अब सब कुछ हैक है
और सब कुछ सैट है
माँस नौचने दाँत भी,
रैक भी, सब सैट है ।
रवींद्र शर्मा
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फासीवादी मोदी सरकार के घिनौने कामों को उजागर करने के लिए भारत समाचार, दैनिक भास्कर तथा एनडीटीवी के कई पत्रकारों को बधाई दी जानी चाहिए। लेकिन इस गहमागहमी और लोकतंत्र को बचाने के शोर में यह नहीं भूलना चाहिए कि पूंजीवादी लोकतंत्र पूंजी के मालिकों के द्वारा चलाए जाते हैं। जब पूरी दुनिया के मैं तमाम साधनों पर पूंजी और पूंजी के मालिकों का वर्चस्वपूर्ण कब्जा है, तब स्वतंत्र पत्रकारिता के झूठे आदर्श का बखान सच्चाई और सच्चे लोकतंत्र से गद्दारी होगा।
हमें इस सच को स्वीकार करना चाहिए कि पूंजीवाद में पूंजीवादी अखबार जनता के पक्ष में कई मुद्दों पर खड़ा होने के बावजूद अंततः शासक वर्ग और पूंजीपतियों के इस गुट या उसके पक्ष में माहौल बनाता है। सच्चा लोकतंत्र तो तब स्थापित होगा जब भारत की 1 अरब मेहनतकश आबादी को अपनी बात कहने लिखने और छपने के साधन, शिक्षा और उन्नत संस्कृति का मार्ग प्रशस्त होगा। जब शिक्षा को इतनी महंगी की जा रही है, मेहनतकशो का शहरों में बस्तियां उजाड़ी जा रही है, जब उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य इतना मंहगा और उनके सीमा से बाहर जा रही है ,ऐसी जलालत भरी जिंदगी में वे कैसे लिखें पढ़ेंगे और अपनी संस्कृति का विकास करेंगे, वे कैसे अपने विचारों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति दे पाएंगे। इसलिए मोदी सरकार के आशीर्वाद के खिलाफ संघर्ष करते हुए लोकतंत्र की लड़ाई को अगले मंजिल तक पहुंचाने के लिए हमें पूंजी के वर्चस्व के खिलाफ लड़ना होगा।
पूंजी के शोषण का जो खेल चल रहा है, जो वित्त पूंजी और डब्ल्यूटीओ के माध्यम से करोड़ों लोगों को बेरोजगार बनाया जा रहा है, लोगों के अभाव में रहते हुए भी उत्पादन की प्रक्रिया ठप हो रही है, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण कर मुनाफे का जो केंद्र बनाया जा रहा है प्रतिक्रियावादी जन विरोधी सांस्कृतिक और धार्मिक कारणों को बढ़ावा दिया जा रहा है, इनके खिलाफ व्यापक जनांदोलन खड़ा नहीं किया जाता है तो हम सच्चे लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकते हैं। याद रखें सच्चा लोकतंत्र तभी स्थापित हो सकता है जब उत्पादन के साधनों और आर्थिक सामाजिक व्यवस्था पर भारत की एक अरब आबादी का नियंत्रण होगा और यह सारा उत्पादन व्यवस्था बाजार के बजाय लोगों की जरूरत के द्वारा सरकार और समाज के द्वारा संचालित होगा।
नरेन्द्र कुमार