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खामोश! सरकार को सवाल करना पसंद नहीं

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जेके सिंह

विश्व भारती ने अमर्त्य सेन के खिलाफ शांतिनिकेतन में 13 डेसिमल जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया है। शुक्र है कि उनके खिलाफ घुसपैठिया होने का आरोप नहीं लगा है। दरअसल सरकार को खामोशी अच्छी लगती है और सवाल करना पसंद नहीं है। दूसरी तरफ अमर्त्य सेन हैं कि 2014 से ही लगातार सवाल पूछते आ रहे हैं। Argumentative Indian किताब लिख कर तो उन्होंने हद ही कर दी।

सरकार अमर्त्य सेन के खिलाफ यूएपीए तो ला नहीं सकती, इसलिए विश्व भारती विश्वविद्यालय के वीसी ने उनके नाम के साथ अवैध कब्जेदार जोड़कर सरकार का काम आसान करने की कोशिश की है। सरकार को मुखर होना नापसंद है, इसीलिए उन्होंने जेएनयू के छात्र-छात्राओं को टुकड़े-टुकड़े गैंग का तमगा दिया है। जादवपुर विश्वविद्यालय उन्हें नापसंद है, क्योंकि यह इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हैं।

यह आजादी की बात करते हैं और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का घेराव करते हैं। भाजपा की सरकारों को आजादी शब्द से ही चिढ़ हो गई है। मसलन अयोध्या के साकेत कॉलेज के छात्रों ने यूनियन का चुनाव कराने की मांग करते हुए आजादी का नारा लगाया तो छह छात्रों के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा कायम करा दिया गया।

विश्व भारती में भाजपा सांसद स्वप्न दासगुप्ता के खिलाफ छात्र-छात्राओं ने नारेबाजी की थी, इसीलिए जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विश्व भारती में आए तो दो वामपंथी छात्र नेताओं को सुबह से ही घर में नजरबंद कर दिया गया।

दरअसल अमर्त्य सेन नरेंद्र मोदी को हमेशा निशाने पर लेते रहे हैं। गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए अमर्त्य सेन ने नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना की थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, तब अमर्त्य सेन ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री का यह फैसला देश की अर्थनीति को गर्त में ले जाएगा। जीएसटी को अमर्त्य सेन ने हड़बड़ी में लिया गया एक गलत फैसला बताया था।

कोविड, लॉकडाउन और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को लेकर भी अमर्त्य सेन ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। लिहाजा 13 डिसमिल जमीन के लिए अवैध कब्जेदारों की सूची में अमर्त्य सेन का नाम डालना उनकी आवाज को दबाने की एक कोशिश है। अमर्त्य सेन ने इससे इनकार करते हुए कुलपति के केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने की बात कही है।

शांति निकेतन में अमर्त्य सेन का एक मकान है, जिसे प्रतिची नाम दिया गया है। अमर्त्य सेन यहीं पैदा हुए थे और उनके पिता ने इस मकान को उस समय बनवाया था, जब रवींद्र नाथ टैगोर जिंदा थे। विश्व भारती के साथ अमर्त्य सेन का पारिवारिक रिश्ता कैसा था, इसे बताने के लिए यह तथ्य ही काफी है। रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई द्विजेंद्र नाथ टैगोर ने विश्व भारती में एक संस्था बनाई थी, जिसे अलापिनी महिला समिति नाम दिया गया था। अमर्त्य सेन की मां अमिता सेन इस समिति की सक्रिय सदस्य थीं। क्या इसके बाद भी अमर्त्य सेन और विश्व भारती के बीच के संबंध के बारे में कुछ बताना बाकी रह जाता है।

केंद्र सरकार को विश्व भारती से कितना प्रेम है, इसका एक और नमूना पेश है। विश्व भारती विश्वविद्यालय के वीसी विद्युत चक्रवर्ती ने इस समिति के गेट पर ताला जड़ दिया है। यहां याद दिला दें कि विश्व भारती विश्वविद्यालय पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। दरअसल अमित शाह रवींद्र संगीत से प्रेम और भाजपा नेताओं की रवींद्र नाथ टैगोर के प्रति श्रद्धा एक ढोंग है। भाजपा के आईटी सेल ने एक ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था कि रवींद्र नाथ टैगोर शांति निकेतन में पैदा हुए थे।

संस्कृति और इतिहास थोड़ा सा भी सरोकार रखने वाले लोगों को पता है कि रवींद्र नाथ टैगोर का जन्म कोलकाता की जोड़ासांको में हुआ था। दरअसल विधानसभा चुनाव में 200 का आंकड़ा पाने के लिए रवींद्र नाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और रामकृष्ण परमहंस से प्रेम जताना उनकी मजबूरी है। अब यह बात दीगर है कि उनकी करनी में इसकी झलक नहीं मिलती है।

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