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नहीं बदले हाल ए सूरत शिवराज सरकार के ?

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भोपाल। । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भले ही मध्यप्रदेश की भाजपा के प्रादेशिक कार्यकारिणी के अवसर पर भले ही प्रदेश के भाजपा की सरकार के मुखिया शिवराज सिंह की कार्यशैली को लेकर कसीदे पढ़े हों लेकिन हकीकत यह है कि यदि शिवराज सिंह के पिछले १५ सालों के शासन का कार्यकाल और वर्तमान में कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरदित्य सिंधिया व उनकी ही पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के पुत्रों के चलते उनकी जो उपेक्षा की गई उससे नाराज होकर वह और उनके समर्थकों के कांग्रेस से पाला बदलने के बाद भाजपा में आने के बाद चौथी बार उधार के सिंदूर के चलते मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए शिवराज सिंह की कार्यशैली की यदि समीक्षा की जाये तो सत्ता पर काबिज होने के बाद शिवराज व उनकी धर्मपत्नी ने जो संदेश इस प्रदेश की जनता को डम्पर खरीदी मामले को अंजाम देकर राज्य की नौकरशाही और भ्रष्ट राजनेताओं और सत्ता के दलालों को जो संकेत दिया था उसी के अनुरूप यह पहले और अभी की सरकार चलती नजर आ रही है

इस सरकार को लेकर जहां भाजपा के बुजुर्ग नेताओं का जो मानना है और वह यह कहने में जरा भी हिचक नहीं करते कि शिवराज की सरकार में तो सबकुछ अमनचैन के नाम पर ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की जो गंगोत्री बह रही है उसमें डुबकी लगाकर राजनेता व अधिकारी अपनी तिजोरी भरने में लगे हुए हैं प्रदेश की आम जनता ही नहीं बल्कि अब भाजपाई नेता भी दबी जुबान से यह कहने में नहीं चूक रहे हैं कि शिवराज सिंह की किरार समाज के बारे में किरार बाहुल्य इलाकों में जिस तरह की चर्चायें लोग करते हैं शिवराज सरकार भी उसी कहावत को चरितार्थ करती नजर आ रही है तभी तो आपदा जैसी महामारी के दौर में भी आपदा में अवसर तलाशने की क्षमता शिवराज सिंह में ही है, हालांकि जब २०१८ के विधानसभा चुनावों में प्रदेश के मतदाताओं ने भाजपा नेताओं में पनपे असंतोष और मतदाताओं के द्वारा शिवराज सिंह के द्वारा योजनाओं के झुनझुने से नाराज होकर उन्हें सत्ता से बेदखल किया था उसके बाद १५ महीने की जो कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार बनी थी उस सरकार के दौरान सनातन धर्म में माने जाने वाला महापर्व सिंहस्थ जैसे पर्व में हुए तमाम तरह की अनियमिततायें और भ्रष्टाचार को लेकर जो खुलासा कमलनाथ सरकार द्वारा किया गया था लेकिन राजनीति को जो लोग वैश्या की संज्ञा देते हैं उन लोगों के अनुसार वही कहावत चरितार्थ हुई और जिस सिंहस्थ के घोटाले को लेकर कांग्रेसियों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी वह उस सिंहस्थ के घोटाले को लेकर हंगामा तो जरूर करते रहे लेकिन उस घोटाले को इस जनता के सामने नहीं ला पाए? शायद यही वजह है कि ऐसे नेताओं की कार्यशैली को लेकर लोग अक्सर चटकारे लेकर यह चर्चा करते नजर आते हैं कि चोर-चोर मौसेरे भाई की संज्ञा देते नजर आते हैं, वहीं कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार के दौरान शिवराज सिंह चौहान के १५ वर्षों के शासनकाल के दौरान तमाम उजागर कर सुर्खियां बटोरी गई, लेकिन एक भी घोटाले का खुलासा वह अपने १५ महीने के शासनकाल में जनता के सामने खुलासा करके इस शिवराज सरकार के चाल, चरित्र और चेहरे को उजागर नहीं कर पाये और आखिरकार उस सरकार में भी वही हुआ जिसे लगभग १७ सालों से शिवराज सिंह के कार्यकाल में देख रही है, यह अलग बात है कि एक देश के फिल्म जगत के जाने-माने शोमेन राजकपूर की तरह अपनी शोमैनी दिखाते हुए शिवराज सिंह जरूर आज भी शोमैन बने हुए हैं, लेकिन यदि उनकी कार्यशैली पर नजर डालें तो जिन भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर वह कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार को घेरने में लगे हुए थे वही सबकुछ इस प्रदेश की जनता ने कोरोना जैसी महामारी के दौर में सिंहस्थ की तरह घोटाले होते देखे हैं, हालांकि इस घोटाले को उजागर करने का साहस उनके ही शासन के एक आईएएस लोकश कुमार जांगिड़ ने बड़वानी के कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा द्वारा की गई ऑक्सीजन कंसंटे्रटर खरीदी में हुए घोटाले को उजागर करके प्रदेश में कोरोना महामारी के दौर में की गई खरीदी को उजागर करने का साहस किया, शायद यही वजह है कि उनके इस साहस के खिलाफ पूरे प्रदेश के राजनेता ही नहीं बल्कि नौकरशाही भी एकजुट हो गई।

