AK-56 का लाइसेंस जारी करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र
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निर्मल कुमार शर्मा
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
मेरा नाम रतन लाल है। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में इतिहास पढ़ाता हूँ। मैं दलित समुदाय से आता हूँ। डॉक्टोरल रिसर्च के विषय के रूप में मैंने राष्ट्रवादी इतिहासकार काशीप्रसाद जायसवाल के योगदान के ऊपर शोध कर कई किताबें प्रकाशित की हैं । पढ़ने-पढ़ाने के अलावा मैं सामाजिक सरोकारों से जुड़े कामों भी भाग लेता रहा हूँ,जो कि अकादमिक जगत से जुड़े किसी भी व्यक्ति को करना ही चाहिए। इसके साथ ही तमाम टीवी चैनलों यू-टयूब इत्यादि पर भी अपनी बात रखता रहा हूँ, जिनमें से आंबेडकरनामा जैसे चैनल प्रमुख हैं। अकादमिक जगत से जुड़े होने के कारण सरकार और सामाजिक गतिविधियों की समीक्षा करना, आलोचना करना और उन पर टिप्पणी करना मेरा काम है। इसी क्रम में यदा-कदा आपकी सरकार की भी मैंने आलोचना की है। यह काम मैं पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय भी करता रहा हूँ, उस सरकार की भी कई नीतियों की जमकर आलोचना की है। लेकिन तब और अब में एक अंतर है – आपकी सरकार की आलोचना करने और विभिन्न समसामयिक सामाजिक-धार्मिक विषयों पर टिप्पणी करने के कारण कई असामाजिक तत्व मुझें धमकियां देना शुरू कर देते हैं। कई दफा यह सिलसिला मेरी हत्या करने की धमकी तक पहुँच जाता है।
एक दफा मुझे ऐसे ही एक मामले में मौरिस नगर थाने में शिकायत भी दर्ज करानी पड़ी थी। शुरू में इन बातों को मैं उतनी गंभीरता से नहीं लेता था, लेकिन हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रवि कान्त चन्दन, जो कि मेरी ही तरह दलित समुदाय से आते हैं, पर असामाजिक संगठनों और कथित छात्र संगठनों के सदस्यों द्वारा किये गए हमले के बाद इस पत्र को लिखना आवश्यक हो गया है। मुझे याद आ रहा है कि आपने एक दफा कहा था “गोली मारनी है तो मुझे मार दो, मेरे दलित भाइयों पर हमले मत करो। ” ऐसा लगता है कि आपकी राजनीति के समर्थक भी आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। आपके द्वारा इतना गंभीर वक्तव्य देने के बाद भी वे दलितों पर हमले करना जारी रखे हुए हैं।
मैं भी आपकी तरह ही भारत को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध के रास्ते पर देखना चाहता हूँ, ले जाना चाहता हूं। माननीय ये तो आप भी स्वीकार करेंगे कि आत्मरक्षा का अधिकार नैसर्गिक है और हमारे देश का कानून भी मुझे यह अधिकार देता है। यदि हमलावर कुछ संख्या में आयें तो लाठी-डंडे की सहायता से इनसे आत्मरक्षा की जा सकती है, लेकिन ये झुण्ड बनाकर आते हैं। अतएव बिना उचित हथियारों के इनसे अपनी रक्षा करना मुश्किल जान पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि उचित प्रबंध किया जाए.
मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि मुझे AK 56 रायफलधारी दो अंगरक्षक मुहैया कराये जाएँ। यदि यह संभव नहीं है तो उचित प्राधिकारी को निर्देश देकर मेरे लिए AK 56 रायफल का लाइसेंस जारी किया जाए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर झुण्ड में आने वाले इन असामाजिक तत्वों से अपने और अपने परिवार के प्राणों की रक्षा कर सकूं। इस हथियार की क़ीमत काफी अधिक होगी, जो कि मेरे जैसे शिक्षक की आमदनी में खरीद पाना संभव नहीं होगा। अत : आपसे अनुरोध है कि लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को जल्द ही शुरू किया जाए, ताकि मैं अपने शोषित समाज के लोगों से एक-एक-दो-दो रुपये का सहयोग लेकर जरूरी रकम का इन्तजाम कर सकूँ
इसके साथ ही आपसे अनुरोध है कि मेरे लिए हथियार चलाने की कमांडो ट्रेनिंग का भी इन्तेजाम किया जाए, ताकि मौका आने पर आपको निराश न कर सकूँ। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है कि आप इस पत्र की गंभीरता को समझेंगे।
धन्यवाद
भवदीय,
डॉ रतन लाल, एसोसिएट प्रोफ़ेसर
हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
17-5-2022
प्रति :
- भारत के महामहिम राष्ट्रपति
- माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार
- अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार ‘
_______________उक्त मार्मिक पत्र दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर डाक्टर रतन लाल जी का है,जिसमें वे अपने द्वारा रखे गए,सत्यपरक और यथार्थवादी विचारधारा से उद्वेलित होकर उन्हें जान से मारने की धमकी देने वाले बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रायोजित गुंडों से स्वयं व अपने परिवार की सुरक्षा हेतु इस देश के संसदीय व्यवस्था के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति उसके प्रधानमंत्री श्रीयुत् श्रीमान श्री नरेन्द्र भाई दामोदर भाई मोदी से ए.के.-56जैसे अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराने की गुहार लगा रहे हैं ! अभी पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और दलित चिंतक डॉ. रवि कांत चंदन ने हाल ही एक डिबेट शो पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रखर नेता पट्टाभि सितारमैया की एक किताब का हवाला देते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद बीजेपी के संकीर्ण और सांप्रदायिक मानसिकता के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी के छात्र जो वास्तव में कथित उच्च जाति के उदंड गुंडे हैं, द्वारा इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए कई घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान उनके खिलाफ नारेबाजी की गई। यही नहीं उन्हें 'गोली मारो..सा..'को तर्ज पर जातिवाद सूचक अमर्यादित गाली-गलौज भी किया ! उनके खिलाफ सिद्धार्थनगर के अनिल दुबे नामक एक जातिवादी गुंडे ने एफआईआर भी दर्ज कराई है। वहीं डॉ. रविकांत चंदन ने भी एफआईआर के लिए पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया है और आरोप लगाया है कि उनकी और उनके परिजनों की जान को खतरा है। जबकि कटु सच्चाई यह है कि कथित हिन्दू या सनातन धर्म भेदभाव, छूआछूत,ऊंच-नीच,जातिवाद और कथित नीची जातियों से घृणा,वैमनस्यता पर ही टिका हुआ है ! अमर कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने आज से लगभग 90वर्षों पूर्व एक लेख में यह बात पूरी दृढ़ता और स्पष्टता पूर्वक लिखा है कि 'इस्लाम धर्म के तेजी से प्रसार के लिए कुछ पोंगापंथियों का यह कथन बिल्कुल अनर्गल प्रलाप है कि इस्लाम का प्रचार-प्रसार तलवार के बल पर हुआ है ! ऐसा कतई नहीं है,इसका सीधा कारण हिन्दू धर्म के कथित उच्च जातियों का अपने ही धर्म के कथित तौर पर नीची या शूद्र जातियों,जो संख्या के लिहाज से हिन्दू धर्म के बहुत बड़े भाग लगभग 85प्रतिशत हैं,पर पशुवत और पैशाचिक जुल्म,बलात्कार,मारपीट और अपमान करने की वजह से हुआ है ! ' यह भी बहुत बड़ा सत्य है कि सर्वकालीन महान डाक्टर भीमराव अम्बेडकर के अकथनीय प्रयासों से इस देश को अंग्रेजी साम्राज्य वादियों की बेड़ियों से मुक्त होने के बाद उनके सहयोग से वर्ष 1950 में जो संविधान बनाया उसमें दलितों,आदिवासियों आदि के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था लागू किए जाने की वजह से कथित तौर पर उच्च हिन्दू जातियों के लिए केवल सेवा करने के अपने दायित्व से मुक्त होकर ये