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जीएसटी की लूट है, लूट सके तो लूट!!

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चन्कू भिया उर्फ चाणक्य सर ने कहा था, कि टैक्स ऐसे वसूलो, जैसे इस जैसे मधुमक्खी फूलों से शहद इकट्ठा करती है। फूल तोड़कर निचोड़े जाने को डकैती कहते हैं। लेकिन फिर भी, प्रचंड देशभक्ति के युग मे टैक्स की दर , इसकी वजह से दैनिक समस्याओं पर बात क्या करना।
इसलिए बात लूट के बंटवारे की है। –बंटवारे के दो हिस्सेदार हैं। एक केंद्र, दूसरा वो राज्य जहां आपका घर है। 
पहले दोनों अपनी अपनी वसूली अलग अलग करते थे। सम्विधान ने दोनों के काम बांट रखे हैं। केंद्र सूची और राज्य सूची… । यूनियन ऑफ इंडिया, जो राज्यों का संघ है, उसमे राज्य स्वायत्त था। केंद्र से पैसे मिलें, तो वाह वाह, न मिलें तो भी ठीक। 
मेरे आपके जीवन को ज्यादा राज्य सरकार छूती है। सड़क, बिजली,पानी पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य.. असल मे केंद्र सरकार से आपका लेना देना कम है। वो तो रक्षा, विदेश, PSU वगेरह देखती है। 
जीएसटी में पैटर्न बदल दिया गया। सारा पैसा केंद्र ने ले लिया। राज्यों को पूर्ववत हिस्सा देने का वादा था, एक्स्ट्रा भी देने का वादा था। वादे पर राज्यों ने हाथ कटवा लिए। जीएसटी पास कर दिया। 
नंगे हो गए। –केंद्र कहाँ पैसा खर्च कर रहा है, वो खुदा जाने। राज्यों को उनकी क़िस्त नही मिलती। केंद्र कहता है, आगे दे देंगे अभी तुमको कर्ज दिलवा देते है। क्या आपकी सैलरी मांगने पर, मालिक आपको बैंक से कर्ज दिलवाने लगे, तो स्वीकार करना चाहिए। पर राज्य कर रहे हैं। 
किसी राज्य में चुनाव हो, तो पैकेज फट से घोषणा होती है। 30 लाख करोड़ के सालाना बजट वाले देश मे, 100 लाख करोड़ की योजनाओं की घोषणाएं हर दूसरे हफ्ते हो रही है। लेकिन पैसा, असल मे उनमें भी खर्च नही होता। –राज्य फटेहाल हैं। आप टूटी सड़क, बदहाल अस्पताल, गोल होती बिजली, से परेशान हैं। चुनाव आता है, तो राज्य की सरकार बदल कर आप जीवन बदलने की उम्मीद पाल लेते हैं। 
कुछ नही होगा। जेडीयू की जगह राजद ले आइये, बीजेपी की जगह कांग्रेस ले आइये। द्रमुक की जगह अन्नाद्रमुक ले आइये, या इस सबकी जगह भाजपा ले आइये। 
हाल नही बदलेगा। –केंद्र में गब्बर सिंह आपका टैक्स निगलने की मशीन लेकर बैठा है। इनकम टैक्स लेकर, रिजर्व बैंक से लूटकर, पीएसयू बेचकर, पेट्रोल डीजल से कमाकर, विदेशी कर्ज लेकर भी उसका खर्च नही निकल रहा। बजट घाटा, विदेशी कर्ज इतिहास में सर्वाधिक है। 
एक अकेला आदमी हिंदुस्तान के 30 राज्यों के पैसे का स्वामी है। अथाह पैसे का अकेला मालिक है, फकीर है। उसका परिवार नही है। उसने गैंग की सरदारी अपनी मेहनत से पाई है, वंश से नही। वह खाने नही देता, और न खाता है। जब ऐसा है, तो ये समझ नही आता है.. 
*गब्बर भाई, ये लूट का सारा माल कहां जाता है??*
*व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से प्राप्त ज्ञान*

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