बड़वानी के जिस कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के द्वारा खरीदी में किये गये गोलमाल को उजागर करने को लेकर लोकेश कुमार जांगिड़ के स्थानान्तरण की सिफारिश शासन को की तो सरकार ने उनका स्थानान्तरण भी इतनी फुर्ती से किया क्योंकि सत्ताधीशों और नौकरशाही लोकेश सिंह जांगिड़ के खरीदी खुलासे को उजागर करने से इतनी भयभीत हो गई थी कि उनका स्थानान्तरण कर दिया गया और आज भी उनको लेकर तरह-तरह की चर्चायें जारी हैं, बड़वानी के वर्तमान कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा की कार्यशैली के बारे में जहां तक अधिकारियों में चर्चा और खासकर आबकारी विभाग में जो चर्चायें लोग चटकारे लेकर करते नजर आते हैं उससे तो उनकी कार्यशैली और छवि भी मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की कार्यशैली जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहने का आरोप तत्कालीन भारतीय जनशक्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष उमा भारती के आरोपों के अनुरूप ही नजर आती है तभी तो कोरोना काल में अकेले बड़वानी ही नहीं बल्कि प्रदेशभर के कई जिलों में खूब खेल हुए, यदि उन सबकी जांच शिवराज सिंह की शान में कसीदे पडऩे वाले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा किसी निष्पक्ष एजेंसी से करा लें तो आज भी उन भाजपाई नेताओं की समझ में यह आ जायेगा कि शिवराज सिंह की कार्यशैली में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को ही नहीं बल्कि जिन माफियाओं को वह दस फुट नीचे जमीन में गाढऩे की बात दोहराते हैं उनकी इस चुनौती में कितना दम है हालांकि इस संबंध में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर जो बताया उनके अनुसार कोरोना काल में जो खेल हुए उसके चलते इस प्रदेश की जनता को खूब गुमराह किया गया, तभी तो प्रदेश की बात छोडिय़े राजधानी के हमीदिया अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी का जो मामला उजागर हुआ था उसको लेकर बड़ा हंगामा हुआ था लेकिन उसको इसलिये रफा-दफा कर दिया गया क्योंकि उसमें शिवराज सिंह और उनके कई मंत्रियों के चेहरे पर जनता के हितैषी होने का जो नकाब पड़ा हुआ है वह उजागर होने की संभावनायें ज्यादा व्यक्त की जा रही हैं। मजे की बात तो यह है कि इसी कोरोना काल में उद्योगपतियों व दानदताओं द्वारा कोविड सेंटर खोलने या उससे संबंधित उपकरण व दवायें उपलब्ध कराने के लिये जो सहयोग शासन का दिया गया उसका भी खूब मखौल उड़ाया गया तो वहीं कोरोना सेंटर खोलने के नाम पर भी जमकर खेल हुए तो वहीं एक-एक कोरोना सेंटर का तीन-तीन बार लोकार्पण कराया गया, इसका जीता जागता उदाहरण छतरपुर जिले के नौगांव जिले में गुजरात की सामाजिक संस्था सूरज हीरा फाउंडेशन ने नौगांव के टीबी अस्पताल में जो भववन कोविड सेंटर खोलने के लिए जो सहयोग दिया गया था उसकी कहानी भी शिवराज सिंह चौहान की तरह अजब-गजब है उस कोविड सेंटर का पहले कलेक्टर द्वारा लोकार्पण किया गया फिर १४ मई को जब राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा जब छतपुर जिले के प्रवास पर थे तब उस समय उसका लोकार्पण करवाया गया

