–सुसंस्कृति परिहार
जी हां, मुख्यमंत्री ऐसा ही होना चाहिए।जब प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति कर्जदार की श्रेणी में हो तो मुख्यमंत्री कैसे अछूता रह सकता है।लगता है यह क़र्ज़ 2024के आम चुनाव तक तो निश्चित तौर पर बढ़ेगा क्योंकि जितनी तथाकथित जनहितैषी या महिला हितैषी योजनाएं भाजपा ने देश और प्रदेश में चलाई हैं वो बंद नहीं होंगी।अगर वे बंद हो गई तो मतदाता उखड़ भी सकता है। इसलिए लाड़ली बहनों की किश्त नहीं रुक सकती बल्कि उन्हें और भी कई प्रलोभनों में जकड़ा जाएगा ताकि भाजपा से अनुराग बराबर कायम रहे।एक दूसरी वजह ये भी है कि शिवराज सिंह जो श्रेय ले रहे हैं उसे बढ़ाकर नया मामा या भाई मोहन जी यश पाकर शिवराज को बिसरा देने का काम कर सकते हैं। मामा के साथ जुड़ी भीड़ और जय जयकार इससे यकीनन कम होगा।यह भी हो सकता इस योजना का नाम बदलकर कुछ और कर दिया जाए।
वहीं रिजर्व बैंक ने यह कहना शुरू कर दिया है कि यदि पुरानी पेंशन योजना जारी रही तो राज्यों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।मतलब कांग्रेस सरकार के हाथों से निकले दो राज्यों में पुरानी पेंशन बंद करने के साथ कहीं वसूली आदेश ना जारी हो जाएं। वृद्धों को क्या ज़रूरत है इसकी? कांग्रेस के इकलौते लोकप्रिय दांव को रिजर्व बैंक की दलीलों के साथ निश्चित तौर पर बंद किया जायेगा उनके लिए नया लोकलुभावन आदेश हो सकता है।
इधर गैस सिलेंडर भी 450 रुपए में सिर्फ लाड़ली बहनों को मिलेगा अब पता नहीं कितनी बहनों के नाम से सिलेंडर आते हैं अन्य को गैस के ऊंचे दामों से राहत मिलना मुश्किल है। संभावित है आमचुनाव से पूर्व सभी के लिए आदेश भी आ जाएं। क्योंकि तोते की जान प्रसिद्ध धन्नासेठ के पास है।वह अपने भविष्य के मुनाफे के लिए जितना मांगों क़र्ज़ देगा। बदले में देश में अकूत धन सम्पदा है।इधर से लेना उधर देना।
कहना ना होगा कि चुनाव के ये चंद माह देश में अच्छे दिन दिखा सकते है।उसके बाद आपका स्वावलंबन, सहयोग,समर्पण काम आएगा।जो देश की समस्त समस्याओं को दूर करने में भागीदार बनेगा।तो उलीचिए अभी आने वाले धन को तथा अपने को आगत संकट के लिए तैयार कर लीजिएगा फिर ना कहना बताया नहीं?
एक तस्वीर भी देख लीजिए अपने प्रदेश की, जनवरी, फरवरी, मार्च, मई, जून और सितंबर में सरकार ने आरबीआई से लोन लिया है हालांकि, 2023-24 का वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद सरकार का यह तीसरा कर्ज है. नया वित्तीय वर्ष शुरू होने तक एमपी पर लगभग 3.32 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। इसके बाद लगातार कर्ज लेने से यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुका है। एमपीमें हर शख्स 40 हजार रुपयों के कर्जे में डूबा है सितंबर के मध्य तक मध्य प्रदेश में हर व्यक्ति पर 40,000 रुपए से ज्यादा का कर्ज है, जबकि मार्च 2016 के अंत में प्रति व्यक्ति अनुमानित कर्ज 13,853 रुपये है इधर,रिजर्व बैंक की तरफ से जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का विदेशी कर्ज मार्च 2023 में करीब 625 बिलियन डॉलर रहा जबकि यह मार्च 2022 में करीब 619 बिलियन डॉलर था।
यानि देश और प्रदेश सब क़र्ज़ में डूबे हुए हैं हम सब क़र्ज़ दार हैं इस बात का सुकून है। हमारे मुख्यमंत्री मोहन यादव जी पर इन 40,000के अलावा 9करोड़ का क़र्ज़ है जबकि उनकी कुल सम्पत्ति 42करोड़ है।एक दौर था जब कर्जदार होना सामाजिक दृष्टि से बुरा समझा जाता था बुजुर्ग कहते थे जितनी चादर हो उतने पैर फैलाने चाहिए।आज के दौर में ये सिद्धांत कोई मायने नहीं रखते।अब तो पूंजीवाद का पैगाम है क़र्ज़ से ही प्रगति संभव है। इसलिए अमीर बनने कर्जदार बनें और क़र्ज़ लेने की परम्परा चल पड़ी है। बड़े बड़े पूंजीपतियों को देखिए बैंकों के अरबों रुपयों के कर्जदार है पर उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा आज सर्वोच्च श्रेणी में है।इससे घबराना कैसा ? राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट।ऐश से जीवन जियो।कल की क्या चिंता करना।जो होगा देखा जायेगा फिलहाल आमचुनाव तक चादर ओढ़कर मज़े से सोइए।