धनंजय कुमार यादव
2014 के पहले रसोई गैस सिलेंडर पर सरकारें घरेलू इस्तेमाल के लिए सब्सिडी दिया करती थी। उदाहरण के रूप में गैस सिलेंडरों की कीमत आठ सौ रुपए होती तो आपके घरों में चार या साढ़े चार सौ रुपए में पहुंच जाती, बाकी के पैसे सब्सिडी के रूप में सरकार देती क्योंकि तब शायद लोगों के लिए खाना खाना जरूरी रहा होगा। शायद अब नहीं है, हिंदू मुसलमान, इंडिया पाकिस्तान और जय श्री राम के नारे पेट के भूख को कम कर देता है।
पहला कदम
2014 में भाजपा की मोदी सरकार बनती है। सरकार के अनुसार गैस सिलेंडर के सब्सिडी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सब्सिडी की रकम को सीधे ग्राहकों के बैंक खाते में भुगतान शुरू किया गया अर्थात अब ग्राहकों को आठ सौ रुपए वाली गैस सिलेंडर के लिए आठ सौ रुपए ही भुगतान करना पड़ रहा था और सब्सिडी की रकम तीन या चार सौ रुपए अगले महीने लोगों को बैंक खाते के जरिए प्राप्त होते थे।
दूसरा कदम
देशभक्ति नारों के साथ, राष्ट्रहित में और राष्ट्र के निर्माण के लिए मोदी सरकार ने लोगों से अपील की कि सब्सिडी देश हित में नहीं है और जो व्यक्ति या परिवार आर्थिक रूप में सक्षम हैं वे अपना सब्सिडी गिव अप करें। राष्ट्र हित में लाखों लोगों ने अपना सब्सिडी गिव अप किया।
तीसरा कदम
इमोशनल भाषणों के जरिए सरकार के द्वारा एक बार फिर लोगों से अपील की गई कि आजादी के सत्तर सालों के बाद भी दूर दराज के गांवों में बुड्ढी मां आज भी लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाती हैं और धुएं के कारण उसकी आंखों की रोशनी समय से पहले चली जाती है। उस बुड्ढी मां के आंखों के लिए अपना सब्सिडी गिव अप करें ताकि उज्जवला योजना के तहत निशुल्क LPG गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए। देश के करोड़ों देशभक्तों ने अपना सब्सिडी गिव अप किया।
चौथा कदम
जो भावुक या देशभक्त नहीं थे, उन्होंने अपना सब्सिडी गिव अप नहीं किया। उस देशद्रोहियों को भी देशभक्त बनाने के ख्याल से उनके बैंक खाते में जमा हो रहे सब्सिडी के रकम तीन, चार सौ रुपए को घटा घटा कर उन्तीस तीस रुपए कर दिए गए।
पहले कदम के जरिए बिना सब्सिडी के सिलेंडरों को खरीदने की आदत डलाई गई, दूसरे कदम में देशभक्ति उन्माद के जरिए लोगों से सब्सिडी छीना गया, तीसरे कदम में लोगों को भावुक बनाकर सब्सिडी छीना गया और नए ग्राहक भी बनाए गए और अंत में जबरन सब्सिडी छीन लिया गया। कदम यहीं नहीं रुके, उस आठ सौ को बढ़ा कर हजार, बारह और दो हजार कर दिया गया।
ताज्जुब है फिर भी लोग खुश है।
महंगाई कम करने के लिए, पेट्रोल डीजल और गैस की कीमतों को आधी करने के लिए, रोजगार, भ्रष्टाचार और काले धन को वापस लाने के लिए और ‘अच्छे दिन’ के नारे और वादे के साथ लोगों ने इस सरकार को चुना था। सरकार इन सारे मुद्दों पर असफल रही, फिर भी लोग खुश हैं, ताज्जुब है!
सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और प्रचार तंत्र के सहारे लोगों को “अनपढ़ बनाए रखने की साजिश” चल रही है। देशभक्ति और धर्म के झूठे उन्माद में लोगों को उड़ता पंजाब बनाया जा रहा है।
अनपढ़ बनाए रखने की साजिश में फंसे लोग यह प्रश्न नहीं पूछ सकते कि काला धन वापस क्यूं नहीं आया? भ्रष्टाचार खत्म हो गया तो विदेशों में काला धन आठ सालों में तीन गुना कैसे हो गया? आम कर्मचारियों का पेंशन देश हित में नहीं है तो आप नेताओं का पेंशन देश हित में कैसे है? नेताओं के लाखों का सरकारी सुख सुविधा देश हित में है तो आम लोगों का तीन चार सौ रुपए सब्सिडी के रूप में देश हित में क्यूं नहीं है? अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें कम थी तो उसका लाभ आम लोगों को क्यों नहीं? चुनाव से पहले तेल की कीमतें स्थिर रहती है तो चुनाव के बाद क्यों नहीं? जिस बुड्ढी मां के आंखों का ख्याल था वो मां हजार में सिलेंडर कैसे खरीदेगी?
इन सब सवालों को पूछने के बजाय आम लोग महंगाई के समर्थक बने हुए हैं। पेट्रोल दो सौ हो जाए या पांच सौ, वोट मोदी को ही दूंगा, शेर पालना थोड़ा महंगा जरूर होता है इसका यह मतलब नहीं कि गदहा पाल लूं, मोदी जी कुछ करे ना करे दाढ़ी और टोपी वालों को ठंडा जरूर कर रखा है, कोई सरकार रोजगार नहीं दे सकता, ना ही महंगाई कम कर सकता है, मोदी जी अकेले क्या क्या करेंगे, मोदी जी जैसे ईमानदार, विष्णु के अवतार देश का सौभाग्य है।
आप सवाल सरकार से पूछेंगे, आपको जवाब आम जनता देगी जिसे देख सरकार मुस्कुराते हुए अनपढ़ बनाए रखने की साजिश के सफलता का जश्न मना रही है।
जय हिन्द, जय भारत 🙏🙏🙏🙏
——– धनंजय कुमार यादव