प्रवीण मल्होत्रा
ममता बैनर्जी की विदेश यात्रा को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मौज-मस्ती की यात्रा कह कर उनका मजाक उड़ाते हुए अनर्गल आरोप लगाए हैं। अधीर रंजन चौधरी जैसे नेताओं के रहते लगता है I.N.D.I.A गठबंधन का जीवन काल बहुत अल्प है और यह गठबंधन 2024 के आमचुनाव से पहले ही अपनी शैशवावस्था में मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
I.N.D.I.A गठबंधन को सिर्फ अधीर रंजन चौधरियों से ही खतरा नहीं है शरद पवार, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल तथा खुद ममता बैनर्जी भी इस विपक्षी गठबंधन की कब्र खोदने में प्राण प्रण से जुटे हुए हैं। ये लोग सिर्फ अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी नहीं चला रहे हैं बल्कि अपनी राजनीतिक गर्दनें खुद ही रेतने की तैयारी में जुटे हुए हैं। 2024 में मोदी-शाह के पुनः सत्ता में आने के बाद इन सभी के स्थायी निवास स्थान जेल और कार्यस्थल न्यायालयों की चारदीवारी ही रह जाएंगी। तब इनकी रुदाली भी कोई नहीं सुनेगा।
शरद पवार जैसे चालाक नेता अपवाद हो सकते हैं, जिन्होंने पहले ही अपने भतीजे को बीजेपी के पाले में भेजकर अपनी सुरक्षा की गारंटी ले ली है। लेकिन ममता बैनर्जी को छोड़कर बाकी के पास ऐसा कोई भतीजा भी नहीं है जो मोदी-शाह के समक्ष शरणागत हो जाये। ममता बैनर्जी के भतीजे को भी ईडी द्वारा समन किया जा चुका है। अतः सम्भव है कि वे भी आमचुनाव के बाद शरणागत हो जाएं और तृणमूल कांग्रेस को एनडीए का घटक बना लें।
लेकिन ऊपर का विश्लेष्ण पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा। तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों – मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ – में बीजेपी की पराजय सारे समीकरण उलट देगी लेकिन यदि इन राज्यों में बीजेपी जीत गयी तो I.N.D.I.A गठबंधन का अवसान निश्चित है।