अग्नि आलोक

गुजरात की कहानी गोधरा स्टेशन से डॉ. सुरेश खैरनार की जुबानी !

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          साथियों मैने आजसे गुजरात दंगों के 22 साल पुरे होने के ! इस सप्ताह में रोज एक कहानी लिखने का प्रयास करने का संकल्प किया है ! कल नरोदा पटिया की घटना पर आधारित थी !

                   आज गोधरा स्टेशन से 59 अधजले शवो में से ! साबरमती एक्सप्रेस की कुल 1100 प्रवासी ढोने की क्षमता थी ! लेकिन उस दिन 2000 प्रवासी थे ! और उनमें 1700 कारसेवक थे ! एस – 6 कोच में 72 प्रवासीयो की क्षमता थी ! लेकिन 27 फरवरी 2002 के दिन पूरा कोच खचाखच भरा हुआ था ! साबरमती एक्सप्रेस को ग्यारह कोच लगे हुए थे ! और दो हजार की संख्या में प्रवासी पूरी ट्रेन में भरे हुए थे ! और बाहर भी दो हजार की संख्या में ! गोधरा के मुसलमानों ने ट्रेन को घेरने के बावजूद ! सिर्फ एक कोच जिसका एस – 6 नंबर था ! उसी को आग लगा दी ! क्या यह सोचना जरूरी नहीं है ?

                एस – 6 कोच के 59 अधजले शवो में से 26 महिलाओं के शव थे ! 12 बच्चों के थे ! और 21 आदमियों के थे ! 43 लोगों को चोटों के कारण, उनमें से पांच गोधरा के अस्पताल में, जिन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया ! उन पांच में से एक की अस्पताल में मौत हो गई ! और बचें हुए लोगों को, तिनचार दिन के बाद, छुट्टी दे दी गई ! 59 अधजले शवो को पहचानना मुश्किल था ! इतने बुरी तरह से जल चुके थे ! 

             तत्कालिन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी और आरोग्य मंत्री श्री. अशोक भट और अन्य मंत्री गण कलेक्टर श्रीमती जयती रवि से 27 फरवरी को दोपहर के दो बजे के आसपास, मिलने के बाद ! नरेंद्र मोदीजी ने उसी ट्रेन से उन शवो को लेजाने का निर्णय लिया ! जिसका कलेक्टर साहीबा ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से ! उन अधजले शवो को गोधरा से अहमदाबाद ले जाने के निर्णय का विरोध किया ! अंत में नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी मंत्रीयो के आग्रह पर गुजरात वीएचपी के अध्यक्ष श्री. जयेश पटेल के हवाले करने की कार्रवाई की गई ? (हालांकि यह कौन से कानून के अंतर्गत किया गया था ? यह सवाल आज भी अपनी जगह बना हुआ है ? )

                 उन अधजले शवो को खुले ट्रकों के उपर लादकर, पहले अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में लेकर गए !  इस तरह एक जिलाधिकारी, और वह भी एक महिला के विरोध की अनदेखी कर के ! अहमदाबाद में अधजले शवो को ले जाने के पीछे, क्या कारण हो सकता है ? क्योंकि उनमेसे किसी भी शव को पहचानने जैसी स्थिति नहीं थी ! और नही उनके किसी नाते – रिश्तों में से किसी एक ने कोई मांग नहीं की थी ! कि हमें शव दिया जाए ! और फिर उन्हीं शवों को खुले ट्रकों के उपर डालकर अहमदाबाद की सड़कों पर जुलूस निकालने के पीछे का उद्देश्य क्या हो सकता है ?

        जबकि इस तरह की कोई भी घटना घटने के बाद, कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति ! सबसे पहले कानून और व्यवस्था की चिंता करेगा ! और राज्य के मुख्यमंत्री और जो राज्य के गृहमंत्रालय की भी जिम्मेदारी सम्हाल रहे थे ! उन्होंने इस तरह का निर्णय लिया था ! तो फिर गुजरात दंगों के जांच करने वाले कमिशन ने इस बात का सज्ञान लेते हुए क्या जांच की है ? क्यों कि इस तरह शवों को खुले ट्रकों में डाल कर, अहमदाबाद शहर में बंद होने के बावजूद! जुलूस निकालने की इजाजत किसने दी थी ? और इस तरह के भडकाऊ कृती के कारण गुजरात में जो आग की तरह दंगों को फैलाने में मददगार सिद्ध हुआ है ! उसका सज्ञान लेते हुए, अबतक किसे और कौन सी सजा सुनाई गई है ? 

