Site icon अग्नि आलोक

पुतला रावण का, दहन हर्षोल्लास के साथ

Share

शशिकांत गुप्ते

नवरात्रि के उत्सव की समाप्ति के बाद,दशहरें का त्यौहार भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दशहरें का त्यौहार मनाने के लिए दैत्यराज रावण के प्रतीकात्मक पुतलों का दहन होता है।
त्रेतायुग में रावण का जन्म हुआ था।
कलयुग में रावण को निर्मित जाता है। दशहरें के पूर्व रावण निर्मित करने वाले कलाकार सक्रिय हो जातें हैं। सार्वजनिक स्थानों पर रावण दहन के लिए विशालकाय रावण निर्मित किए जातें हैं। विशाल कदकाठी के रावण को निर्मित करने के लिए रावण के विभिन्न शारीरिक अवयव बनाएं जातें हैं।
रावण का विशाल मुँह बनाया जाता है। मुँह के एक ओर चार दूसरी ओर पाँच मुँह लगाए जातें हैं। गर्दन, धड़,हाथ,पाँव आदि अलग से बनाए जातें हैं। इन सारे अवयवों को जहाँ का रावण दहन सम्पन्न होने वाला होता है,वहाँ ले जाकर Assemble किया जाता है। मतलब जोड़ा जाता है।
कलयुग में दैत्यराज रावण भी बाजारवाद की गिरफ्त में आ गया है। बाजारवाद के प्रचलन के कारण रावणों के पुतलों की मार्केटिंग होने लगेगी।
जहाँ रावणों का बाजार सजेगा वहाँ बैनर,पोस्टर और बोर्ड पर लिखा होगा।
रावण ही रावण रावणों का विशाल भंडार।
रावणों की बिक्री बढ़ाने के लिए सेल्स प्रमोशन स्कीम में भी बनाई जाएगी।
रावण के एक पुतले पर एक पुतला फ्री। या रावण के पुतले के साथ पटाखे मुफ्त मिल सकतें हैं।
रावणों की थोक बिक्री (wholesale) के लिए अलग से डिस्काउंट दिया जाएगा।
रावणों की खेरची बिक्री की दुकानों पर upto 70% के बोर्ड लिखे हुए मिलेंगे।
मार्केटिंग में जिस तरह उत्पादों की बिक्री के लिए प्रतिस्पर्धा होती है। उसी तरह रावणों की बिक्री के लिए भी कुछ व्यापारी 50% फ्लैट डिस्काउंट का ऑफर भी दे सकतें हैं
जैसा कि शुरुआत में ही कहा गया है कि, त्रेतायुग में निश्चित एक ही रावण ने जन्म लिया होगा।
कलयुग असंख्य रावणों को निर्मित किया जाता है। कलयुग में रावण के पुतलों का दहन बुराई के रूप में किया जाता है।
बहुत से सार्वजनिक स्थानों में रावण के पुतले की ऊँचाई प्रति वर्ष बढ़ते ही जा रही है। इसका यह मतलब कतई नहीं समझना चाहिए कि, ऐसे सार्वजिनक स्थानों में बुराई भी बढ़ रही है?
नोट:- रावण भी महंगाई से प्रभावित हो गया है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि, सम्भवतः इस वर्ष बहुत से आयोजक महंगाई के कारण रावण के पुतलों की ऊँचाई
कम रखने की सोच रहें हैं।
आयोजक प्रतिवर्ष रावण के पुतलों का दहन,बुराई के रूप में करतें हैं। रावण के पुतलों का आसुरी प्रवृत्ति के प्रतीक के रूप में भी दहन होता है।
वर्षो से हम निरंतर दशहरें के दिन रावणों के पुतलों का दहन करतें आए हैं, और करते रहेंगे। इसतरह
रावण दहन का आयोजन निरंतर चलते रहना चाहिए।
इसतरह हम दैत्यराज रावण को सदा याद रखेंगे?
कभी तो बुराई का अंत होगा?

शशिकांत गुप्ते इंदौर

Exit mobile version