Site icon अग्नि आलोक

कश्मीर फाइल्स के पीछे की साजिश और कश्मीर त्रासदी का सच

Share

अजय असुर

भाग- 5*
कश्मीर फाईल्स फिल्म के एक शुरूआती सीन में एक कश्मीरी पण्डित का पड़ोसी जो कि मुसलमान है और मुसलमान होने के नाते आतंकवादी है। उस कश्मीरी पंडित के परिवार की महिला को उसके पति के खून से सने चावल खाने को मजबूर करता है और खिलता भी है, खून से सना चावल। आप फिल्म के इस दृश्य से सोच लीजिये कि फिल्म के निर्माता-निर्देशक कितना जहर भरना चाहते हैं समाज के लोगों के मन में। 
भाजपा शासित प्रदेशों के अलावा अन्य गैर भाजपा शासित प्रदेश में भी इस फिल्म कश्मीर फाईल्स को टैक्स फ्री कर दिया है।  गोवा, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, त्रिपुरा, उतराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं, ताकि इस फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें। निश्चित ही धीरे-धीरे लगभग भारत के सभी राज्यों में यह फिल्म जल्द ही टैक्स फ्री हो जायेगी।  सोशल मीडिया पर आर एस एंस के कई लोग इनवाइट कर रहें हैं कि आइये और इस फिल्म का हमारी तरफ से मुफ्त में आनन्द उठाईये, फिल्म के टिकट की कीमत हम वहन करूंगा और यदि ग्रुप में आयेंगे और बढ़िया होगा। देश के कोने-कोने में ऐसे कई लोगों ने एडवांस में टिकट बुक कर लिये हैं लोगों के लिये और अपने जानने वालों और जानने के जानने वालों और सोशल मीडिया पर खुलेआम इनवाईट कर रहें हैं। 
देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इस फिल्म को देखने के लिये लोगों को प्रोत्साहित कर रहें हैं और दोनों ही इस फिल्म के टीम से मिलकर उनको इस नेक काम की बधाई भी दे चुके हैं। मध्य प्रदेश की सरकार ने तो दो कदम आगे बढ़कर प्रदेश के पुलिसवालों को कश्मीर फाइल फिल्म देखने के लिये छुट्टी दिया है।
तमाम शहरों के थियेटरों में संघ परिवार के कार्यकर्ता और उसके गुण्डे फिल्म के दौरान और विशेषकर फिल्म देखने के बाद में कट्टरपंथी हिन्दुत्व की नफरती और जहरीली राजनतिक प्रोपागैण्डा में तब्दील कर रहे हैं। स्पष्ट है कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है जिसका समाज पर वैसा ही असर होने वाला है। इस फिल्म के जरिये ज्यादा से ज्यादा लोगों तक एक नफरती नरेटिव तैयार किया जा रहा है और जगमोहन की तरह जल्द ही इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को भी जल्द से जल्द कोई बड़ा इनाम मिलेगा।
फ़िल्म में पण्डितों को कश्मीर घाटी में सुरक्षा का आश्वासन देने की बजाये उनके पलायन को बढ़ावा देने में जगमोहन की भूमिका पर भी पूरी तरह से पर्दा डाला गया है। इसी तरह फिल्म में 19 जनवरी 1990 को श्रीनगर में कश्मीरी पण्डितों पर हुए हमलों और उनके ख़िलाफ नफरत से भरी नारेबाजी को विस्तार से दिखाया है लेकिन इस सच्चाई को छिपा दिया है कि उसके दो दिन बाद ही श्रीनगर के गौकदल पुल के पास सीआरपीएफ की अन्धाधुन्ध गोलीबारी में 50 से अधिक कश्मीरियों की जान चली गयी थी जिसके बाद से घाटी का माहौल और ख़राब हो गया था।  कश्मीर घाटी से पण्डितों के पलायन और उन पर हुए जुल्म पर बनी फिल्म इस वक्त सोशल मीडिया के अलावा आम लोगों के चर्चा का विषय हो गया है और इस फिल्म के जरिये शासक वर्ग सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रही है। इस फिल्म के आखिरी सीन में नदीमार्ग गाँव के सभी कश्मीरी पण्डितों को लाइन में खड़ा करके उनमें से सभी को एक-एक करके गोली से मारने का वीभत्स दृश्य दिखाया जाता है और आखिर में बर्बर तरीके से बच्चे को मारते हुए दिखाया गया है ताकि फिल्म देखने वाले लोग इन बर्बर और खतरनाक सीन को देखकर सारी मुस्लिम आबादी के खिलाफ बेइन्तहाँ नफरत और गुस्से की भावना लेकर बाहर निकलें। 
इस कश्मीर फाइल नामक फिल्म के जरिये मेहनतकश जनता को यह संदेश देने की कोशिश की है कि कश्मीर घाटी में मुसलमानों ने सांप्रदायिक माहौल बनाकर वहां से कश्मीरी पण्डितों को भगाया। इस फिल्म को देखने से पहले हमें कश्मीर घाटी में हुए सारे पक्षों को समझना होगा और हकीकत से रूबरू हुए बिना शासक वर्ग के इस षडयंत्र में यदि फंस गये तो आप को दंगाई बनने से कोई रोक नहीं सकता।  इस फिल्म में कश्मीरी पण्डितों की समस्या और त्रासदी को भारत की आजादी के बाद पैदा हुई कश्मीर समस्या और त्रासदी के एक ही समस्या के रूप में दिखाने की बजाये उसे एक स्वतंत्र समस्या के रूप में पेश किया गया है। तो साथियों इस लेख में आगे कश्मीरी पण्डितों के पलायन और जुल्म के कारण को समझने का प्रयास करते हैं।
*शेष अगले भाग में….*
*अजय असुर**राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा*

Exit mobile version