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भारत में टूट जाएगा बैजबॉल का जादू?

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मनोज चतुर्वेदी

कुछ समय से माना जाने लगा है कि इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने बैजबॉल अप्रोच यानी आक्रामक रणनीति के जरिए टेस्ट क्रिकेट की शक्ल ही नहीं बदली है, ढेरों सफलताएं भी हासिल की हैं। दूसरी ओर भारतीय टीम 2012-13 में इंग्लैंड के हाथों सीरीज हारने के बाद से घर में अजेय बनी हुई है। घरेलू पिच पर उसकी इस अजेयता के पीछे धारदार स्पिन का बड़ा हाथ माना जाता है। इस कारण गुरुवार (25 जनवरी) से शुरू हुई टेस्ट सीरीज को बैजबॉल और क्वॉलिटी स्पिन की जंग माना जा रहा है।नया अंदाजः इंग्लैंड टीम के कोच ब्रेंडन मैक्कुलम आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने वाले प्लेयर रहे हैं। IPL में पहला शतक भी उन्हीं के नाम है। इंग्लैंड का कोच बनते ही ब्रेंडन ने उसके खेलने का अंदाज बदल दिया। अब टीम शुरू से ही आक्रामक रुख अपना लेती है। इसका टीम को फायदा भी मिला है। ब्रेंडन के कोच बनने के बाद से इंग्लैंड ने 18 टेस्ट खेले हैं, जिनमें 13 मैच उसकी झोली में आए। लेकिन इंग्लैंड टीम के इस अंदाज की भारत में परख अभी होनी है। सभी मानते हैं कि इस रणनीति के साथ भारतीय पिचों पर खेलना इंग्लैंड टीम के लिए आसान नहीं होगा।

पहली गेंद से टर्नः इंग्लैंड ने अभी तक ज्यादातर उन विकेट पर सफलताएं हासिल की हैं, जहां पेस गेंदबाजों को विकेट से मदद मिली है। अब उसे ऐसे विकेट पर खेलना है, जहां अक्सर पहली गेंद से ही टर्न मिलने लगता है। भारत के दिग्गज स्पिनर रहे हरभजन सिंह को भी लगता है कि यहां बैजबॉल का चलना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि बल्लेबाजों को शुरुआत से ही टर्न का सामना करना पड़ सकता है। इसमें दो राय नहीं कि बेन स्टोक्स की अगुआई वाली इंग्लैंड टीम दमखम वाली है। पर वह यहां किस रणनीति को अपनाती है, यह देखने वाली बात होगी।

दमदार टीम इंडियाः मौजूदा भारतीय भारतीय टीम की जहां तक बात है तो वह खेल के हर क्षेत्र में दमदार है। टीम में बल्लेबाजी में विराट कोहली, रोहित शर्मा, श्रेयस अय्यर, शुभमन गिल जैसे क्रिकेटर हैं। हालांकि, कोहली शुरू के दो टेस्ट मैचों के लिए निजी कारणों से अवेलेबल नहीं हैं। खैर, स्पिन में आर अश्विन और रविंद्र जडेजा की मौजूदगी इसे क्वॉलिटी देती है। इस जोड़ी के सामने भारतीय क्रिकेटप्रेमियों ने तमाम टीमों को धूल चाटते देखा है।

रणनीति पर नजरः इंग्लैंड टीम इनके कमाल का कैसे सामना करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। इंग्लैंड ने 2012-13 में जब टेस्ट सीरीज जीती थी, तो उस सीरीज के सफल खिलाड़ी केविन पीटरसन, जो रूट और जॉनी बेयरेस्टो ने स्पिन के खिलाफ डिफेंस पर बहुत काम किया था। केविन पीटरसन के हिसाब से तो स्पिन के खिलाफ सफलता के लिए डिफेंस मजबूत होना बेहद जरूरी है। पर इंग्लैंड का मौजूदा नजरिया आक्रामकता को सर्वश्रेष्ठ बचाव मानने का है और यह नजरिया टीम के पतन का कारण भी बन सकता है।

