अग्नि आलोक

….. इसीलिए मेरा करियर आगे नहीं बढ़ा-तनीषा मुखर्जी

Share

एक्ट्रेस तनीषा मुखर्जी ने लेटेस्ट इंटरव्यू में अपनी नई फिल्म और करियर के बारे में बात की। तनीषा ने बताया कि उनका करियर क्यों आगे नहीं बढ़ा और पिता की कौन सी बात न सुनने का पछतावा है। तनीषा अब जल्द ही फिल्म ‘लव यू शंकर’ में नजर आएंगी।

नामचीन एक्ट्रेस तनुजा की बेटी और काजोल की छोटी बहन तनीषा मुखर्जी ने भी परिवार के बाकी सदस्यों की तरह एक्टिंग को करियर चुना पर उनके हिस्से दूसरों जितनी कामयाबी नहीं आई। साल 2003 में फिल्म ‘श्श्श्श’ से डेब्यू करने वाली तनीषा पर्दे पर कुछ गिनी-चुनी फिल्मों में ही नजर आईं। इन दिनों तनीषा चर्चा में हैं, फिल्म ‘लव यू शंकर’ को लेकर। इसी सिलसिले में उन्होंने हमने अपने फिल्मी सफरनामे पर की खास बातचीत:

आपको बॉलीवुड में करीब बीस साल हो गए, मगर आप काफी कम फिल्मों में ही नजर आई हैं। आप अचानक किसी फिल्म या शो में नजर आती हैं, फिर स्क्रीन से दूर हो जाती हैं। ऐसा क्यों? और आप खुद अपने फिल्मी सफर को कैसे देखती हैं?

मेरा फिल्मी सफर अभी चल ही रहा है। वो अभी खत्म नहीं हुआ है। हां, मैंने कम काम किया है। मैं थोड़ा-थोड़ा काम करती रहती हूं लेकिन मुझे ऐसे काम करने में मजा आ रहा है। मुझे लगता है कि अगर आप सब कुछ अभी कर लेंगे तो आगे क्या करेंगे? मैंने तो अभी बहुत कुछ नहीं किया है, तो मेरे पास बहुत कुछ करने का मौका है। बाकी, कम काम करने की वजह कोई नहीं है। जब काम अच्छा मिलेगा तो मैं कर लूंगी। मैं चाहती हूं कि अलग-अलग करैक्टर्स करूं, अच्छे लोगों के साथ काम करूं। वैसे, मैं हमेशा ऐक्टिव थी, अब पिक्चर रिलीज नहीं हो रही या चल नहीं रही तो वो मेरे हाथ में नहीं है। लोग सिर्फ वो देखते हैं जो बाहर निकलता है पर मैं कभी इनऐक्टिव नहीं थी। मेरा एक एनजीओ है। मैं और भी काम करती हूं। मेरी एक जिंदगी है। मुझे ऐक्टिंग से प्यार है लेकिन ये मेरी जिंदगी का हिस्सा भर है।

आपके परिवार में मां तनुजा, बहन काजोल, जीजा अजय देवगन सभी बड़े स्टार रहे हैं। ऐसे में, आपकी तुलना उनसे होना लाजिमी है। आप इसे कैसे लेती हैं?

हमारे परिवार में ऐसी तुलना नहीं होती। बाहर होती है लेकिन हमें कभी महसूस नहीं होता है, क्योंकि हम बाहर के लोगों की नहीं सुनते। मेरा मानना है कि अगर फैमिली में एक भी बंदा सफल है तो पूरा परिवार सफल है, क्योंकि एक इंसान की सफलता सबकी होती है। एक का बड़ा होना सबका बड़ा होना होता है। मेरे लिए तो ये बहुत बड़ी बात है कि मेरे परिवार में इतने लोग सफल हैं। मेरा नजरिया अलग है। कृष्ण ने कहा है ना, ये पूरी जिंदगी माया है तो आप किसी चीज को कैसे देखते हैं, सब उस पर निर्भर करता है। मैं अगर अपनी जिंदगी को नेगेटिव रूप में देखूंगी तो मुझे सब गलत नजर आएगा लेकिन मेरी तो रानी-महारानी की जिंदगी है। मैं बहुत लकी हूं कि मैं ऐसे परिवार में पैदा हुई हूं। मेरे रिश्तेदार ऐसे हैं। मैं बहुत खुशनसीब हूं। कहीं कोई कमी नहीं है। अगर लोग कहें कि कमी है तो वे नेगेटिव ढंग से सोच रहे हैं।

आज आपमें ये मैच्योरिटी आ चुकी है कि करियर का उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा है, लेकिन जब आपने शुरुआत की थी और आपकी फिल्में नहीं चलीं, वो दौर कितना निराशाजनक रहा? उससे आप कैसे निपटी?

