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 वैक्सीन के साइड इफेक्ट:50 वर्ष से कम आयु के 5 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हार्ट अटैक से

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नई दिल्ली । भारत में 50 वर्ष से कम आयु के 5 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। शुक्रवार को इसकी जानकारी राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने दी। उन्होंने कहा कि फाइजर की वैक्सीन जो अमेरिका में कई लोगों को लगाई गई थी, जब उन पर दबाव आया, तब अब जाकर उन्होंने बताया है कि इस वैक्सीन के क्या-क्या साइड इफेक्ट हैं। उन्होंने कहा कि शायद हमें इस पर भी आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। कोविड के गंभीर स्वरूप में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जो दवाइयां बताई, क्या उसमें कहीं कोई कमी रह गई। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है। इस पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विषय पर गाइडलाइंस दिए हैं लेकिन वह इतनी पुख्ता नहीं है कि इस समस्या का समाधान दे सकें।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में इसतरह के लोग हैं, जिन्हें हृदय रोग की कोई समस्या नहीं थी, लेकिन अचानक हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि भारत में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस विषय पर थोड़ी और ज्यादा रिसर्च कर डाटा एकत्र करना चाहिए। इसके जरिए यह देखा जाना चाहिए कि कोरोना के उपरांत क्या प्रभाव हो रहे हैं। इसके साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि जो दवाई व जो वैक्सीन है, उस लेकर हमें रिसर्च, फ्रेमवर्क बनाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को फ्रेमवर्क बनाना होगा कि 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में हार्ट अटैक को कैसे काबू में ला सकते है। उन्होंने कहा कि लैंसेट (रिसर्च पत्रिका) की स्टडी बताती है कि भारत में 5 से 6 लाख लोगों की हार्ट अटैक से मृत्यु हुई है और यह सभी 50 वर्ष से कम आयु के थे। यह सिर्फ उनके परिवारों के लिए ही बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी दुख का विषय है। युवाओं की हार्ट अटैक से मृत्यु होना चिंता का कारण है। चतुर्वेदी के मुताबिक कई इसतरह के मामले सामने आए हैं, जहां क्रिकेट खेलते खेलते हुए खिलाड़ी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।

अचानक क्यों बढ़ गए हार्ट अटैक के मामले

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक नौ साल के बच्चे की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई। बच्चे का नाम मनीष था। स्कूल से घर लौटने के लिए वह जैसे ही बस में बैठा, उसे घबराहट होने लगी। ड्राइवर ने इसकी जानकारी प्रिंसिपल को दी, तो उसे बस से उतार लिया गया। स्कूल के शिक्षक उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। 

इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जब अचानक लोगों की मौत हो जा रही है। इनमें से ज्यादातर मौतें दिल का दौरा पड़ने से हुईं। कई मामलों में डांस करते हुए, खेलते हुए, सड़क पर चलते हुए या फिर बैठै हुए भी अचानक लोग हार्ट अटैक का शिकार हो जा रहे हैं। जब तक उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है, तब तक उनकी मौत हो चुकी होती है। 

ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कोरोनाकाल के बाद इस तरह के मामलों में क्यों तेजी आई है? हर उम्र के लोग क्यों अब हार्ट फ्लोयर का शिकार होने लगे हैं?  इन मौतों का कोरोना से क्या संबंध है? इससे कैसे बच सकते हैं और इसके क्या लक्षण हैं? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरती लाल चंदानी से बात की। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा? 

क्या कोरोना के चलते हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा हुआ? 

