तोमर, पटेल, और विजयवर्गीय के मूवमेंट से प्रदेश में सरगर्मी तेज, आज से 2 दिन के लिए सीएम दिल्ली रवाना_
_*”माफ़ करो महाराज” के निरंतर मिल रहे संकेत का ये क्या “महाराज स्टाइल” का पलटवार था जो गोपाल भार्गव ऒर गोविंद राजपूत के बेबाक बयान के रूप में सामने आया? निशाने पर रहे प्रदेश के वे मंत्री, जो मुख्यमंत्री की “नाक के बाल” कहे जाते हैं। तो क्या ये सीधा सीधा सीएम पर हमला माना जाए कि वे किस कदर राज्य में मनमानी कर रहे हैं? या दिल्ली दरबार को ये बताना कि सीएम ही सब झगड़े की जड़ हैं। भार्गव और सिंधिया की ये जुगलबंदी क्या गुल खिलाने जा रही हैं? इस आशंका मात्र से शिव सरकार फ़िलहाल सांसत में हैं। ताजा डेमेज कंट्रोल तो कर लिया गया है लेकिन ” ज्योति-गोपाल” तालमेल भाजपाई गलियारों में जबरदस्त चर्चा और जिज्ञासा का विषय हो चला हैं। इस उठापठक ने एक बार फिर प्रदेश में संभावित बदलाव की बातों को बल दे दिया है* ।_
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*नितिनमोहन शर्मा।*
..क्या यह महाराज का पलटवार हैं? जिसने एक ही झटके में “सरकार” को ज़मीन दिखा दी। चुपचाप स्वयं और समर्थक मंत्री-विधायक पर हो रहे हमले को देख रहे महाराज में क्या दिल्ली दरबार तक ये सन्देश भेज दिया कि ” सरकार ” स्वयम अतिवादी हैं और प्रदेश में चल रहे सारे झगड़े की जड़ हैं? “सरकार” के लाड़ले मंत्री जैसे ही निशाने पर आये, समूची ” शिव सत्ता ” सांसत में आ गई। नही तो कोई कारण नही बनता कि दिल्ली भोपाल के बीच आधी रात तक चली दौड़भाग का और दो दो केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय महासचिव को ताबड़तोड़ स्पेशल प्लेन से भोपाल आने का।
इस दौड़भाग ने प्रदेश में सत्ता और संगठन में फेरबदल की कयासों को नए सिरे से जन्म दे दिया। बदलाव की आहट पहले संगठन स्तर पर आई। बाद में इसमे सत्ता को भी शामिल कर लिया गया। इसी उठापठक में “सरकार” का आज से दो दिनी दिल्ली दौरा भी प्रदेश के संभावित परिवर्तन से जोड़ दिया गया हैं। हालांकि सरकार का राजधानी दौरा नीति आयोग की बैठक और नए संसद भवन के लोकार्पण से जुड़ा है लेकिन इसे प्रदेश में सरकार, संगठन और मंत्रीमंडल के संभावित बदलाव के विचार विमर्श से भी जोड़ा जा रहा हैं।
*भाजपा के कद्दावर नेता और ” सरकार ” की प्लानिंग के तहत लम्बे समय से हाशिये पर चल रहे गोपाल भार्गव और महाराज के खासमखास मंत्री गोविंद राजपूत का एक साथ आने को भाजपाई राजनीति के जानकारों ने एक बड़ी घटना करार दिया हैं। इस जुगलबंदी ने ” शिव सरकार” को घबरा दिया। जिस तरह दोनो नेताओ ने सरकार के प्रिय मंत्री पर जोरदार हमला बोला, ” सरकार ” को सूझ नही पड़ी और वो ” सम्पट ” भूल गई। सरकार के प्रिय मंत्री सिंहस्थ से सबके निशाने पर थे लेकिन सरकार के कारण अब तक किसी ने उनके खिलाफ़ मोर्चा तो दूर, दो शब्द भी नही खर्च किये। ऐसे में एकदम से मंत्री पर हमले ने सरकार को सांसत में डाल दिया। ऐसे में “सरकार” के सदा के संकट मोचक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ही सामने आए। लेकिन इस बार इसमे प्रदेश से जुड़े एक अन्य कद्दावर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी शामिल हुए। इन दो नेताओ का “सरकार” के स्थाई संकट मोचक तोमर के साथ जुड़ना ही ये बता रहा है “सरकार” के लिए अब दिल्ली दरबार मे पहले जैसा ” फीलगुड ” नही हैं।*
आधी रात तक चले डेमेज कंट्रोल अभियान ने सुबह तक सफलता पा ली। मुखर भार्गव व राजपूत के स्वर में नरमी और पार्टी निष्ठा झरने लगी लेकिन इस सब कवायद ने प्रदेश में पहले से चल रही संभावित बदलाव की बातों को बल दे दिया। हालांकि असली मुद्दा सिंधिया-भार्गव की जुगलबंदी का है जिस पर अब तक पार नही पाया जा सका है और न ये थाह लग पाई है कि ये कैसे, कब और क्यो हो गई?
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*पटेल-विजयवर्गीय या फिर वो ही तोमर? या फ्रेश नाम?*
भार्गव-राजपूत की मुखरता और उससे निपटने के दिल्ली दरबार के भागीरथी प्रयासों ने एक बार फिर प्रदेश भाजपा में बदलाव की बातों को हवा दे दी। सोशल मीडिया पर तेजी से मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की रवानगी के सन्देश दौड़ पड़े। *नए अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम सामने आने लगा। पटेल के एक ट्वीट ने रहस्य को और गहरा दिया जिसमें वे विजयवर्गीय और तोमर के साथ साथ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का भी शुक्रिया अदा कर रहे। हालांकि ये रहस्य ही रह गया कि पटेल का ट्वीट किस संदर्भ में था लेकिन कयासों का बाजार सरगर्म हो गया। हालांकि ये कयास से ज्यादा कुछ साबित नही हुआ कि क्या वाकई दिल्ली, प्रदेश में बदलाव का मन बना चुकी है? अगर ऐसा है तो क्या संगठन के शीर्ष पर पटेल-विजयवर्गीय में से कोई एक आ रहा है या वो ही तोमर फिर सामने किये जायेंगे, जो ऐसे मौकों पर सर्वमान्य नेता के रूप में सामने आते हैं। इसकी संभावना भुबन रही है कि आलाकमान कोई फ्रेश नाम सामने कर दे।*
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*सीएम को स्थानीय संघ का साथ..!!*
सीएम दो दिनी दिल्ली दौरे पर फिर बेफ़िक्री के साथ जा रहे हैं। हालांकि वे इस दौरान पार्टी आलाकमान से भी मिलेंगे और प्रदेश में चल रही उठापटक से भी अवगत करायेंगे कि असली बात क्या है? मंत्रिमंडल में विस्तार या आमूलचूल परिवर्तन पर भी बात हो सकती हैं। सूत्रों *की मानो तो सीएम को स्थानीय आरएसएस का साथ मिला हुआ हैं। इसलिए वे बेफिक्र है कि अगर बदलाव हुआ भी तो संगठन स्तर पर होगा। सत्ता अक्षुण्ण रहेगी।*