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चापलूस भाजपाइयों की हालत होगी पतली ! 

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सुसंस्कृति परिहार 

वैसे तो चुनाव के दौरान तरह तरह की झूठी बातों का दौर सन् 2014 से जारी है। लोगों ने इन बातों पर इस कदर भरोसा किया कि झूठी सरकार सत्ता के शिखर पर काबिज़ हो गई। 2019 में पुलवामा शहीदों की शहादत पर बहाए आंसुओ ने वोट बटोरे। मतदाताओं ने सोचा पांच साल और दे दो , शायद अच्छे दिन आ जाएं पर आज तीसरे 2024 के चुनाव में जो रोष भाजपा के प्रति नज़र आ रहा है उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि ये सरकार आखिरी सांसें ले रही है।किसी ने सच ही कहा झूठ ज्यादा दिन नहीं टिक सकता। चहुंओर भाजपा का स्कोर बुरी तरह डाउन हो रहा है 

उधर मोदी शाह से भयातुर नेता अब भी अपने मानसिक संतुलन को बनाए रखने में लगे हैं उनमें से एक हैं मोदी-शाह से चोट खाए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह हैं।जो पूरी तरह इस जुगल जोड़ी के प्रति नतमस्तक होने का बराबर प्रयास करते हैं ताकि असलियत सामने ना आने पावे वरना पिछले दिनों केजरीवाल के अंतरिम जमानत के दौरान दिए भाषण को मानसिक दिवालियापन नहीं बताते।जबकि सच यह है कि मन ही मन उनकी बात से लड्डू फूट रहे होंगे जैसे अन्य मोदी शाह से पीड़ित नेताओं के मन में फूट रहे थे। शिवराज अलग माटी के बने नज़र आते हैं मोदी-शाह के वफ़ादार जबकि सच्चाई यह है कि शिवराज ने संघ का दामन थाम रखा है जो मोदी को सत्ता से बाहर करने की जुगत में लगी है। संघ की भूमिका के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं रहता वह भाजपा से ज्यादा करवटें लेने में माहिर है।कब किसके साथ हो जाए कहा नहीं जा सकता।

बहरहाल मूल सवाल पर बात हो जाए मानसिक दिवालियापन का शिकार ऐसी नाज़ुक स्थिति में कौन होगा ?यह तो दुनियां भी देख रही है मोदीजी ंइस वक्त सबसे ज्यादा मानसिक तौर पर बीमार हैं।यह बीमारी निरंतर बढ़ती जा रही है वे अंटशंट बोलने लगे हैं पिछले दिनों उन्होंने कहा कि उड़ीसा के मुख्यमंत्री को  अपने जिलों की केपिटल के बारे में नहीं मालूम।तब से यह मसला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।इसी तरह संघ की ख़ुशी के लिए शिवराज से यह कहना पड़ा कि वे उन्हें दिल्ली ले जाएंगे।मामा सब कुछ जानता है किंतु सागर में रहकर मगर से बैर वाला सिद्धांत अपनाए हुए है।

इधर यही भूत मध्यप्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री पर भी तारी है वे ऐसी प्रशंसा के पुल बांध रहे कि लगता है उनका मुख्यमंत्री पद सुरक्षित बचा रहेगा किंतु यह नामुमकिन लगता है वजह साफ़ मध्यप्रदेश से 29सीटें किसी भी हाल में नहीं आ रही हैं। संदेश साफ़ है। शिवराज से मोदीशाह की उम्मीदों पर भी पानी फिरने जा रहा है यानि शिवराज के साथ वर्तमान मुख्यमंत्री भी ख़तरे में हैं।

ये बात और अजीब होगी यदि इंडिया गठबंधन सरकार बना लेती है तो दबा छुपा मानसिक दिवालियापन लोगों का खुलकर सामने आ जाएगा।तब क्या तस्वीर होगी अतिशय चापलूस लोगों की।यदि तोड़ फोड़ की परम्परागत रणनीति से मोदी शाह फिर सत्ता पर सवार हो जाते हैं ,जो मुमकिन नहीं लगता तो यह तय है ऐसे लोग मोदी की बादशाहत कुबूल करने में उनको विकट स्थिति  में खड़ा कर देंगे।तब कोई चापलूस नेता काम ना आएगा ना उनकी पूछ परख होगी।मतलब यह हर हाल में  भाजपा की स्थिति सांप छछूंदर जैसी होगी।इसके आसार नज़र आने लगे हैं।

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