1. कोरोना के खौफ ने लोगों की तकलीफें बढ़ाईं : कोरोना ने हर किसी के मन में एक खौफ पैदा कर दिया है। कोरोना से अभी तक लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। कोरोना के दौरान लोगों को अलग-अलग तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ा। किसी को सैकड़ों मील पैदल चलना पड़ा, किसी के माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों की मौत हो गई, किसी के दोस्त ने दम तोड़ दिया, किसी की नौकरी चली गई।

ऐसे ही लोगों ने कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। ये दर्द और डर अब तक लोगों के जेहन में है। इसका असर लोगों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है। लोग एनजाइटी का शिकार हो रहे हैं। हर बात पर गुस्सा करने लगे हैं। लोगों का ब्लड प्रेशर हाई होने लगा है। लोग ज्यादा तनाव लेने लगे हैं। नींद नहीं आती।

इन बदलावों ने लोगों के शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा करनी शुरू कर दी हैं। इसके चलते ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है। धीरे-धीरे ये बीमारियां दिल को काफी कमजोर कर देती हैं और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आ जाती है। इसके चलते सडेन डेथ के केस बढ़ गए हैं। 

4. युवाओं में नशे, सप्लीमेंट्स की लत ने बढ़ाया खतरा : कोरोना के बाद युवाओं में बॉडी बनाने को लेकर ज्यादा ही जोश देखने को मिला है। इसके लिए युवा तमाम तरह के सप्लीमेंट्स का यूज करने लगे हैं। ये बहुत ही खतरनाक होते हैं। इससे शरीर के कई ऑर्गन फेल हो सकते हैं। इसके अलावा शराब, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थ भी लोगों के दिल को कमजोर बनाते हैं। इसके अलावा अधिक एक्सरसाइज भी करना खतरनाक है। इससे दिल की गति तेज हो जाती है तो ब्लॉकेज कर सकती है। इसके अलावा नौकरी व अन्य कारणों से युवा स्ट्रेस भी बहुत ज्यादा लेने लगे हैं। रात-रात तक काम करते हैं। नींद कम लेते हैं। स्ट्रेस का सीधा असर दिल पर पड़ता है। यही कारण है कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं। 

5. कोरोना ने इम्यून सिस्टम पर प्रहार किया : कोरोना ने लोगों के इम्यून सिस्टम पर काफी प्रहार किया है। इसके चलते लोग अंदर से कमजोर हो गए हैं। ऊपर से वह फिट दिखते हैं, लेकिन अंदर बीमारियों ने घर कर रखा है। यही बीमारियां जब ज्यादा बढ़ जाती हैं तो अचानक हार्ट फेल्योर का सामना करना पड़ता है। 

6. बच्चों को भी हार्ट अटैक का खतरा है? : आमतौर पर बच्चों को हार्ट अटैक की समस्या तभी आती है, जब उसे पहले से कोई दिक्कत हो। शरीर के अंदर एबनॉर्मलटी सडेन डेथ का बड़ा कारण है। इसमें पैदायशी बच्चों को अंदर कुछ न कुछ बीमारी होती है। ब्रेन में नसों का गुच्छा होता है। ये अचानक से फट जाता है। बच्चों में ये समस्या कॉमन है। ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन सिस्ट के चलते भी हार्ट अटैक आ सकता है। ऐसी परिस्थिति में सिरदर्द या बुखार आने के 24 घंटे के अंदर मौत हो सकती है। 

क्या कोरोना वैक्सीन का भी कोई असर है? 
नहीं, भारत में अब तक वैक्सीन से कोई डेथ रिपोर्टेड नहीं है। ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। भारत में लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई है, वो इम्युनिटी बूस्टर है। अगर इसमें मौत होना होता, तो तुरंत हो सकता था। वैक्सीन लगवाने के कई दिन बाद मौत होने की संभावना बिल्कुल नहीं है। 

परिवार में कोई दिल का मरीज तो क्या करें?
हार्टअटैक के कई मामले आनुवांशिक कारणों से भी होते हैं। ऐसे में अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को हार्ट की समस्या है तो आपको भी सचेत रहने की जरूरत है। हर साल कम से कम एक बार कार्डियक स्क्रीनिंग से जुड़े टेस्ट करवावएं। इसमें ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्ट, कार्डियक सीटी, ट्राईग्लिसराइड, ब्लड शुगर टेस्ट, होमोसिस्टीन टेस्ट करवाएं। 

इन लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें
डॉ. आरती लाल चंदानी कहती हैं कि हार्ट अटैक आने से पहले ही लोगों के अंदर लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। 

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