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गर्माने लगा बेरोजगारी का मुद्दा :आठ साल में 22 करोड़ ने मांगी नौकरी, 7.22 लाख को मिला रोजगार, 35000 छात्रों ने की खुदकुशी

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लोकसभा चुनाव से पहले देश में बेरोजगारी का मुद्दा गर्माने लगा है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत दूसरे विपक्षी दलों के नेता भी प्रमुखता से यह मुद्दा उठा रहे हैं। युवा हल्लाबोल के अध्यक्ष अनुपम कहते हैं, रोजगार आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा है। बेरोजगार युवा देश का सबसे बड़ा वर्ग है। अनुपम ने बताया, हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार ने दस साल में करोड़ों रोजगार नष्ट कर दिए हैं। एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, भारत के बेरोजगार युवा अब हताश होकर आत्महत्या करने लगे हैं। तीन साल में करीब 35000 छात्रों ने खुदकुशी की है। सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर अपनी जान गंवा रहे हैं। केंद्र सरकार, गत आठ वर्ष में मात्र 7.22 लाख नौकरी दे सकी है, जबकि आवेदकों की संख्या 22 करोड़ से भी ज्यादा थी।

एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, भारत के बेरोजगार युवा अब हताश होकर आत्महत्या करने लगे हैं। तीन साल में करीब 35000 छात्रों ने खुदकुशी की है। सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर अपनी जान गंवा रहे हैं। केंद्र सरकार, गत आठ वर्ष में मात्र 7.22 लाख नौकरी दे सकी है, जबकि आवेदकों की संख्या 22 करोड़ से भी ज्यादा थी…

Jobs: आठ साल में 22 करोड़ युवाओं ने मांगी सरकारी नौकरी, 7.22 लाख को मिला रोबोल के अध्यक्ष के अनुसार, बेरोजगारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है। ये सिर्फ इन आंकड़ों से ही साबित नहीं होता, बल्कि समाज की दुखद सच्चाई भी है। केंद्र सरकार यह मानने को भी तैयार नहीं कि हम संकट के दौर से गुजर रहे हैं। युवाओं को रोजगार देने की बजाए सिर्फ खोखले दावों का प्रचार मिल रहा है। जुमलों और नारों के शोर में सच्चाई को दबाने की लगातार कोशिश हो रही है। बड़े-बड़े वादे और दावे करने वाली सरकार आठ साल में मात्र 7.22 लाख नौकरी दे सकी है। रिक्त पड़े पदों को भी सरकार पूरी तरह से नहीं भर पा रही है।

यदि आंदोलन के दबाव में भर्ती निकलती है, तो उसका पेपर लीक हो जाता है। मेहनती छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ आम बात हो गई है। पेपर लीक आज एक राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। अनुपम ने बताया, ‘परीक्षा पे चर्चा’ करने वाले प्रधानमंत्री ने पेपर लीक पर कभी चर्चा नहीं की। लगातार हो रहे इन पेपर लीक का नतीजा है कि बेरोजगार युवा, मानसिक अवसाद में जी रहे हैं। उनमें सिस्टम के प्रति गहरा अविश्वास भी पनप रहा है। सामान्य परिवारों से आने वाले मेधावी छात्रों के लिए ईमानदारी से एक अदद नौकरी पाना, आज किसी सपने जैसा हो गया है। असल बात है कि बेरोजगारी दूर करना, मोदी सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं।

युवाओं को जॉब देना न सरकार की नीति में है, न ही नीयत में। प्रधानमंत्री घूम-घूम कर ‘मोदी की गारंटी’ बेच रहे हैं। सच ये है कि उनकी अधिकतर गारंटी फेल हो चुकी है। अनुपम के मुताबिक, प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी गारंटी थी ‘दो करोड़ रोजगार’। यह बुरी तरह फेल हुई है। उधर, राहुल गांधी ने गुरुवार को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान युवाओं से कहा, कांग्रेस आपको पांच एतिहासिक गारंटियां दे रही है, जो आपकी तकदीर बदल देगी। 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति की गारंटी। हर ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी को एक लाख रुपये प्रतिवर्ष स्टाइपेंड के अप्रेंटिसशिप की गारंटी। पेपर लीक रोकने के लिए नया कानून बना कर विश्वसनीय ढंग से परीक्षा के आयोजन की गारंटी। जीआईजी इकॉनमी की वर्क फोर्स के लिए काम की बेहतर परिस्थितियों, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी। 5000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय कोष से जिला स्तर पर युवाओं को स्टार्ट-अप फंड देकर उन्हें उद्यमी बनाने की गारंटी। राहुल ने कहा, युवाओं के सपनों को हकीकत बनाना कांग्रेस का संकल्प है।

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