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मथुरा में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता की मौत

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मथुरा में भ्रष्टाचार के खिलाफ 12 फरवरी से अनशन पर बैठे एक सामाजिक कार्यकर्ता की मौत हो गयी है। 66 वर्षीय देवकी नंद शर्मा मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे थे।ग्रामीण विकास के कार्यों से जुड़े मामलों में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ चार महीने से अनशन कर रहे बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता की बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गयी। वह पिछले कई वर्षों से लगातार शिकायतें भेज रहे थे। परिजनों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन उनकी (बुजुर्ग) शिकायतों पर कार्रवाई करने के स्थान पर उन्हें ही अनशन समाप्त करने के लिए दबाव बनाने में लगा हुआ था। 

मांट के एसडीएम आदेश कुमार ने बताया कि शर्मा ने पहले मनरेगा के कामों और शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।शर्मा उस एक जांच कमेटी के सदस्य थे जिसने भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच की थी। लेकिन जांच की रिपोर्ट से वह सहमत नहीं थे और फिर उसके विरोध में वह अपने घर के पास स्थित मंदिर पर 12 फरवरी को अनशन पर बैठे गए।

उनके परिजनों ने अधिकारियों को उनके गिरते स्वास्थ्य के बारे में बताया था। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता शर्मा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था। और वहां से उन्हें जिला अस्पताल भेज दिया गया था। लेकिन गुरुवार को जिला अस्पताल में ही उनकी मौत हो गयी।

एसडीएम ने बताया कि वह सोमवार को शर्मा से मिले थे और उनसे अपना अनशन खत्म करने की गुजारिश की थी। उनका कहना था कि इस मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में ले आया गया था। लेकिन शर्मा लिखित आश्वासन चाह रहे थे जिसमें प्रशासन को उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने की शर्त शामिल थी। लेकिन एसडीएम का कहना था कि वह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात थी।

परिजनों के मुताबिक, मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गयी और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। इस मामले में मांट के उप जिलाधिकारी आदेश कुमार ने बताया कि नौहझील के रहने वाले देवकीनन्दन शर्मा (66) कई वर्षों से गांव में कराए गए शौचालय निर्माण, मिनी सचिवालय, मनरेगा आदि से संबंधित विकास कार्यों से असंतुष्ट थे, जिसे लेकर उन्होंने कई शिकायतें की थीं। उन्होंने बताया कि उनकी शिकायतों पर कई बार जिला स्तर पर जांच की गयी, जिसमें वे स्वयं भी शामिल रहे लेकिन जांच रिपोर्ट से नाराजगी जाहिर करते हुए शर्मा 12 फरवरी को अपने घर में बने मंदिर के बाहर अनशन पर बैठ गए। अधिकारी के मुताबिक, शर्मा की मृत्यु के बाद पोस्टमॉर्टम कराया गया और उसकी रिपोर्ट में उनके पेट में अन्न पाया गया। उन्होंने बताया कि मंगलवार शाम जब उनके परिजनों ने देवकीनन्दन शर्मा की स्थिति बिगड़ने की सूचना दी तो तुरंत उन्हें पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और फिर वहां से जिला अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में इलाज के दौरान बुधवार को उनकी मृत्यु हो गई। कुमार ने बताया कि सोमवार को भी उनकी मांगों के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराकर पुन: जांच कराए जाने का आश्वासन दिया गया था। 

 

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