Site icon अग्नि आलोक

सफलता का श्रेय अहिंसक आंदोलन

Share

शशिकांत गुप्ते

किसान आंदोलन की सफलता,अहिंसक आंदोलन की उपलब्धि है। किसान आंदोलन की सफलता ने सिद्ध कर दिया कि भारत के लोकतंत्र को कोई भी कमजोर नहीं कर सकता है।
नागरिकता की पहचान वाला आंदोलन शाहीन बाग के नाम चर्चित हुआ था,इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए इवीम मशीन का करंट पहुँचने वाला था।
देश की राजधानी में बिजली के करंट का झड़का झाड़ू ने नहीं लगने दिया। वैसे भी लकड़ी में बिजली के करंट को रोकने की प्रतिरोधक क्षमता होती है।
मालवी भाषा में नमो का अर्थ होता है झुको। सन दो हजार चौदह में देश की राजनीति में नमो शब्द की बहुत गूंज थी। नमना मतलब लचीला (Flexible) होना होता है। कोई भी वस्तु लचीली होने से चाहे जैसी मुड़ सकती है।कठोर होने वस्तु के टूटने की पूर्ण सम्भवना होती है। यह तो जड़ वस्तुओं का स्वभाव है।
मानव का स्वभाव यदि कठोर होता है,तो यह अंहकार का प्रमाण माना जाता है। एक मनोचिकित्सक ने कहा है कि, जो भी मानव अहंकार करता है,मतलब निश्चित ही उस मानव में बहुत से ऐब होंगे,आर्थत मासनविज्ञान के अनुसार मानव अपनी कमियों और खामियों को छिपाने के लिए अहंकार करता है। अहंकार शब्द ही तानाशाही प्रवृत्ति का पर्यायवाची शब्द है।
कोई मनाव कितना भी अहंकार कर ले एक न एक दिन अंहकार टूटता ही है।
बहरहाल मुद्दा है, किसान आंदोलन के समाप्त होने का।
किसान आंदोलन में शरीक किसानों कोसतें हुए, उन्हें विभिन्न अमानवीय नामों से बदनाम करने की असफल कोशिश की गई।किसान आंदोलन को जिन लोगों ने भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से समर्थन दिया उन लोगों पर अपरिपक्व मानसिकता से ग्रसित लोगों ने नादानी पूर्ण आरोप लगाए की समर्थन करने वाले कृषक नहीं है।जो भी हो अंतः किसानों का आंदोलन सफल रहा।
इस संदर्भ में सन 1972 में प्रदर्शित राजेशखन्ना अभिनीत असफल फ़िल्म अपना देश का यह गीत प्रासंगिक है।
इस गीत को गीतकार आनंद बक्शीजी ने लिखा है।
सच के गले में पड़ी माला झूठो का तो मुँह हुआ काला
कैसे हुआ ऐसे हुआ हैरान है जाग सारा
सुन जनता सुन
गोदी मीडिया
कोई जीता कोई हरा
अरे बड़ा मज़ा आए हे सुनो मेरी बात
झूमे नाचे गाए चलो आज सारी रात

लेखक यह स्पष्टीकरण देना अपना परम कर्तव्य समझता है कि, उक्त गीत की पंक्तियां लेखक से सिर्फ उद्धृत की है।इस गीत को गीतकार आनन्दबक्शीजी ने लिखा है।
कलयुग में त्रेतायुग के खलनायक कुंभकर्ण की नींद की अवधि
(छः माह) दुगुनी हो जाने से सात सौ से अधिक बलिदानों के बाद जागना भी अंहकारी नींद ही तो कहलाएगी?
एक मुहावरा है, जब जागो तब सवेरा इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग इस तरह हो सकता है।
*यदि किसी व्यक्ति के मानस पटल पर अहंकार के हावी होने से उपजी नासमझी के कारण व्यक्ति कोई गलत कार्य कर रहा हो,ऐसे व्यक्ति को यह समझ में आ जाता है कि, वह जो भी कर रहा है वह ग़लत है,उसे छोड़ देना चाहिए,इसे कहतें हैं, *जब जागो तब सवेरा*
कहावतें, मुहावरे और सूक्तियां मानव के बुद्धि में विवेक जागृत करती हैं। बशर्ते मानव का मानस चैतन्य हो।
किसान आंदोलन की सफलता के लिए आन्दोलनजीवियों को बधाई।
आंदोलन की सफलता ने सिद्घ कर दिया कि, गांधीजी के शरीर को मारना आसान है लेकिन गांधीजी के विचार अमर ही रहेंगे।
सत्यमेव जयते।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

Exit mobile version