. क्या आपको भी लगता है औरतें चाहे पाकिस्तानी हों या हिंदुस्तानी अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले लेते ही उसकी ज़िंदगी उसकी नहीं हो कर, टीआरपी और चटखारेदार खबर हो जाती है!