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जनेश्‍वर मिश्र ने जिस नेता को चुनाव में हराया वह मुख्‍यमंत्री बना और फिर देश का प्रधानमंत्री भी बन गया

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जिस नेता को लोकबंधु राजनारायण ने छोटे लोहिया के उपाधि से नवाजा आज उन जनेश्वर मिश्र जी की पुण्यतिथि है

 समाजवादी नेताओं में राम मनोहर लोहिया के बाद जनेश्‍वर मिश्र को सबसे ज्‍यादा इज्‍जत दी जाती है। जनेश्‍वर मिश्र बेहद ही लोकप्रिय और सादगी पसंद नेताओं में गिने जाते थे। जनेश्‍वर मिश्र ने जिस नेता को विधानसभा चुनाव में हराया वह बाद में उत्‍तर प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बना और फिर देश का प्रधानमंत्री भी बन गया। आज यानी 22 जनवरी को जनेश्‍वर मिश्र की पुण्‍यतिथि है।
बलिया से निकले और छा गए उत्‍तर प्रदेश में बलिया जिले के शुभनथहीं गांव में 5 अगस्‍त 1933 को जन्‍मे जनेश्‍वर मिश्र शुरु से ही क्रांतिकारी विचारों वाले व्‍यक्ति थे। बचपन से ही उनके अंदर नेतागिरी वाला स्‍वाभाव बनने लगा था जो कॉलेज में पहुंचकर परवान चढ़ने लगा। पढ़ाई के लिए वह बलिया से इलाहाबाद आ गए। यहां वह छात्र राजनीति में कूद पड़े और आंदोलनों का हिस्‍सा बनने लगे। कॉलेज के दौरान वह छात्रसंघ के कई पदों पर रहते हुए युवाओं के बड़े लीडर बनकर उभरे।
 इतना लोकप्रिय हुए कि जेल में बंद करना पड़ा 1967 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह आंदोलनों के जरिए इतना लोकप्रिय हो गए कि पुलिस ने उन्‍हें जेल में बंद कर दिया। जनेश्‍वर मिश्र ने इस बीच फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया। इस सीट से प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन और स्‍वतंत्रता सेना विजय लक्ष्‍मी पंडित चुनाव लड़ रही थीं। ऐसा कहा जाता है कि जनेश्‍वर मिश्र की लोकप्रियता के चलते विजयलक्ष्‍मी पंडित के चुनाव हारने की आशंका बन गई।
 चुनाव का ऐलान किया तो कैद किए गए कुछ लोगों के मुताबिक विजय लक्ष्‍मी पंडित को हर हाल में जिताने के लिए तत्‍कालीन सरकार पर दबाव बनाकर जनेश्‍वर मिश्र को जेल में बंद करा दिया गया। ताकि, जनेश्‍वर की आवाज दब सके। हालांकि, इस बात की सच्‍चाई पर संशय है। जनेश्‍वर मिश्र को आचार संहिता लगने के बाद और चुनाव से मात्र 7 दिन पहले ही रिहा किया गया। हालांकि, कुछ लोग जनेश्‍वर को जेल में बंद करने की वजह को सही नहीं मानते हैं। आखिरकार, चुनाव नतीजों में जनेश्‍वर मिश्र को नजदीकी अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
एक बार जीते तो जीतते गए 1967 के लोकसभा चुनाव में जेल में बंद रहने के कारण जनेश्‍वर मिश्र को जनता की खूब सहानुभूति मिली और बड़े नेताओं में गिने जाने लगे। लोग उन्‍हें छोटे लोहिया के नाम से पुकारने लगे। फूलपुर सीट पर 1969 में हुए उपचुनाव में जनेश्‍वर मिश्र फिर से खड़े हुए और इस बार वह चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद फूलपुर संसदीय सीट से वह 1972 और 1974 में दो बार सांसद चुने गए।
जनेश्‍वर से हारे वीपी सिंह बाद में पीएम बने इलाहाबाद में जनेश्‍वर मिश्र बड़े नेता बन चुके थे। 1978 के लोकसभा चुनाव में दिग्‍गज नेता विश्‍वनाथ प्रताप सिंह इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़े तो उन्‍हें हराने के लिए जनेश्‍वर को जनता पार्टी ने टिकट थमा दिया। जनेश्‍वर की लोकप्रियता विश्‍वनाथ प्रताप सिंह पर भारी पड़ गई और जनेश्‍वर यहां से विजेता बने। जनेश्‍वर मिश्र से हारने वाले विश्‍वनाथ प्रताप सिंह बाद में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री बने। समाजवादी पार्टी का मुख्‍य चेहरा बन चुके जनेश्‍वर मिश्र विभिन्‍न मंत्रालयों में केंद्रीय मंत्री बने और 1992 से 2010 तक लगातार राज्‍यसभा सांसद रहे। जनेश्‍वर मिश्र का 22 जनवरी 2010 को निधन हो गया।सोशलिस्ट आंदोलन के मजबूत नेता आदरणीय जनेश्वर मिश्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि…. रामस्वरूप मंत्री प्रदेश अध्यक्ष सोशलिस्ट पार्टी इंडिया मध्य प्रदेश

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