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आरएसएस के दबाव में उदयपुर में बीच में रोकी गई कबीर के भजनों पर आधारित फ़िल्म ‘हद-अनहद’

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नौवें उदयपुर फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन भोजन के बाद के सत्र में आरएसएस के कार्यकर्ताओं के विरोध और उनके दबाव में कार्यक्रम स्थल-आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने फिल्म प्रदर्शन रुकवा दिया। इसके बाद उदयपुर फिल्म सोसाइटी के प्रतिनिधियों और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की लम्बी बैठक प्राचार्य कक्ष में चली जिसके बेनतीजा रहने के बाद फेस्टिवल का आज का शेष कार्यक्रम जबरन रद्द करवा दिया गया। सिनेमा हॉल में कई महत्त्वपूर्ण निदेशक, तकनीशियन और अभिनेता मौजूद थे और बड़ी संख्या में स्थानीय दर्शक भी फ़िल्में देखने के लिए राजस्थान के विभिन्न शहरों से आये हुए थे, सभी को निराश होकर लौटना पड़ा। गौरतलब है कि उदयपुर फिल्म फेस्टिवल 15,16 और 17 नवंबर को राजस्थान के उदयपुर में आयोजित किया जा रहा था।

आरएसएस के कायकर्ताओं की मुख्य आपत्ति फिल्मोत्सव का समर्पण डॉ. जीएन साईबाबा और फिलीस्तीन के जनसंहार में मारे गए मासूम बच्चों के नाम किये जाने से थी। फिल्म सोसाइटी प्रतिनिधियों ने कहा कि वे प्रत्येक हत्या को गलत मानते हैं और मारे गए प्रत्येक नागरिक को श्रद्धांजलि अर्पित करने को तैयार हैं किन्तु आरएसएस कार्यकर्ताओं की इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया कि फिलीस्तीन के मासूम बच्चों को दी गयी श्रद्धांजलि वापिस ली जाये और इसके लिए फिल्म सोसाइटी माफी मांगे।

उदयपुर फिल्म सोसाइटी का मानना है कि फिलीस्तीन में हो रहे सतत जनसंहार का विरोध करना प्रत्येक अमनपसंद नागरिक का कर्तव्य है। आरएसएस कार्यकर्ताओं ने प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा के लिए भी अपमानजनक भाषा का उपयोग करते हुए उन्हें आतंकवादी की संज्ञा दी।

ज्ञातव्य है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर साईबाबा को यूएपीए के काले क़ानून के तहत दस वर्ष जेल में बिताने पड़े थे, फिर उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया और उन्हें ससम्मान बरी किया। किन्तु प्रोफ़ेसर साईबाबा जो शारीरिक रूप से नब्बे फीसदी असमर्थ थे, दस वर्षों की जेल यातना को सह नहीं पाये और रिहा होने के छह महीने के भीतर उनका देहांत हो गया।

सोसाइटी प्रतिनिधि इसके बाद जिला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल से भी मिलने गए किन्तु उन्होंने कहा कि वे असहाय हैं। विडंबना ये थी कि कॉलेज प्रशासन का कहना था कि कलेक्टर की स्वीकृति लाई जाए और कलेक्टर का कहना था कि ये सोसाइटी और कॉलेज का अंदरूनी मामला है। यहां यह जानना भी ज़रूरी है कि फ़िल्म प्रदर्शन को रोकने के दौरान आरएनटी मेडिकल कालेज प्रतिनिधियों के साथ स्थानीय पुलिस चौकी प्रभारी भी मौजूद थे।

उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल राष्ट्रीय स्तर पर सिनेमा दिखाने के अभियान ‘प्रतिरोध का सिनेमा’ का सहयोगी है। प्रतिरोध का सिनेमा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय जोशी ने इस की घटना कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सिनेमा या किसी भी कला रूप को कोई भी ताकत जबरन रोक नहीं सकती, सच्चा सिनेमा अपने लोगों तक हर हाल में पहुंचेगा ही। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नफरत की राजनीति का जहर इस तरह से हावी हो गया है कि नरसंहार में मारे गए हजारों मासूम बच्चों के प्रति भी हमारी संवेदना नहीं जागती।

उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी की संयोजक रिंकू परिहार ने कहा कि उदयपुर फिल्म सोसाइटी द्वारा 2 महीने पहले ही निर्धारित राशि जमा करवाकर आरएनटी मेडिकल कालेज से लिखित अनुमति हासिल की थी उसके बावजूद आरएनटी मेडिकल प्रशासन ने बिना किसी लिखित नोटिस के असामाजिक तत्वों के दबाव में आकर चल रहे फिल्म प्रदर्शन को जबरन रुकवा दिया। त्रासद यह था कि जिस समय फ़िल्म रुकवाई गई उस समय शबनम विरमानी की फिल्म ‘हद -अनहद ‘ चल रही थी जोकि कबीर के भजनों की सार्वभौम पहुँच के माध्यम से साम्रदायिक सद्भाव की दास्तान है। उन्होंने कहा कि फेस्टिवल हर हाल में जारी रहेगा और कल यानी 17 नवम्बर को शेष फिल्मों के साथ उदयपुर के अशोक नगर स्थित सांडेश्वर महादेव के मंदिर नजदीक A 9 में किया जाएगा।

उदयपुर फ़िल्म सोसाइटी की उदयपुर शहर के लोकतांत्रिक और जन सिनेमा प्रेमी लोगों से अपील

मित्रो, आपको अब तक पता चल गया होगा कि कल 16 नवंबर 2024 को उदयपुर फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन की फिल्म स्क्रीनिंग को असामाजिक तत्वों के दबाव में आकर आर एन टी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने गैर कानूनी तरीके से जबरन रुकवा दिया। कारण सिर्फ इतना था कि नौवां उदयपुर फिल्म फेस्टिवल डॉ जी.एन. साईबाबा व फिलीस्तीन के नरसंहार में मारे गए हजारों मासूम बच्चों को समर्पित था।

हम आप सभी अमन-चैन पसंद नागरिकों से अपील करते है कि कल ज्यादा से ज्यादा संख्या में हमारे नए प्रदर्शन स्थल पर आकर नवें उदयपुर फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन को कामयाब बनाएं।

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