एकदा_जंबूद्वीपे
RSS प्रचारित करता है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही है? अब सोचिए कि जब रासस प्रारंभिक सदस्यता से लेकर अन्य किसी भी प्रकार से अपने स्वयंसेवकों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं रखता तो फिर उसका यह दावा झूठ नहीं तो और क्या है?
RSS का दूसरा दावा है कि वह एक सामाजिक संगठन है जिसका राजनीति से कोई सम्बंध नहीं है लेकिन क्या यह सच है?
यह सर्वविदित है कि संघ ने जिस तरह अपने अनेकों आनुषांगिक संगठन खड़े किये हुए हैं उन्हीं में से एक है—भारतीय जनता पार्टी। जिसका सांगठनिक ढांचा तैयार करने, चुनावी रणनीति बनाने, प्रत्याशियों को टिकट बांटने, सरकार बनने पर मंत्रिमंडल का गठन, विभागों का आबंटन तथा सरकार को नियंत्रित करने आदि सारे काम रासस ही करता है, और इस पर भी तुर्रा यह कि उसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है? क्या यह झूठ, धोखाधड़ी, दोगलापन और अनैतिकता नहीं है? इससे बड़ा झूठ और धोखाधड़ी कुछ नहीं हो सकता है।
झूठ स्वयं में एक अनैतिक आचरण है क्योंकि झूठ बोलने का मतलब है ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति जो दूसरों के साथ धोखाधड़ी कर उन्हें गुमराह करने में संकोच नहीं करती। इसमें जो प्रकट रूप में सामने दिखाया जाता है, वह पर्दे के पीछे सच से परे कुछ और ही होता है। कोई भी सभ्य और चारित्रिक रूप से मजबूत व्यक्ति ऐसे अनैतिक व्यवहार से बचने का प्रयास करता है।
संघी बिरादरी का काम किसी तथ्य, घटना या व्यक्ति को विवादास्पद बना देना है फिर उसके बाद झूठ का पहाड़ खड़ा कर दिया जाता है और अंत में विजेता की मुद्रा में खुद को स्थापित किया जाता है। इन्होंने यह कला अपने नाजी पुरखे जोसफ गोयबल्स से सीखी है, जिसने कहा था कि एक ही झूठ को सौ बार बोलने से वह सच में बदल जाता है।
इस नजरिए से तो ‘असत्यं वद अधर्मं चर’ ही रासस का जीवन आधार है। अब तो बाकायदा आइटी सैल खोलकर देश के विभिन्न हिस्सों में आइटी स्वयंसेवक भर्ती कर उन्हें केंद्रीय स्तर पर तैयार किये गये झूठे संदेश, फोटो, वीडियो और किस्से-कहानियां भेजकर उन्हें वाइरल कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके लिए भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जगह-जगह जाकर झूठ फैलाने का प्रशिक्षण दिया था।
संघ पूरी तरह झूठ, अनैतिकता और काल्पनिकता पर खड़ा ऐसा अखाड़ा है जिसमें स्वाभाविक रूप से वही बड़ा पहलवान है जो इन नकारात्मकताओं में पारंगत है। आप किसी भी संघी से बात कीजिए वह दो मिनट में ही आपको एक ऐसे कल्पनालोक में ले जाने की भरपूर कोशिश करना शुरू कर देगा जहां झूठ और झूठ के सिवा कुछ नहीं होगा।
झूठ, फरेब और अनैतिकता पर टिकी रासस की विषबेल सर्वव्यापी हो गई है और यह उसके विनाश के लक्षण हैं क्योंकि अब वह भारत विरोधी अभियान चलाये हुए है। जिसमें न केवल देश को आर्थिक रूप से तबाह किया जा रहा है बल्कि इसके प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप को भी तहस-नहस करने के लिए दिन-रात झूठ-कपट और छल-प्रपंच का मायाजाल फैलाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। ताकि देश की सत्ता पर अनंतकाल तक कब्जा जमाये रखा जा सके। यह अति है। और जहां अति होती है, वहां इति हो जाती है; यह प्राकृतिक सत्य है।
इसलिए इस महान और प्राचीन देश को खत्म करने चले रासस का स्वयं ही नष्ट हो जाना तय है क्योंकि यह उन वैश्विक शक्तियों का टूल किट बन गया है जो भारत को रुग्ण और विखंडित करना चाहती हैं लेकिन इसके नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्य को अस्वीकार कर उसके स्थान पर असत्य और अनैतिकता को प्रतिष्ठापित करने का अंत बहुत भयानक होता आया है! वह चाहे नितांत व्यक्तिगत स्तर पर हो या सांगठनिक ढांचे के अंतर्गत।
इसलिए नाज़ियों की तरह सत्य के विरुद्ध ‘असत्यं वद अधर्मं चर’ की दुराग्रही कुटैव से ग्रस्त झूठों के इस संगठन का अंत ज्यादा दूर नहीं है। ■
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