दलित, आदिवासी और पिछड़ी जातियों के लोग तमाम सरकारी संस्थानों, स्कूलों, कालेजों, विश्वविद्यालयों आदि में नौकरी करने से उनके जीवन में कुछ संपन्नता आ गई है ! और दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों में आई सम्पन्नता और स्वाभिमानी स्वभाव कथित तौर पर हिन्दू उच्च जातियों को सहन नहीं हो पा रही है ! न वे उक्त वर्णित शूद्रों को अपनी फूटी आंखों से देखना चाहते हैं ! चूंकि बीजेपी जैसे राजनैतिक दल और उसकी पितृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में इन्हीं उच्च जातियों का वर्चस्व है,इसलिए बीजेपी सरकार के वर्तमान कर्णधारों के दिलोदिमाग में अपने बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं द्वारा जातिवादी व धार्मिक वैमनस्यता व घृणा का पाठ पढ़ाया गया है,अब चूंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे घोर फासिस्ट और जातिवादी वैमनस्यता दिलोदिमाग वाले व्यक्ति भारत की केन्द्रीय सत्ता पर कब्जा जमाने में सफल हो गए हैं,इसलिए ऐसे लोगों से दिल्ली विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर रतन लाल जी और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और दलित चिंतक डॉ. रवि कांत चंदन जी द्वारा अपने ऊपर हुए हमले या संभावित हमले के लिए गुहार लगाना सर्वथा व्यर्थ है ! क्योंकि आज दलितों, आदिवासियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले, मारपीट और उनकी हत्याएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैमनस्यता भरे पाठशाला में दीक्षित मोदीजी और अमित शाह जैसे लोगों के जानकारी में और संरक्षण में हो रहे हैं ! दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल जी को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि श्रीमान मोदीजी ने कहा था कि “गोली मारनी है तो मुझे मार दो, मेरे दलित भाइयों पर हमले मत करो। ” यह तो मोदीजी की चिरपरिचित जुमलेबाजी है ! मोदीजी ने तो यह भी कभी खुद ही कहा था कि 'मिट्टी की सौगंध देश नहीं बिकने दूंगा..! ' आज देश की क्या स्थिति है ?खुद ही आकलन कर लीजिए,मोदीजी के ऐसे हजारों बयान और जुमले हैं,जिसको आगे चलकर श्रीमान मोदीजी ने अपने पूर्व में कहे अपने बयानों को धूल-धूसरित करके रख दिया है ! दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल जी को एक.के.-56 भी मोदीजी कभी नहीं देंगे ! निश्चित रूप से मोदीजी एक.के.-56 जैसे हथियार तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, बजरंग दल, श्रीराम सेना के गुर्गों और गुंडों को जरूर दें देंगे, जिसे लेकर वे जेएनयू और बीएचयू तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों को सीधे गोली मारकर उनकी हत्याएं कर सकें,आखिर कामरेड पानसारे,डाक्टर नरेंद्र दाभोलकर,प्रोफेसर कलबुर्गी और वीरांगना महिला पत्रकार गौरी लंकेश जैसे लोगों की हत्या एक.के.-56 या एक.के -47जैसे मुहैया कराए गए खतरनाक हथियारों से ही तो की गई थी ! यह भी सोचने की बात है कि अब विश्वविद्यालयों के कैंपस में टैंक रखकर किसको धमकाने की कोशिश की जा रही है ? इसलिए बीजेपी और उसके आका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कथित हिन्दू राष्ट्र और नरपिशाच मनु द्वारा रचित मनुस्मृति लागू करने के हर प्रयास का अब कथित उच्च जातियों द्वारा बनाए गए कथित 85प्रतिशत शूद्रों को अपने सारे आपसी मतभेद उदाहरणार्थ यादव सभा,कुर्मी सभा, कुशवाहा सभा आदि जातिवादी गुट और सभारूपी जातिवादी मतभेद भुलाकर सामूहिक, सशक्त और जोरदार विरोध करनि ही चाहिए, श्रीलंका जैसे छोटे से देश के लोग हम भारतीयों से ज्यादा परिष्कृत,सूझबूझ वाले और स्वाभिमानी हैं ! आज राजपक्षे साहब और उनके मंत्रीमंडलीय सहयोगियों की वहां की जनता ने वह हाल करके रख दिया है कि वहां बनने वाली कोई भी भविष्य की सरकार के हुक्मरानों को कोई भी निरंकुश कदम उठाने से पहले हजार बार सोचना पड़ेगा ! और यहां गुजरात का एक दंगाई आज पूरे देश को दंगों में सीधा झोंक देने को तत्पर है ! और हम भारतीय अभी भी अपनी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं ! यह सबसे बड़े आश्चर्य,क्षोभ और विस्मय की बात है !
-निर्मल कुमार शर्मा 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक,राजनैतिक, पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष,बेखौफ, आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632, ईमेल - nirmalkumarsharma3@gmail.com</code></pre></li>