बिल्कुल, तब बहुत बुरा लगा था। वो दिल टूटने वाली बात थी क्योंकि मैं बहुत छोटी थी। तब ऐसा लगता है कि यही सबकुछ है। उस वक्त हमें ये अहसास नहीं था कि सफलता या असफलता आपको परिभाषित नहीं करती। उस वक्त तो कोई फिल्म नहीं चलती थी तो लगता था, जैसे इस असफलता से मेरी पूरी जिंदगी थम गई हो। एक फ्लॉप से मेरी पूरी लाइफ फ्लॉप हो गई। शायद इसी वजह से मेरा करियर आगे नहीं बढ़ा। हमने धीरे-धीरे सीखा कि एक असफलता से कुछ नहीं होता, एक सफलता से भी कुछ नहीं होता। बस काम करते जाओ। इसलिए, मैं कहती हूं कि काश, मैंने अपने पापा की सुनी होती जो कहते थे कि सिर्फ काम करो, मगर तब हमें लगता था कि एक फ्लॉप मतलब बंद कर दो काम। मेरी पहली फिल्म नहीं चली तो मुझे लगा कि अरे, अब मैं कुछ नहीं कर सकती क्योंकि मेरी पहली पिक्चर नहीं चली, लेकिन फिर मुझे ‘टैंगो चार्ली’ मिली, ‘सरकार’ मिली, ‘नील ऐंड निक्की’ मिली, तब पता चला कि आप सिर्फ अपना काम करते जाओ। जितना आप काम करेंगे, उतना अनुभव मिलेगा और वो सबसे जरूरी है।

इस निराशा भरे दौर में आपकी मां और बहन कितना बड़ा सपोर्ट सिस्टम बनी? मां को कोई सीख दी हो?

बहुत ही ज्यादा बड़ी सपोर्ट सिस्टम रहीं। मेरे लिए मेरा परिवार ही सबकुछ है। मेरी मां से बहुत पते की सीख दी कि सुनो सबकी, पर करो अपने दिल की। ये मेरी मां की सीख है।

  

फिल्म ‘लव यू शंकर’ में आप मां की भूमिका निभा रही हैं। इस रोल को लेकर आपके मन में कोई हिचक नहीं रही?

फिल्म में पहली बार एक मां का किरदार निभा रही हूं। मैंने असल जिंदगी में ये किरदार अब तक नहीं निभाया है तो मैं स्क्रीन पर वो इच्छा पूरी कर रही हूं। जो मां-बेटे का रिश्ता फिल्म में दिखाया गया है वो दोस्ती भरा है। मेरी अपनी मां के साथ भी ऐसा ही रिश्ता है तो ये सब मुझे बहुत अच्छा लगा। मुझे इसे करने को लेकर कोई हिचक नहीं थी। मैंने हमेशा जो भी रोल किया है, उसे करैक्टर में डूबकर निभाया है। मैं नहीं सोचती हूं कि दुनिया क्या कहेगी। अगर मैं ये सोचती तो मैं नील ऐंड निक्की जैसी फिल्म नहीं करती। मुझे निक्की का करैक्टर अच्छा लगा तो मैं पूरी तरह निक्की बख्शी बन गई। इसी तरह मैंने पूरे मन से मां का रोल निभाया।

आपके जीजा अजय देवगन खुद बड़े निर्माता हैं, मगर आप उनके बैनर की किसी फिल्म में भी नहीं दिखीं। ऐसा क्यों? जबकि, इंडस्ट्री पर नेपोटिजम को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं!

हम उदाहरण है कि इंडस्ट्री में नेपोटिजम नहीं है। अगर अजय को ऐसा करैक्टर मिलेगा, जहां उनको लगेगा कि मैं अच्छे से उस रोल को निभा सकती हूं तो वो मुझे अप्रोच करेंगे। इसलिए नहीं, क्योंकि हम ऐसे ही सोचते हैं। वे करैक्टर के हिसाब से कास्टिंग करते हैं, लोगों के हिसाब से नहीं और इसी तरह से कास्टिंग होनी चाहिए। अजय कमाल के डायरेक्टर हैं। सिनेमा को लेकर उनकी समझ कमाल की है और वह अपना प्रॉडक्शन हाउस उसी तरह चलाते हैं। वह अपने करैक्टर के हिसाब से कास्ट करते हैं। उनको लगेगा कि ये ऐक्टर करैक्टर में जमेगा तो वो ले लेंगे।

Exit mobile version