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हनुमान जी के जन्मस्थान पर घमासान….. विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया

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आज हनुमान जयंती है। अयोध्या में राम मंदिर का काम आधा हो चुका, 2024 यानी अगले साल मंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा, लेकिन प्रभु राम के भक्त हनुमान के जन्मस्थान पर विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया है।

दक्षिण के दो राज्य कर्नाटक और आंध्र प्रदेश अपने यहां हनुमान का जन्म होने का दावा करते हैं। इस लड़ाई में एक तरफ आंध्र का तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी TTD है, तो दूसरी तरफ कर्नाटक के किष्किंधा का श्री अंजनेय जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट।

कर्नाटक का दावा है कि हंपी से करीब 25 किमी दूर अनेगुंडी गांव ही किष्किंधा नगरी है और यहीं पवनपुत्र जन्मे थे। वहीं, TTD कह रहा है कि तिरुमाला की 7 पहाड़ियों में से एक पर हनुमान जी का जन्म हुआ। हालांकि, वह इससे इनकार नहीं करता कि अनेगुंडी गांव ही किष्किंधा है।

TTD ने तिरुमाला की आंजनेय पहाड़ी पर मंदिर में आने वाले भक्तों को फैसिलिटी देने के लिए भूमिपूजन भी कर दिया था, लेकिन कर्नाटक के श्री हनुमान जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गोविंदानंद सरस्वती ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में इस निर्माण कार्य को चुनौती दी। कोर्ट ने पिछले साल इस पर स्टे लगा दिया था, जो अब तक लगा है।

TTD ने जन्मस्थान का पता लगाने कमेटी बनाई, कर्नाटक ने रिपोर्ट खारिज की
2020 में TTD ने 7 सदस्यों की कमेटी बनाई थी, जिसने साबित करने की कोशिश की है कि हनुमान जी का जन्म स्थान तिरुमाला ही है। कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, वह तेलुगू, अंग्रेजी सहित हिंदी में भी पब्लिश हो चुकी है, पर कर्नाटक वाले इसे नहीं मानते। हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर उनके तर्क और प्रमाण अलग हैं।

एक साल पहले दैनिक भास्कर की टीम दोनों ही राज्यों में उन जगहों तक पहुंची थी, जहां हनुमान जन्म स्थान होने का दावा किया जा रहा है। हमने 3 हजार किमी से ज्यादा की यात्रा की। दोनों जगहों के एक्सपर्ट्स से बात की, नेचुरल एविडेंस देखे।

इन दोनों जगहों के एक्सपर्ट्स के अलावा राम जी के वनगमन स्थलों को एक सूत्र में पिरोने वाले रिसर्चर डॉ. राम अवतार से भी बात की और इसके बाद यह रिपोर्ट लिखी। हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर दोबारा ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट पब्लिश कर रहे हैं।

तथ्यों को और ज्यादा टटोलने के लिए हम इतिहासकार, आर्कियोलॉजिस्ट और 20 साल से भी ज्यादा समय से हंपी और किष्किंधा में रिसर्च कर रहे डॉ. शरणबसप्पा कोलकर के पास पहुंचे।

वे कन्नड़ में बातचीत करते हैं, इसलिए हम अपने साथ एक बाइलिंगुअल को भी ले गए। डॉ. कोलकर के मुताबिक, हनुमान जी की जन्मभूमि कर्नाटक में हंपी के पास स्थित किष्किंधा ही है।

अब चलिए तिरुपति…

कर्नाटक से सभी तथ्य जुटाने के बाद हम आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी पहुंचे। हनुमान जन्म स्थान को लेकर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने जिन 7 सदस्यों की कमेटी बनाई है, उन्हीं में से एक और तिरुपति में स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ में प्रोफेसर सदाशिव मूर्ति से हमने डिटेल में बात की।श्री वेंकटेश्वर उच्च धर्मशास्त्रीय संस्थान के अधिकारी और हनुमान जन्मस्थान को लेकर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की बनाई गई कमेटी के मेंबर डॉ. अकेला विभीषण शर्मा से हमने मुलाकात की। कई प्रमाण उन्होंने भी दिए।

वनगमन स्थलों को एक सूत्र में पिरोने वाले शोधकर्ता डॉ. राम अवतार कहते हैं- मैं हंपी को ही हनुमान जन्म स्थान मानता हूं। वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड में अध्याय नंबर 12 में मतंग वन की चर्चा है और वो सिर्फ किष्किंधा में है, तिरुमाला में नहीं है। ऐसा उल्लेख है कि मतंग वन में वो खेले-कूदे।

निष्कर्ष : दोनों ही राज्यों के अपने-अपने दावे हैं, विश्वास है और प्रमाण हैं। हालांकि नेचुरल एविडेंस ये बताते हैं कि हंपी के पास स्थित किष्किंधा ही अंजनी पुत्र हनुमान की जन्मस्थली है, लेकिन इस बारे में कोई एक फैसला लेना मुश्किल है। अंजनाद्रि पर्वत पर TTD के निर्माण कार्य का मामला हाईकोर्ट में है। इस पर अभी फैसला नहीं आया है।

राम मंदिर जैसा असर दक्षिण में हनुमान मंदिर से होगा
गंगावती में रहने वाले RSS नेता संतोष कहते हैं कि हनुमान जन्म स्थली के डेवलपमेंट के लिए 120 करोड़ रुपए सेंक्शन किए जा चुके हैं। जमीन अधिगृहण का काम भी शुरू हो गया है। इसका बड़ा पॉलिटिकल इम्पैक्ट होना भी तय है।

जैसे अयोध्या हिंदुओं की श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है, वैसे ही किष्किंधा भी बनेगा। दक्षिण भारत के साथ ही पूरे भारत में इसका असर दिखेगा। आने वाले सालों में हजारों-लाखों की संख्या में यहां हिंदू दर्शन के लिए पहुंचेंगे।

इन जगहों पर भी हनुमान जन्म का दावा

(प्रोफेसर मूर्ति के मुताबिक इन जगहों के वाल्मीकि रामायण, शास्त्रों, पुराणों में कहीं कोई सबूत नहीं मिलते)

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