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ठाकुर योगी जी और फूलन देवी की प्रतिमाएं

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सुसंस्कृति परिहार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जो गोरखनाथ पीठ के महामंडलेश्वर भी है ,में ठकुरासी की ठसक गजब की भरी है ।वह पिछले दिनों उस वक्त नज़र आई जब उन्होंने स्वर्गीय पूर्व सांसद एवं चंबल की बागी फूलन देवी की प्रतिमाएं जप्त करवा लीं जो उत्तर प्रदेश में उनके समर्थकों ने लगाने के लिए मंगाई थी ।उनकी नफरत इस कृत्य में खुलकर आई है ।इसका मतलब यह है कि फूलन देवी द्वारा मारे गए 22 बलात्कारियों के लिए उनके मन में अनुराग है जो सब ठाकुर समाज से थे।  एक मुख्यमंत्री का, इस तरह की गांठ बांध कर बदले की भावना से प्रशासन चलाना गलत है।यह अनुचित और निंदनीय है । एक जुझारु पीड़ित युवती तथा पूर्व सांसद महिला से इतनी घृणा  कि उनकी प्रतिमा भी नहीं लगने दे रहे इससे एक बात तय है ये नफ़रत  ताकत बनकर विधानसभा चुनाव में उनकी आफत बन सकती है।
 यह मामला तब सामने आया जब विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख  बिहार सरकार में मंत्री और भाजपा के सहयोगी मुकेश सहनी रविवार को उत्तरप्रदेश के भदोही में पूर्व सांसद फूलन देवी की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने जा रहे थे। तब उन्हें जाने नहीं दिया गया । प्रशासन ने साथ ही बाकी जिलों में पहुंचाई गई मूर्तियों को भी जब्त कर लिया । अगले साल यूपी में चुनाव हैं. ऐसे में ये घटना जातीय समीकरणों से जुड़ी चुनावी चर्चा को हवा दे सकती है. मुकेश सहनी मल्लाह जाति से आते हैं. फूलन देवी भी इसी जाति की थीं। इस मामले ने उन्हें एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। फूलन देवी की प्रतिमाओं को अपने कब्जे में ले लिया और मुकेश सहनी को बनारस हवाई अड्डे से ही लौटा दिया। 
बनारस हवाई अड्डे से लौटाए जाने के बाद मुकेश सहनी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जमकर भड़के।यह पार्टी भाजपा की समर्थक पार्टी है फलस्वरूप उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित घटक दलों की बैठक से वहिष्कार कर दिया । बैठक का बहिष्कार करने के बाद मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सबका साथ, सबका विकास का नारा देते हैं। लेकिन उत्तरप्रदेश में इसका पालन होते हुए नहीं दिखा। इसी वजह से एनडीए की मीटिंग का बहिष्कार कर रहा हूं। साथ ही मुकेश सहनी ने कहा कि हम एनडीए में शामिल हैं और सरकार के साथ हैं। इसलिए सबकी बात सुनी जानी चाहिए।
मुकेश सहनी ने कहा कि पीएम मोदी का नारा है कि ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’, पर यूपी में पिछड़ी जाति के लोगों को सुना नहीं जा रहा है। उनके हक और अधिकारों को रौंदा जा रहा है। फूलन देवी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने नहीं दिया गया। यह खेदजनक है। साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और सीएम योगी को इस मसले पर सोचना चाहिए।

सहनी का सवाल जायज़ है।उनके साथ योगी सरकार का व्यवहार अक्षम्य है। जहां तक फूलन देवी का सवाल है वे एक मिसाल है उस संघर्ष की जो सदियों से दलित तबके की स्त्री सहती रही है लेकिन प्रतिकार की सोच भी जहां विकसित नहीं हुई । वहां एक बागी युवती ने बलात्कार के आरोपियों को सीधे मौत की नींद सुला दी ।उनका यह प्रतिरोध दुनिया की स्त्रियों के लिए अमानत बन गया।उन पर 1994 में बैंडिटक्वीन फिल्म बनी।उनकी लोकप्रियता इतनी बड़ी कि वे सांसद के ओहदे तक पहुंची। उनकी ताकत को सलाम करते हुए जनकवि बाबा नागार्जुन ने उन पर दुर्गा माता कविता लिखा ।जाने माने कवि नरेश सक्सेना ने भी उन पर रचना लिख उन्हें सलाम किया ।उन पर शोधकार्य हुए।कई महत्वपूर्ण लेख लिखे गए । पुस्तकें भी प्रकाशित हुईं। विदेशों में वे पाठ्यक्रम का हिस्सा भी है ।
25जुलाई 2001नागपंचमी का ही मनहूस दिन था जब शेर सिंह राणा फूलन देवी से मिलने दिल्ली उनके निवास पर आया। उसने उन्हें बताया कि वह उनकी एकलव्य सेना से जुड़ना चाहता है।फूलन ने उस नाग को खीर खिलाई।घर के गेट तक छोड़ने भी गई वहीं छल से उन्हें गोली मार कर कायर शेर सिंह ने बेहमई कांड का बदला लिया। ठाकुरों ने इसका जश्न मनाया पर फूलन अमर हो गई । आज भी फूलन देवी के शहादत दिवस के मौके पर जालौन के कालपी तहसील के शेखपुर गुड़ा गांव में लोग उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने जाते हैं । 

अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है. कहीं ऐसा लग सकता है कि ये एक बलात्कार का नतीजा था. पर अरुंधती रॉय कहती हैं कि अगर बलात्कार फूलन देवी बनाता तो देश में हजारों फूलन देवियां घूम रही होतीं. ये पूरी ‘मर्दवादी संस्कृति’ की पैदाइश है. जाति, जमीन, औरत, मर्द सब कुछ समेटे हुए है ये कहानी।

फूलन देवी की प्रतिमाएं भले योगी जी लगने से रोक दें लेकिन उनके साहस को सलाम सारी दुनिया कर रही है।उनकी ऊंचाई तक पहुंचना सरल नहीं है ।अच्छा हो विकासशील इंसान परिषद की आवाज़ सुनी जाए।

(नागपंचमी फूलन की पुण्यतिथि और 10अगस्त जन्म तिथि है)

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