मुनेश त्यागी
मणिपुर की वहशी और दरिंदगी पूर्ण वीडियो को देखकर, पूरे देश की सारी दुनिया में थूथू हो रही है। पूरी दुनिया में विश्व गुरु बनने की रट लगाने वालों का भेद खुल गया है, उनकी असलियत का भंडाफोड़ हो गया है। धन्य है उस महान विभूति का, कि जिसने यह वीडियो जारी करके पूरे देश और दुनिया को बता दिया कि मणिपुर में सत्ता में बने रहने के लिए और सत्ता हासिल करने के लिए, किस तरह एक शांतिपूर्ण समाज को हिंसा और सांप्रदायिक दंगों की भेंट चढ़ाया जा सकता है और किस तरह से भारत के संविधान और कानून के शासन को मिट्टी में मिला जा सकता है और किस तरह से उनकी धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं।
यह वीडियो नहीं आता तो भारत के मुख्य न्यायाधीश नहीं कहते कि अगर सरकार ने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, मानवाधिकारों की रक्षा नहीं की, संविधान के जरुरी प्रावधानों और कानून के शासन की रक्षा नहीं की तो, हमें जरूरी कदम उठाने पड़ेंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश की इस धमकी से सरकार डर गई और मणिपुर की घटनाओं पर 79 दिनों से मौन धारण किए भारत के प्रधानमंत्री को मात्र 30 सेकिंड के लिए अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मणिपुर की इस भयावह स्थिति के लिए, जहां 250 से ज्यादा निर्दोष लोग असमय मौत के गाल में समा गए, जहां सैकड़ों घरों को आग के हवाले किया जा चुका है और जहां हजारों हजार लोग शरणार्थी पूरी दुर्दशा के साथ, शिविरों में नारकीय अवस्था में रहने के लिए मजबूर हैं, जहां बच्चों की शिक्षा सांप्रदायिक और जातिवादी नस्ली हिंसा और दंगों की भेंट चढ़ गई है, इसके लिए केवल और केवल वहां की राज्य सरकार और केंद्रीय सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।
मणिपुर की निकम्मी और सांप्रदायिक सरकार ने समय रहते दंगाइयों, अपराधियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। पूरा का पूरा दोषी सरकारी अमला डीएम, एसएसपी, पुलिस अधिकारी और दंगई खुलेआम घूम रहे हैं, न तो उन्हें पकड़ा गया है, ना ही उन्हें नौकरियों से निकाला गया है और ना ही उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है।
भारत एक ऐसा देश है कि जहां मिट्टी की औरतों को कपड़े पहना कर, आभूषणों और अस्त्रों-शस्त्रों से लादकर पूजा जाता है और जहां जिंदा औरतों को नंगा करके प्रताड़ित, बलात्कार और हत्या की जाती है। मणिपुर की यह घटना गुजरात प्रयोगशाला की असली कड़ी है। इस घटना में भारत देश का यहां की जनता का सिर, पूरी दुनिया के सामने झुका दिया है, शर्मशार और अपमानित कर दिया है और पूरी तरह से लज्जित कर दिया है।
मणिपुर की घटना एकदम अमानवतावादी जंगली, असभ्य और बर्बर है। यह घटना बता रही है कि मनुवादी और साम्प्रदायिक तालिबानियों ने अफगानिस्तानी तालिबानियों को भी पीछे छोड़ दिया है और अब तो उन्हें ही अच्छा कहा जाने लगा है। जो आदमी या संगठन मणिपुर की शर्मसार करने वाली घटनाओं की आलोचना और मजम्मत नहीं कर रहा है, वह हद दर्जे का जंगली है, अमानवीय, असभ्य और बर्बर है। उसका मानव जाति से कोई नाता नहीं है, वह मानवता की जननी का बेटा नहीं है।
इस घटना के बाद समय आ गया है कि भारत के तमाम नागरिकों और भारत की हितैषी तमाम राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं को, अपने घर की तमाम मां, बहन, बेटियों, पत्नियों, बहुओं और अपने सभी बच्चों को इस सारी घटना से अवगत करायें, इन तमाम औरत विरोधी शैतानी ताकतों की जानकारी देनी चाहिए, इनका पूरी तरह से भंडाफोड़ करना चाहिए और अगर संभव हो तो उन सब को इन औरतविरोधी वहशियों के खिलाफ जलसों और जुलूसों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
मणिपुर का जंगली और बर्बर राज्य चीख चीख कर कह रहा है कि इस सब के लिए वहां की राज्य सरकार और भारत की केंद्र सरकार, पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। इन दोनों सरकारों को इन घटनाओं की पूरी जानकारी थी, मगर इन दोनों सरकारों ने एक मिलीभगत और साम्प्रदायिक और फासीवादी सत्तावादी साजिश के तहत, दोषी लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की और मणिपुर को सांप्रदायिक हिंसा की आग में जलते रहने दिया।
इसी के साथ साथ यह सबसे जरूरी हो गया है कि दोषी लोगों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाए, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई जाए, सम्बंधित जिले के जिलाधिकारी, एसएससी और तमाम पुलिस अधिकारियों को नौकरी से डिसमिस किया जाए, पीड़ित परिवारों को 2-2 करोड़ रुपए की सरकारी सहायता दी जाए और पीड़ित परिवारों के सभी लोगों को सरकारी स्थाई नौकरी प्रदान की जाए।
ये तमाम घटनाएं कह रही हैं कि अब इस देश की जनता का भविष्य, इन जन विरोधी, औरतविरोधी भारत विरोधी और सिर्फ और सिर्फ सत्ता लोलुप लोगों के हाथ में कतई भी सुरक्षित नहीं रह गया है। अब इन दोनों सरकारों को जितनी जल्दी हो सके, सत्ता से अपदस्थ किया जाना ही आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।