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आत्महत्या……हर रोज आत्महत्या कर रहे 3000 लोग

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आत्महत्या सुनने भर से ही दिलों दिमाग में अजीब सी बैचेनी होने लगती है। जब सुबह अखबार उठाते हैं तो आत्महत्या की खबरों से दो चार होना ही पड़ता है। अभी कुछ ही दिन पहले एक महिला ने अपनी बच्ची के साथ इमरात से छलांग लगाकर आत्महत्या की थी। चौकाने वाली खबर तो वो थी जिसमें तीसरी क्लास में पढ़ने वाली एक छात्रा ने मिट्टी के ताल छिड़क कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी।

छात्रा की उम्र महज 8 से 9 साल रही होगी। इसी तरह हर वर्ग के लोग रोजाना आत्महत्या करते हैं। भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। हर साल दुनिया में लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन नेटवर्क ऑन सुइसाइड रिसर्च एंड प्रिवेंशन के मुताबिक हर साल 2.3 लाख लोग भारत में आत्महत्या करते हैं। 

हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है आत्महत्या रोकथाम दिवस 

बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं को देखते हुए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के दुनियाभर में अलग-अलग तरह के आयोजन आयोजित किए जाते हैं। ताकि लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके ती आत्महत्या समय से पहले होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण है।   

WHO के आंकड़ों के मुताबिक हर रोज करीब 3000 लोग आत्महत्या कर मर रहे हैं। साथ ही हर रोज 20 या उससे अधीक लोग अपने जीवन को समाप्त करने का प्रयास करते हैं। पहली बार विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 10 सितंबर को की गई थी। 

पुरुष ज्यादा करते हैं आत्महत्या विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमानों के मुताबिक 2016 में आत्महत्या से 7,93,000 लोगों की मौतें हुई थी। जिसमें से ज्यादातर पुरुष थे। NCRB के डेटा के अनुसार 2015 में 91,528 पुरुषों ने अपनी जान ली, वहीं, 2005 और 2010 में 66,032 और 87,180 पुरुषों ने आत्महत्या की थी।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यदि आपके मन में कभी भी इस तरह का विचार आता है तो मदद मंगने में संकोच ना करें। अपने किसी करीबी से मदद मांगे। यदि किसी करीबी से मदद नहीं मांग सकते तो डॉक्टर की मदद लें। क्योंकि ऐसी कोई भी समस्या नहीं होती जिसका समाधान ना हो। इसलिए हिम्मत करें और अपनी तकलीफ साझा करें।  

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