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कम्युनिस्ट आंदोलन के नवरत्न कॉमरेड ईएमएस नंबूद्रीपाद

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मुनेश त्यागी

   नंबूद्रीपाद का पूरा नाम ईलमकुलम मनक्कल संकरण नंबूदरीपाद था। इनके पिता एक बड़े ब्राह्मण जमीदार थे। इनका जन्म 30 जून 1909 को हुआ था और इनका निधन 19 मार्च 1998 को हुआ था। नंबूद्रीपाद 1931 में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए और 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक संयुक्त सचिव केरल नियुक्त किए गए। 1936 में इन्होंने चार साथियों के साथ मिलकर कम्युनिस्ट पार्टी केरल का निर्माण किया।
 1957 के चुनावों में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की भारी जीत हुई और दुनिया में पहली बार जनतांत्रिक तरीके से चुनी गई भारत में पहली कम्युनिस्ट सरकार बनी। सरकार के जनकल्याणकारी कामों से केरल के जमीदारों और शोषण करने वालों की नींद उड़ गई, जिस कारण कम्युनिस्ट पार्टी के कामों से डरकर 1959 में केंद्र सरकार ने धारा 356 का असंवैधानिक प्रयोग करके की नम्बूदरीपाद की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया।
नंबूद्रीपाद को 1962 में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव चुना गया और वे 1964 में पार्टी विभाजन के समय सीपीआईएम में चले गए। 1967 में उन्हें दोबारा केरल का मुख्यमंत्री चुना गया। वे 1977 से 1992 तक कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव रहे। (हमने ये आंकड़े डॉक्टर महेंद्र प्रताप सिंह की वाल से लिए हैं, हम उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।)
 कामरेड नंबूद्रीपाद आधुनिक केरल के निर्माता थे। वे संयुक्त मोर्चा सरकारों के प्रथम शिल्पी थे। इसके बाद से आज तक भारत में शासक वर्ग और मजदूर किसान वर्ग दोनों, संयुक्त मोर्चा को बनाते रहे हैं और उसी आधार पर सरकार चलाते रहे हैं। कम्युनिस्टों को गाली देने वाले सांप्रदायिक मोदी की सरकार भी उसी संयुक्त मोर्चे के आधार पर चल रही है। वे एक महान लेखक थे। उन्होंने 90 से अधिक पुस्तकों का की रचना की। उन्होंने दर्शन, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति, भाषा, सौंदर्यशास्त्र आदि विषयों का अध्ययन करके अपनी किताबें लिखीं और अपने लेखन को आयाम दिया। 1968 में लिखी गई उनकी "आत्मकथा" मलयालम साहित्य की आज तक की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है।
उनके समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और साम्यवादी कारनामों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आइए उन पर एक नजर डालते हैं। सबसे पहले उन्होंने उत्तराधिकार में मिली अपनी सारी संपत्ति पार्टी को दान कर दी और बाद में पता चला कि वह किराए के मकान में रहते थे। उन्होंने केरल में बहुवांछित भूमि सुधार किए और "जमीन जोतने वाले को", के नारे को जमीन पर उतारा और केरल के सारे जमींदार उनको अपना शत्रु मारने लगे। भारत के इतिहास में किसानों और खेतिहर मजदूरों को फालतू जमीन का पहला वितरण उनकी सरकार ने ही किया था।
 भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में सबको शिक्षा, सबको काम और सब के स्वास्थ्य के नारे को अक्षरशः धरती पर उतारा और वे यकायक केरल की जनता के और बड़े हीरो बन गए। अपनी जन समर्थक आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को जमीन पर उतारा और केरल को भारत में सबसे विकसित और आधुनिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और जनतंत्र के विचारों को अमलीजामा पहनाया। नेहरू के नेतृत्व में तत्कालीन केंद्रीय सरकार और उनके केरल के नेता, यह सब सहन नहीं कर पाए और उन्होंने धारा 356 का असंवैधानिक प्रयोग करके जनता द्वारा चुनी गई सरकार को गिरा दिया और जनता के असली जनवाद और विचार को धराशाई कर दिया।
नम्बूदरीपाद की सरकार ने केरल में आधुनिक विचारों यानी शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, रोजगार, सबका विकास और प्राकृतिक संसाधनों का केरल की सारी जनता के विकास के लिए प्रयोग किया था और यह प्रयोग इतना व्यापक गहरा और विस्तृत था कि आज भी वह केरल भारत के कम्युनिस्टों और वामपंथियों का अजय दुर्ग बना हुआ है। आज भी केरल शिक्षा, स्वास्थ्य, आमजन की बेहतरी और आमजन की खुशी का भारत में सर्वश्रेष्ठ केंद्र बना हुआ है।
 नम्बूदरीपाद के जीवन और शासनकाल में जनकल्याण के लिए बोई गई फसल, आज भी केरल में लहलहा रही है। केरल अधिकांश क्षेत्रों में भारत में सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किए हुए है। केरल की जनता का मानसिक और बौद्धिक स्तर आज भी भारत में सर्वोच्च बना हुआ है। वहां पर आदमी का आधुनिक, असली और सच्चारूप और प्रकृति देखी जा सकती है। वहां पर आधुनिक और असली मानव का और सच्चे भारतीयों का निर्माण किया गया है। हम सब को केरल से सीखने की जरूरत है और ईएमएस नंबूद्रीपाद के सपनों का भारत बनाने की जरूरत है। सच में केरल को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का सबसे ज्यादा श्रेय नम्बूदरीपाद को जाता है।
वे भारत माता के सर्वश्रेष्ठ पुत्रों में से एक हैं। हम नंबूद्रीपाद की कार्यप्रणाली से, उनके विचारों से बहुत कुछ सीख सकते हैं और एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, जनवादी, गणराज्य की स्थापना कर सकते हैं, और इस अभियान में शामिल हो सकते हैं जिसमें सब को न्याय मिले, समता मिले, आजादी मिले, समानता मिले, जिसमें भाईचारा हो, सब मिलजुल कर रहते हों और सब लोग भारत की सारी जनता के विकास के बारे में सोचते हों। कामरेड नंबूद्रीपाद को शत-शत नमन और क्रांतिकारी श्रद्धांजलि।
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