शिवराज सिंह के शासनकाल की कार्यशैली में बसे कलेक्टर और नौकरशाही की कार्यशैली का उदाहरण कोरोना जैसी महामारी में लोगों के सहयोग करने की बजाय उसके नाम पर खेल किये जाने की अजब दास्तान की जो आदत मौजूद है उसके चलते २३ जून को कलेक्टर छतरपुर और वहां के प्रशासनिक अधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ऑनलाइन इस कोविड सेंटर का उद्घाटन करवा डाला।

यह सब घटनायें इस ओर संकेत करती हैं कि शिवराज के शासनकाल में योजनाओं के आंकड़ों की फर्जी रंगोली सजाकर मुख्यमंत्री को खुश करने व जनता को गुमराह करने का जो खेल शिवराज के शासनकाल में जो चलता रहा वैसा ही खेल कोरोना महामारी के दौरान लोगों की जान बचाने के नाम पर खूब खेला गया इसी कोरोना महामारी के दौरान शिवराज सरकार द्वारा एक करोड़ वैक्सीन खरीदने का आर्डर दिये जाने की घोषणा की गई लेकिन वह वैक्सीन कब आई किसने भेजी और कहां लगी इसका अता-पता भी प्रदेश की जनता को नहीं है शायद हमारे सत्ताधीश यह जानते हैं कि इस जनता को भूलने की आदत है यही वजह है कि वह हर समय चाहे महामारी का दौर हो या किसानों पर आई विपदा का समय हो शंख ढपोलशंख जैसी घोषणायें करते रहते हैं तो वहीं उनकी नौकरशाही उन योजनाओं के फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर जनता को गुमराह करती रहती है, शायद यही वजह है कि वर्षों तक आबकारी जैसे विभाग में रहे बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने भी इस कोरोना महामारी के दौर में जब सामाजिक संस्थायें और लोग लोगों की मदद करने में लगे हुए थे उस समय भी उसके नाम पर खरीदे जाने वाली ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में खरीदी के नाम पर घोटाला करके शिवराज सरकार के कार्यशैली के चलते कोराना महामारी के दौरान जनता के हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने के साथ-साथ जिस तरह का खेल खेला गया उसे उजागर करने का साहस बड़वानी के ही अपर कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने उजागर करने का साहस किया, कुल मिलाकर कोरोना महामारी के इस दौर को शासन की कार्यशैली के चलते सनातन धर्म के महा पर्व सिंहस्थ में हुए अनियमितताओं और घोटालों का भी रिकार्ड तोड़ दिया, लेकिन इसे उजागर करने का साहस किसी जनप्रतिनिधि में नहीं है जो काम जांगिड़ ने कर दिखाया, अब देखना यह है कि शिवराज सिंह की कार्यशैली के अनुरूप वर्षों तक आबकारी विभाग में रहे शिवराज सिंह वर्मा के खिलाफ क्या लोकेश कुमार जांगिड़ की तरह कार्यवाही करने का साहस शिवराज सरकार और नौकरशाही उठा पायेगी या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है? यही वजह है कि लोग अब इस कोरोना महामारी को सिंहस्थ में हुए घोटाले की नजर से देखते नजर आ रहे हैं?

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