डॉ. नेहा, नई दिल्ली
“लोगों को दिखाने के लिए मुस्कराना, जोक्स सुनकर हँसना, नशा करके अट्टहास करना या देखादेखी खीस निपोरना खुशी नहीं है. खुशी संतुष्टिजनित है और खुशी अंतस की अवस्था है, लाचारी में या पाखंड प्रदर्शन के लिए किया जाने वाला समझौता नहीं.”
~ डॉ. विकास मानव
अधिकतर तनाव से घिरे लोग चुपचाप, अकेले और गुमसुम रहते हैं। वे खुद को अन्य लोगों से आइसोलेट करके एकांत में रहना पसंद करते हैं। मानो हंसना और मुस्कुराना पूरी तरह से भूल ही जाते हैं। मगर हम बात करेंगे, एक ऐसी समस्या की जिसका नाम है स्माइलिंग डिप्रेशन।
इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति उदास और निराश होने की जगह हर पल डिप्रेशन में भी मुस्कुराता रहता है। यह पाखंड और मानसिक रोग भी, जो व्यक्ति को खाता रहता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 365 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं। वहीं स्माइलिंग डिप्रेशन वाले लोगों में भी कई प्रकार के संकेत मिलते हैं। ऐसे लोग अकेले रहकर गहरा दुख अनुभव करते हैं, लो सेल्फ इस्टीम और दिनचर्या में बदलाव का सामना करने लगते हैं।
*स्माइलिंग डिप्रेशन किसे कहते हैं?*
जीवन में दुखों और तकलीफों के बावजूद अन्य लोगों के समक्ष अपनी कंडीशन को मास्किंग के ज़रिए छुपाना स्माइलिंग डिप्रेशन कहलाता है। इस तरह की स्थिति को वॉकिंग व हाई फंक्शनिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता है। वे लोग जो तनाव के बावजूद भी अपनी मानसिक स्थिति को अन्य लोगों से छुपाने का प्रयास करते हैं, उनमें सीवियर डिप्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है।
ऐसे लोगों को दूसरों से बीत करके अपनी समस्या को अवश्य बताना चाहिए। साथ ही जैसा महसूस करें, उन्हें वैसे ही व्यवहार करना चाहिए।
ये हैं स्माइलिंग डिप्रेशन के संकेत :
*1. चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखना :*
जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव से परेशान होकर ऐसे लोग निराश होने की जगह चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखते हैं। अन्य लोगों के समक्ष दुख जाहिर न कर पाने के कारण स्माइलिंग डिप्रेशन (smiling depression) का सामना करना पड़ता है।
*2. एपिटाइट में बदलाव :*
गहरे दुख और तनाव में रहने से ऐसे लोगों की इटिंग हेबिट्स में बदलाव नज़र आने लगता है। कुछ लोग जहां ओवरइहटंग करने लगते हैं, तो कुछ खाना पीना छोड़ देते हैं। इससे वज़न में बदलाव आने लगता है, जो अन्य समस्याओं का कारण साबित होता है।
*3. स्लीप पैटर्न में अंतर :*
अधिकतर ऐसे लोगों को नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। वे रातभर करवट बदलते रहते हैं, जिससे नींद की गुणवत्ता में कमी आने लगती है। ऐसे लोग रातभर जागते हैं और दिन में सो जाते हैं। स्लीप पैटर्न बदलने लगता है।
*4. किसी गतिविधि में हिस्सा न लेना :*
आत्म विश्वास की भावना में कमी आने के चलते ऐसे लोग अन्य गतिविधियों से दूर रहते हैं। चेहरे से खुश दिखने वाले ऐसे लोग खुलकर अपने जज्बातों का इज़हार नहीं कर पाते हैं। वे अपनी पर्सनल लाइफ को दूसरे के सामने जाहिर नहीं करने के लिए हर पल खुश दिखते हैं।
*5. होपलेस महसूस करना :*
तनाव के कारण गिल्ट की भावना महसूस करते हैं और अपनी वैल्यू को समझ नहीं पाते हैं। अन्य लोगों की तुलना में खुद को कमज़ोर समझने लगते हैं और थकान का भी अनुभव करते हैं।
अब जानिए उन कारणों को जिनके चलते लोग तनाव में और भीतर से रोते हुए भी चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखते हैं :
*1. दूसरों पर बोझ बनने का डर :*
