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*माफी, S O R R Y*

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शशिकांत गुप्ते

क्षमा वीरस्य भुषणम* अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण है।
यह तो सैद्धांतिक उपदेश है।
व्यवहार में तो क्षमा मतलब माफी कमजोर से मांगी जा रही है।
जिस दल को राजनीति के क्षितिज से लुप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। देश को जिस दल को मुक्त करने का आवाहन जोरशोर के साथ किया जाता है। ऐसा दल को इतनी एहमियत क्यों दी जार ही है?
क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ,जो भृगु मारी लात

बहुत से बार किसी व्यक्ति की जबान से अनजाने में ग़लत शब्द निकल जातें हैं। इसे कहतें है Slip of tongue मतलब ज़बान फ़िसलना।
ऐसे व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए।
Slip का हिंदी अर्थ होता है फ़िसलना। फ़िसलना मतलब रपटना। ढलान या किसी चिकनी सतह पर व्यक्ति का संतुलन बिगड़ने से व्यक्ति फिसल जाता है।
वर्तमान में देश का रुपया फिसल रहा है। रुपया पता नहीं किस ढलान पर है, निरंतर फिसलता ही जा रहा है। रुपए को फ़िसलने के लिए ढलान बनाने वाली नीति के जनक आश्वश्त हैं कि उन्हें माफ़ी नहीं मांगनी पड़ेगी।
महंगाई का कद बहुत हुई…. मार की प्रताड़ना सुनने के कारण आसमान को छूने के लिए लालायित है।
फिर भी माफ़ी नहीं मांगी जा रही है।
“समरथ को नहीं दोष गोसांई” समर्थ के द्वारा जबान किए गए वादों को जुमला भी कह दिया जाए तब भी माफ़ी का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
जो लोग सदाचारी होतें हैं, वे लोग किसी व्यक्ति की आलोचना करने के पहले यह वाक्य जरूर कह देतें हैं। “अन्यथा मत लेना”।
किसी व्यक्ति के विचारों से असहमत होने पर बहुत ही शालीनता से कहतें हैं,क्षमा करना आपके विचारों से हम सहमत नहीं है।
इस अंतहीन बहस को पूर्ण विराम देने के पूर्व लेखक क्षमा मांगते हुए शायर हबीबी अमरोहवी का शेर प्रस्तुत कर रहा हूँ।
बेहतर दिनों की आस लगाए हुए हबीब
हम बेहतरीन दिन गवांते चले गए

अंत में पुनः माफ़ी मांगते हुए, बहस को पूर्ण विराम देने के साथ प्रख्यात शायर स्व.अनवर जालालपुरीजी का यह शेर प्रस्तुत है।
मै चिराग हूँ दीवार है न छत मेरी
हवाएं करती है फिर भी मुख़ालफ़त मेरी

इस शेर की प्रसांगिकता पाठकों पर छोड़ कर पूर्ण विराम।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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