डॉ. प्रिया
(एचओडी : इंटरनल मेडिसिन)
निपाह वायरस तो हर क्षेत्र में लोगों को ज्वरग्रस्त कर के हॉस्पिटलाइज्ड कर ही रहा है, कोढ़ में खाज बन रहा है डेंगू. पंजाब के साथ अब दिल्ली एनसीआर में भी डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं।
दिल्ली एनसीआर में अब तक 500 से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। कई ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें बूढों, बच्चों और जवान लोगों के लिए डेंगू प्राणघातक बन गया। आने वाले हफ्तों में यह संख्या और अधिक होने वाली है। इन हालातों में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बहुत तेजी से घटने लगती है।
निपाह और डेंगू एक वायरल संक्रमण है। दुनिया की लगभग आधी आबादी किसी न किसी रूप में इस के खतरे में है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 10-40 करोड़ लोग इससे संक्रमित हो जाते हैं।
*क्यों जरूरी हैं प्लेटलेट्स :*
प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में ब्लड सेल्स हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में 1.5 लाख से 4 लाख तक ब्लड प्लेटलेट्स होते हैं। कमी होने से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्लेटलेट्स ब्लड के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार होते हैं। कम प्लेटलेट काउंट से ब्लीडिंग और इससे होने वाली जटिलता का खतरा बढ़ सकता है। जटिलता से बचने के लिए प्लेटलेट लेवल का सही स्तर बना रहना जरूरी है।
ऐसे वायरल अटैक के कारण प्लेटलेट काउंट में कमी हो जाती है, जिसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है। वायरस सीधे बोन मैरो को प्रभावित करता है, जहां प्लेटलेट्स का उत्पादन होता है। इससे प्लेटलेट्स प्रोडक्शन कम हो जाता है। इसके अलावा, वायरस ब्लड फ्लो में प्लेटलेट्स की तोड़फोड़ बढ़ा देता है।
फलत: इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है, जिससे प्लेटलेट लेवल में और गिरावट हो जाती है। इसका बुरा प्रभाव सभी जीवनरक्षक अंगों पर पड़ने लगता है। धीरे-धीरे किडनी, हार्ट, ब्रेन जैसे जरूरी अंग काम करना बंद कर देते हैं और आदमी की मौत हो जाती है।
लापरवाही बरतने पर प्लेटलेट काउंट लाखों से घटकर हजारों में आ सकता है। इससे प्रभावित व्यक्ति के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। लक्षणों को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल उपचार और दवा लेना बहुत जरूरी है। बीमारी के चौथे या पांचवें दिन के बाद प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं, जिससे मरीज को पूरा दिन कमजोरी महसूस होती है।
*कैसे बढ़ाएं प्लेटलेट काउंट :*
मेडिकली तौर पर ब्लड प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाने का सबसे कारगर उपाय ब्लड ट्रांसफ्यूज़न है। रोगी को दिया जाने वाला ब्लड इंजेक्शन प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है। यह रोगी को जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
प्लेटलेट काउंट अपने ओरिजनल रूप में कम से कम 72 घंटों के बाद आ पाती है। यह प्रक्रिया कुछ दिनों तक भी चल सकती है। रोगी की स्थिति के आधार पर डॉक्टर ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की मात्रा का निर्णय लेते हैं।
उचित खाद्य पदार्थों से भी ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाया जा सकता है। बकरी का दूध, गिलोय का काढ़ा, लीची का जूस, कीवी फल काफी बेहतर रिजल्ट देते हैं.
महिला के मामले में उसके हर बॉडी पार्ट्स की सिस्टमेटिक मेडिटेटिव मसाज, अपनत्वपूर्ण वास्तविक प्रेम और इससे भरा सुपर आर्गेस्मिक सेक्स चमत्कारिक परिणाम देता है. इससे बॉडी की पॉजिटिव इंटर्नल हॉटनेश बढ़ती है, संतुलित होर्मोनल सिस्टम का डेवलपमेन्ट होता है. रियल रिलेक्सेशन की फीलिंग शीघ्र हेल्थ इम्प्रूव करती है.
पत्तेदार सब्जियां, आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ, दाल, कद्दू के बीज, पपीता और पपीता के पत्ते, डेयरी उत्पाद और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर फल और सब्जियां स्वाभाविक रूप से ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करते हैं।