अश्विन के लिए अहमः भारतीय टीम घरेलू सीरीज में आमतौर पर तीन स्पिनरों के साथ उतरती है। अश्विन आम तौर पर घरेलू सीरीज में प्रमुख अंतर डालने वाले गेंदबाज रहे हैं। यह सीरीज उनके लिए महत्वपूर्ण भी है क्योंकि वह 500 टेस्ट विकेट तक पहुंचने वाले देश के दूसरे गेंदबाज बनने से मात्र 10 विकेट दूर हैं। देखने वाली बात होगी कि वह एक या दो मैचों में इस लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं या और इंतजार करवाते हैं।

पेसर भी तैयारः इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की जान स्पिन ही रहने वाली है। मगर विकेट से यदि पेस गेंदबाजों को भी थोड़ी बहुत मदद मिलती है तो हमारे पास जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे शानदार गेंदबाज हैं। वे क्या कर सकते हैं, यह दक्षिण अफ्रीका के पिछले दौरे के दूसरे टेस्ट में दिख चुका है। भारत के एक और पेस गेंदबाज मोहम्मद शमी पहले दो टेस्ट में नहीं होंगे। उनके तीसरे टेस्ट तक आने की उम्मीद है।

स्पिन में वेरायटीः जहां तक इंग्लैंड के स्पिन आक्रमण की बात है तो उसमें जैक लीच ही सबसे अनुभवी हैं। बाकी तीन स्पिनरों – टॉम हार्टले, शोएब बशीर और रेयान अहमद – को ज्यादा अनुभव नहीं है। मगर इंग्लैंड के स्पिन आक्रमण में वेरायटी है। लीच यहां परंपरागत लेफ्ट आर्म स्पिनर हैं, तो हार्टले रिस्ट स्पिनर और शोएब बशीर ऑफ स्पिनर हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर जो रूट भी स्पिनर की जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हैं।

मजबूत पेसरः पेस में जेम्स एंडरसन और मार्क वुड की मौजूदगी इंग्लैंड के आक्रमण को दमदार बनाती है। जेम्स एंडरसन तो 700 टेस्ट विकेट से मात्र 10 विकेट दूर हैं। वह यदि 700 विकेट पूरा करने में सफल रहे तो ऐसा करने वाले पहले पेस गेंदबाज होंगे। अब तक यह उपलब्धि जिन दो खिलाड़ियों के नाम है, वे – मुथैया मुरलीधरन और शेन वार्न – स्पिनर हैं।

बल्लेबाजों पर दारोमदारः पांच टेस्ट मैचों वाली इस सीरीज में इंग्लैंड की चुनौती बहुत कुछ इस पर निर्भर रहने वाली है कि उसके शीर्ष बल्लेबाज जो रूट, जैक क्रॉले और बेन स्टोक्स भारतीय स्पिनरों के खिलाफ किस तरह का प्रदर्शन करते हैं। इन तीन में से जो रूट और बेन स्टोक्स के बारे में कहा जा सकता है कि वे स्पिन खेलने की विशेषज्ञता रखते हैं। ये दोनों IPL का भी हिस्सा रहे हैं। लेकिन आमतौर पर टेस्ट मैचों में अलग तरह के विकेट मिलते हैं। इसलिए स्पिन खेलने के माहिर भी कई बार भारतीय विकेट पर चकमा खाते नजर आते हैं।

इसके अलावा इंग्लैंड के कम अनुभवी स्पिन गेंदबाज अपने को भारत की स्थितियों में कैसे ढालते हैं, यह सवाल भी अहम होगा। अगर ये युवा स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर थोड़ा-बहुत भी दबाव बनाने में कामयाब रहते हैं तो सीरीज में संघर्ष देखने को मिल सकता है।

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