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*यौनरोग सिफलिस : आंखें तक छिन जाती हैं, रहें सावधान*

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        ~ डॉ. गीता शर्मा 

    सिफलिस महिलाओं में होने वाला यौनरोग है जिसका मुलभूत कारण एक से अधिक लोगों को सेक्स के लिए अपना शरीर सौंपना है. महिलाएं समझती हैं की कंडोम प्रयुक्त हो गया तो वे सेफ़ हैं. मगर ऐसा नहीं है. कंडोम कोई रामबाण जैसा हथियार नहीं है.

ऐसी समस्याओं पर खुलकर बात करने में अब भी महिलाओं को हिचक महसूस होती है। इस तरह की अप्रोच समस्या को दिनों दिन गंभीर बनाने का काम करती है। डब्ल्यू एच ओ (WHO) के अनुसार, विश्वभर में प्रतिदिन तकरीबन 10 लाख से ज्यादा लोग यौन संचारित संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। सिफलिस (Syphilis) उन्हीं में से एक एसटीआई (STI) रोग है, जिसके बारे में बिना जांच के पता लगाना आसान नहीं है। 

*सिफलिस क्या है?*

ट्रेपोनेमा पैलिडम बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति से यौन संबध बनाने के कारण यौन संचारित संक्रमण फैलने लगते हैं, जो सिफलिस का कारण बनता है। सही समय पर उपचार न मिलने के कारण ये शरीर के कई ऑर्गन्स को डैमेज कर देता है। ये जीवाणु आमतौर पर योनि, गुदा या ओरल सेक्स के दौरान सिफलिस के घाव के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है।

    यह प्रसव के दौरान एक संक्रमित मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है। आमतौर पर 15 से लेकर 40 वर्ष की उम्र तक के महिला और पुरूषों में इस समस्या की चपेट में आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यौन संबधों के अलावा ये रोग गर्भावस्था में मां से शिशु को भी हो सकता है।

       सिफलिस के फैलने का मुख्य कारण दुराचारी यौन संबध हैं। संक्रमित साथी के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। शुरूआत में सिफलिस का एंटीबायोटिक दवाओं के साथ उचित तरीके से इलाज किया जा सकता है। अगर आपको सिफलिस है या आप एसटीआई से ग्रस्त हैं, तो उचित चिकित्सा लें। 

ये हैं सिफलिस के कुछ प्रमुख कारण :

   *1. एकाधिक से यौन संबध,:*

ऐसा सेक्स सिफलिस के फैलने का मुख्य कारण साबित होता है। क्या गारंटी है की जो आपसे सेक्स कर रहा है, वह निरोग है. कम से कम उसे कोई यौनरोग नहीं है. पति के बारे में तो आपको सब पता होता है.

   जिस तीस व्यक्ति से यौन संबध बनाने से बचें. बिना कंडोम तो हरगिज नहीं. वीर्य का स्पर्श अपने शरीर के बाहर भीतर कहीं नहीं होने दें.

*2. सेक्स टॉयज शेयरिंग :*

    सेक्स टॉयज़ की शेयरिंग आपकी मुश्किलें बढ़ा सकती है। खुद को संक्रमण से मुक्त रखने के लिए इस्तेमाल किए हुए टॉयज़ को प्रयोग करने से बचें।

   अगर आप प्रयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें अच्छी तरह से क्लीन करें।

*3. अतिरिक्त पार्टनर की पऱख :*

    संक्रमण से खुद को बचाव करने के लिए किसी भी अतिरिक्त पार्टनर से सेक्स करने से पहले उससे रोगों के बारे में बात करें।

    संभव हो तो उसकी मेडिकल हिस्ट्री जाने. इससे आप यौन संचारित संक्रमण से अपना बचाव कर सकती हैं।

सिफलिस तीन स्टेज में फैलता है और उनमें अलग अलग लक्षण नज़र आते हैं :

    *पहली स्टेज :*

    सबसे पहले हाथ, तलवों, योनि के बाहर, मुंह, गले या जीभ समेत शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द रहित दाना बनने लगता है।

    ये दाना कुछ दिनों में ठीक होकर दोबारा फिर से उभरने लगता है। इनमें से रक्त स्त्राव और दर्द की भी संभावना धीरे धीरे बढ़ने लगती है।

*दूसरी स्टेज :*

शरीर में अक्सर बुखार और थकान रहने लगती है। इसके अलावा हर पल आलस्य महसूस होता है।

   आंखों में दर्द, जलन व पानी निकलने की समस्या बनी रहती है और भूख में भी कमी नज़र आती है।

   मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों में भी दर्द की शिकायत बनी रहती है।

    *लेंटेट सिफलिस) :*

    इसे सिफलिस की हिडन स्टेज भी कहा जाता है। इस चरण के दौरान बीमारी पूरी तरह से गुप्त रहती है।

     कोई दाने या निशान व दर्द नहीं होती है। बैक्टीरिया बॉडी में ही मौजूद रहता है। सालों तक सिफलिस लेंटेंट स्टेज पर बना रहता है।

 *तीसरी यानि आखिरी स्टेज :*

     वे लोग जिन्हें देर से इस समस्या की जानकारी मिलती है, उनके शरीर पर दाने उभर आते हैं। अब वो दाने खुले घाव में बदल जाते हैं, जिसमें तीव्र दर्द रहता है।

     इलाज न करवाने पर समस्या बढ़ सकती है। कुछ लोगों की आंखों की रोशनी छिन जाती है।

अधिकतर लोग मानसिक समस्याओं से घिरे रहते हैं और मेमोरी लॉस उनकी समस्या का कारण बनता है।

सुनने में भी समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में हृदय संबधी समस्याओं का खतरा बना रहता है।

*इलाज की बात :*

    एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से इस बीमारी का इलाज संभव है।

     समय पर इस बीमरी की जांच और उपचार इसके जोखिम को कम कर सकती है।

   उचित उपचार न मिलने के चलते सिफलिस के कारण विकलांगता और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना भी रहती है।

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