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सुको ने वीवीपेट मामले में चुनाव आयोग को घेरा

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-सुसंस्कृति परिहार 

चुनावों में हार के बाद विपक्ष की ओर से कई बार ईवीएम का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा चुनाव के बाद वोटों की गिनती के दौरान ईवीएम के साथ सारी वीवीपैट पर्चियां भी गिनने के लिए याचिका दायर की गई है। अब चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल के वकीलों की दलीलों को सुना। इसके बाद याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अरुण कुमार अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार ने तकरीबन 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वर्तमान में लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं।सुप्रीम कोर्ट के कदम से विपक्ष गदगद है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा, “वीवीपेट के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।  विदित होचुनाव आयोग ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया था। हमारी मांग थी कि ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपेट पर्चियों के 100% मिलान किए जाए। इस संबंध में यह नोटिस पहला और काफ़ी महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसकी सार्थकता के लिए, चुनाव शुरू होने से पहले ही मामले पर निर्णय लिया जाना चाहिए।”

विदित हो ईवीएम पर सत्ता से बाहर होने वाले राजनीतिक दल सवाल खड़े करते रहे हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार ईवीएम मशीन पर सवाल खड़े किए गए। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और तत्कालीन जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने ईवीएम के जरिए चुनावों में धांधली के आरोप लगाए थे। वहीं, अगले साल यानी 2010 में बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी मशीन पर सवाल खड़े किए। इस दौरान सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गए थे। ईवीएम पर उठ रहे सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने 2013में वीवीपैट के उपयोग का भी निर्देश दिया था।

उसे चुनाव आयोग ने सिर्फ दो-चार प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया जिससे देश में जबरदस्त असंतोष का माहौल बना। भाजपा के नेताओं द्वारा जितनी सीट पर जीत की घोषणा की गई वह सच साबित होती रही जैसे 1919 में 300 पार और अब जब 400 पार की बात आई तो लोगों के कान खड़े हो गए। ईवीएम पर हैकिंग के आरोप लगे।याद कीजिए मध्यप्रदेश के भिंड ज़िले के अटेर में ईवीएम मशीन के डेमो के दौरान किसी भी बटन को दबाने पर वीवीपैट पर्चा भारतीय जनता पार्टी का निकलने के बाद ज़िले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटा दिया गया था।ऐसी ही कई गड़बड़ियों के चलते यह पता चला कि ईवीएम का इस्तेमाल इसी वजह से संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी देशों में प्रतिबंधित है।सबसे जगह बैलेट पेपर से चुनाव हो रहे हैं जो आज भी विश्वसनीयता बनाए हुए हैं।

इसीलिए देश में सुको के प्रतिष्ठित वकीलों ने ईवीएम हटाने और बैलेट से चुनाव का मुद्दा उठाया। क्योंकि इंडिया गठबंधन की मांग को चुनाव आयोग ठुकरा चुका था। इसीलिए सुको का यह चुनाव आयोग को दिया नोटिस सुकून दायक है। सबसे दुखद तो यह रहा है चुनाव आयोग  हैंकिंग कैसे हो रही है देखने भी तैयार नहीं हुआ।

बहरहाल ताज़ा सूत्रों से प्राप्त जानकारी में यह बताया जा रहा है कि तमाम ईवीएम मशीनों को बदला जा रहा है लेकिन चिंताजनक बात ये है कि इस बात पर मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई है कि इस नई ईवीएम में एक नई चिप लगाकर वीवीपेट के साथ नए खेल की शुरुआत की योजना है।सुको को चाहिए  इस याचिका पर तत्काल संज्ञान ले जिससे निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके।

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