         बजरंग दल और वीएचपी के लोगों के 28 फरवरी 2002 के दिन गुजरात बंद की घोषणा के बावजूद ! राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात बंद की घोषणा करते हैं ! और बंद होने के बावजूद 59  अधजले शवो को खुले ट्रकों के उपर रखकर जुलूस निकालने के पिछे की वजह क्या हो सकती है ? और यह जलूस गुजरात की शांति – सद्भावना के लिए कितना काम में आया है ? अब बाईस साल के बाद ही सही ! लेकिन इन सब बातों का मुल्यांकन होने की आवश्यकता है !

        क्योंकि आज भी रोज नये – पुराने चेहरे हिंदू – मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए ! “एक हिंदू लडकी के साथ, अगर किसी मुसलमान ने लवजेहाद के अंतर्गत शादी की ! तो दस मुस्लिम लड़कियों को लेकर हिंदूओ ने सबक सिखाने का काम करना चाहिए !” जैसे हेटस्पिच लगातार दिए जा रहे हैं ! लड़की हिंदू हो या मुसलमान उसकी अपनी कोई पहचान नहीं है ! वह एक चिज है ! जिसका इस्तेमाल दोनों समाजो के भीतर ध्रुवीकरण करने के लिए ! एक जलावन का सामान हो गया है ! अठारह साल के बाद लड़की हो या लडका ! इस देश के नागरिकों की हैसियत से ! मतदान में हिस्सा लेने की उम्र के हो गए हैं ! हमारे देश के संविधान के अनुसार ! वह अपने जीवन को लेकर कोई भी निर्णय ! हमारे संविधान के अनुसार लेने के लिए ! संविधानिक अधिकार प्राप्त नागरिकों की हैसियत रखने के बावजूद ! यह कौन ठेकेदार जगह – जगह पैदा हो गए ? जो एक की जगह दस लड़कियों को उठाने की बात करता है ? यह तो हमारे देश की आधी आबादी महिलाओं के अपमान की बात नहीं है ? और हमारे देश की महिलाएं क्या सिर्फ 8 मार्च आंतरराष्ट्रीय महिला दिन मनाने के अलावा इस तरह की हरकतों को रोकने का काम नहीं करेगी ? 

            क्या गुजरात के दंगों से यही चिरशांती का संदेश मिला है ? कबतक आम लोगों की मौत के उपर अपनी राजनीतिक रोटीया सेंकने का काम करेंगे ? आंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजो के हाथ में देश की संपत्ति औने-पौने दामों में बेचना बहुत बडी देश भक्ति चल रही है ? उसकी पोल खुल गई तो वह भी देश के उपर हमला बोल रहा है ! और सबसे हैरानी की बात वर्तमान सत्ताधारी दल के कुछ मंत्रियों ने भी मैने हमारे देश के उपर हमला बताया है ! अगर एक आंतरराष्ट्रीय स्तर का विश्व का सबसे बड़ा ! आर्थिक घोटाला करने वाले आदमी को ! इस तरह देशभक्ति की आडमे छुपाने में मददगार करने वाले मंत्रियों को भी शामिल देखकर लगता है ! कि यह देश 140 करोड जनसंख्या के लोगों का न होकर ! केवल कुछ चंद घोटालेबाजों ने ! अपने बाप की जागीर के रूप में कब्जा कर लिया है !

          तो मै 140 करोड लोगों में से एक नागरिक होने के नाते ! और हमारे देश की आज़ादी के पचहत्तर साल पूरे होने के अवसर पर ! हर हाल में ऐसे पाखंडीयो के हाथों से हमारे देश को बचाने के लिए ऐलान करता हूँ ! “कि इन लुटेरों के हाथों में देश का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का फिर से चल रहा षडयंत्र का ! पर्दाफाश करते हुए दोबारा गुजरात के दंगों के जैसा तांडव नहीं होने देना ! ही सही गुजरात दंगों के बाईस साल पूरे होने का संकल्प हो सकता है ! ‘जयभारत’ ! 

  डॉ. सुरेश खैरनार,नागपुर.

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