इस स्थिति में व्यक्ति तनाव और गिल्ट दोनों चीजें साथ लेकर चलता है। ऐसे लोग अपनी मुश्किलों और संघर्षों में अन्य लोगों को शामिल नहीं करना चाहते हैं। वे दूसरों के सामने हर पल मुस्कुराते रहते हैं और अपने दुख व दर्द को खुद तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
*2. एंबैरेसमेंट का खतरा :*
कुछ लोग तनाव को कमजोरी का संकेत मानते है। वे अपने चेहरे पर हंसी का मुखौटा लगाकर खुश होने का प्रयास करते हैं। एंबैरेसमेंट के डर के चलते वे किसी के सामने अपनी भावनाओं का इज़हार नहीं कर पाते हैं ताकि अन्य लोग उसकी परेशानी को न जान पाएं।
*3. खुद को मज़बूत साबित करना :*
दूसरों के सामने खुद को मज़बूत दिखाने के लिए अक्सर लोग दुख और तकलीफ में भी हंसते मुस्कुराते रहते हैं। सबसे मिलकर बातचीत करना, हंसना और आउटिंग पर जाना उन्हें पसंद आता है। वे सोशल सर्कल में रहना पसंद करते है। मगर मन ही मन दुखी रहते हैं।
*समस्या से बाहर निकलने का उपाय :*
1. समस्या को पहचानें :
इस बात को जानने का प्रयास करें कि परेशानी का कारण क्या है। जीवन में कई रिलेशनशिप प्रॉबल्म या कार्यस्थल पर कोई फेलियर परेशानी का कारण बनने लगता है। समस्या को पहचानने के बाद उससे बाहर निकलने के लिए डॉक्टरी जांच करवाएं, ताकि समस्या को समय पर दूर किया जा सके।
*2. दोस्तों से बातचीत करें :*
कोई ऐसा दोस्त जो बेहद करीबी हो, उससे अपने दिल की बात करें और समस्या से बाहर निकलने का प्रयास करें। बातचीत करने से समस्या को दूर करने में मदद मिलती है और तनाव भी कम होने लगता है। इसके अलावा अपने पेरेंटस से भी कोई भी परेशानी को डिस्कस किया जा सकता है।
*3. सोशल मीडिया से दूर रहें :*
लोगों पर दिनों दिन बढ़ रहे सोशल मीडिया के प्रभाव के चलते वे अपने दुख को महसूस नहीं करना चाहते हैं बल्कि उससे भागने लगते हैं। वे समस्या को सुलझाने की जगह उससे भागने लगते हैं और सोशल मीडिया पर अधिक समय व्यतीत करते हैं। स्माइलिंग डिप्रेशन को दूर करने के लिए सच्चाई को अपनाएं।
*4. प्राणायाम, योग, ध्यान करें :*
प्राणायाम प्राणों का व्यायाम है. प्राण है ऑक्सीजन. प्राणायाम से ऑक्सीजन शरीर के हर हिस्से मे पहुंचता है. टॉक्सिस बाहर निकलता है.
योग आपको तन मन की जकड़न से मुक्त करता है. लचिलापन बढ़ाता है. रक्तप्रवाह ठीक रहता है.
ध्यान तो भगवान तक पहुंचा देता है. आप खुद से मिलते हैं, खुद का अनुभव करतें हैं. खुद को जीना सीख जाते हैं. अपनी अस्मिता की पहचान हो जाने से समस्याएं समाधान मे बदलने लगती हैं. किसी दक्ष प्रशिक्षक से सीख़कर करें. यह ऑडिओ, वीडियो या सिखाने वाले व्यापारी लोगों का सब्जेक्ट नहीं है.
*5. हमसे मिलें :*
आंतरिक पीड़ा, भीतरी रुदन का मूल कारण प्रेम नहीं मिलना है. जो इंसान आपको प्रेम करता वह आपको चाहता है, आपसे कुछ नहीं चाहता. आपकी खुशी ही उसके लिये मायने रखती है, आपसे अपनी इच्छापूर्ति मायने नहीं रखती.
दाम्पत्य जीवन मे प्यार और स्त्री के लिए सेक्सुअल सटिस्फैक्शन बहुत जरूरी होता है. अपने पार्टनर को प्रेम और सेक्स दोनों स्तरों पर अपने योग्य पाने के लिए उसके साथ हमसे मिलें. ध्यानिष्ठ, मनस्विद और डिवाइन आर्गेज्म क्रिएटर डॉ. विकास मानवश्री दोनों की अलग- अलग कॉऊंसिलिंग करेंगे, मार्गदर्शन करेंगे. फिर दोनों को एक साथ बिठाकर सम्बोधित करेंगे. जरूरी होने पर ट्रीटमेंट भी देंगे. आपसे कुछ लिया नहीं जायेगा.
पार्टनर के रेडी नहीं होने पर बहनें अकेली भी उनसे मिल सकती हैं. कम्प्लीटली संतुष्ट भी हो सकती हैं. यह भ्रम या गलतफहमी छोड़ दें की आपका सेक्सुअल हरसमेंट होगा. उनसे यह करवाने के लिए उनके पास हम हैं. हमसे ही उन्हें फुरसत नहीं. हमारे लिए वे परमानंद हैं. अहोभाग्य! जो उन्होंने हमारा मिक्स-अप एक्सेप्ट किया. उनके लिए नारी यूज करने, फेकने की सब्जेक्ट नहीं, पूजने की सब्जेक्ट होती है.