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सुप्रीम कोर्ट चाहता है किशॉर्ट सेलिंग क़ा क़ानूनी उपाय अडानियों के शेयर पर लागू न हो

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अरुण माहेश्वरी

हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट की राय से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट खुद शेयर बाज़ार में अडानी समूह के लठैत के रूप में काम करना चाहता है। अडानी समूह मनमानी करे, पर ख़बरदार! कोई अन्य उस पर आंख न तरेरे। शॉर्ट सेलिंग शेयर बाज़ार में कारोबार का एक कानूनी, मान्य उपाय है। पर सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि यह क़ानूनी उपाय अडानियों के शेयर पर लागू न हो। हिंडनबर्ग की तरह की कोई कंपनी अडानी के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग न करे।

सुप्रीम कोर्ट की दलील है कि इससे उसके शेयरों में निवेश करने वाले आम निवेशकों का नुक़सान हो जाता है! मज़े की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे समूह के शेयरों के बारे में व्यग्र है जिसमें अन्य कंपनियों के शेयरों की तुलना में आम निवेशकों का सबसे कम रुपया लगता है। पिछले दिनों जो तथ्य सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि अडानी समूह के शेयरों की मिल्कियत अधिक से अधिक इस समूह की ही है।

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को कहा है कि वह पता लगाए कि हिंडनबर्ग ने कैसे शॉर्ट सेलिंग करके अडानी के शेयरों की क़ीमतों को गिरा दिया? अर्थात् जिस बात को खुद अडानी नहीं जान पा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि उसे भारत सरकार खोज कर उनकी मदद करें। एक निजी कंपनी की सेवा में इस प्रकार नग्न रूप में सुप्रीम कोर्ट का उतरना सचमुच अभूतपूर्व है।

हिंडनबर्ग एक अमेरिकी कंपनी है। वह शेयरों का अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार करती है। सेबी आज तक यह जान नहीं पाई है कि उसने कैसे अडानियों के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग कर ली। यह किसी के लिए जानना आसान भी नहीं है। वास्तव में शॉर्ट सेलिंग की या नहीं, यह भी कोई नहीं जानता। अडानी के शेयरों में तो सिर्फ़ शॉर्ट सेलिंग की अफ़वाह से ही हड़कंप मच सकता था क्योंकि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानियों की कारस्तानियों की जो कहानी कही थी, वह सौ फ़ीसदी सच थी।

दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट की इस सचाई को जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है। अडानी कैसे ग़ैर-क़ानूनी तरीक़ों से अपने शेयरों के दाम बढ़ा कर हमारे वित्तीय संस्थानों को खोखला कर रहे हैं, इसकी उन्हें रत्ती भर भी परवाह नहीं है। उसकी चिंता इस बात पर है कि कैसे दुनिया के एक कोने में बैठी कंपनी ने उनकी कारस्तानियों की पोल खोल दी। यह है हमारे ज्ञानी सीजेआई का नैतिक मूल्य बोध।(

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