कभी एक फिल्म, एक कैरेक्टर और एक ही डायलॉग वो पहचान दिला देता है, जिसके लिए कलाकार जिंदगी भर मेहनत करता है। कुछ यही हुआ था ‘शोले’ फिल्म के ‘सांभा’ के साथ भी। फिल्म में यह किरदार निभाने वाले मैक मोहन अमर हो गये
माखीजानी को वे मैक जेन कॉलने लगे। बस फिर हम भी बने मोहन माखीजानी से मैक जानी। फिर हमने नाम के मैक मोहन रखा। इस प्रकार सेना के गैजेट का बेटा बैड मैन (फिल्मों में) बन गया। अभिनय के कलाकारों मैक मोहन ने फिल्माया स्टूडियो में सुजुकी से सीखी। वे तब संजीव कुमार के बैक में थे। उन्होंने अपनी पहली फिल्म में इंद्राणी मुखर्जी के देवर का रोल किया था। चेतन आनंद के साथ उन्होंने आखिरी खत के दौरान सह-निर्देशक का काम भी देखा था। मैक मोहन क्रिकेट के स्टेट लेवल खेल प्रमुख थे और बहुत अच्छे क्रिकेटर देखे जाते थे। उनकी पढ़ाई लिखाई लखनऊ और मुंबई में हुई। मैक मोहन की पसंदीदा रोल फिल्म आया सावन झूम के है। इस फिल्म में उन्होंने मैड लवर्स का रोल निभाया था जो कि एक दोस्त के धोखा देने के बाद सुध-बुध को खो देता है। इस रोल के किरदार से पहले मैक मोहन 2 दिन तक पागलखाने में रहे थे। मैक मोहन कभी लीडिंग विलेन को मलाल नहीं बना पाए
उन्होंने हॉलीवुड की कुछ फिल्में भी कीं। मशहूर निर्देशक केविन की फिल्म मिस्ट्री ऑफ डार्क फॉरेस्ट में मैक मोहन थे। मैक मोहन की पत्नी डॉक्टर है। उनके पीछे 2 लड़कियाँ और 1 सुपुत्र चले गये। मैक मोहन की प्रसिद्ध फ़िल्में शोले, जंजीर, फ़ोर्स्ड वॉल, मेमसाब, सुहाना सफ़र, विक्रेता, सलाखें, प्रेम रोग, डॉन, ख़ून भोजन, हेरा फेरी, जानी दुश्मन, काला पत्थर, कर्ज़, टक्कर, कुर्बानी, अलीबाबा और चालीस चोर , लक बाई चांस आदि शामिल है।
10 मई 2011 को 71 साल के अभिनेता मैकमोहन का कैंसर से निधन हो गया। ‘शोले’ में साभा का रोल कर मशहूर मैक मोहन ने बिग बी के साथ, ब्लैक स्टोन, डॉन, फोर्स्ड जैसी फिल्में कीं। बिग बी ने मैक मोहन के बारे में लिखा है कि छोटे रोल करने के बावजूद उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई। वे लंबे समय तक कैंसर से जूझ रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
46 लंबे साल में उन्होंने लगभग दो सौ फिल्मों में काम किया। शोले, डॉन ,शान, मजबूर,खून, भोजन, सत्ते पे सत्ता, रफू चक्कर, कर्ज उनकी प्रमुख फिल्मों में गिनी हैं। ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई। कई भारतीय समुद्र तटों में बनने वाली फिल्मों में भी काम किया। ‘शोले’ में साभा में निभाए गए किरदारों ने उन्हें अमर कर दिया। इस फिल्म में गब्बर बने अमजद खान के स्मारक हैं ‘अरे ओ सांभा, कितना इनाम रखे सरकार हम पर?’ और साभा बने मैकमोहन जवाब देते हैं ‘पूरे हज़ारों 50 हज़ार।’ ये डायलॉग आज भी मशहूर हैं। दोस्त हैं जब राकेश सिप्पी ने उन्हें ‘शोले’ में सांभा की भूमिका का ऑफर दिया था तो वे सोच में पड़ गए थे क्योंकि इसमें उनकी कोई खास बातचीत नहीं थी। सिप्पी ने कहा कि यह भूमिका स्टार पॉपुलर कर देवी और उनकी बात सही है।