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आम चुनावों का खरखासा…..सरकार के फैसलों का शुभ-अशुभ से कोई लेना-देना नहीं

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राकेश अचल

भारत में निष्ट और अनिष्ट को लेकर बहुत सी मान्यताएं हैं। मजे की बात ये है कि ज्योतिष पर भरोसा रखने वाले देश में इस बार आम चुनाव खरमास में होने जा रहे हैं जबकि खरमास में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है। खरमास में ही नए दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होना है और इसी काल में नए आम चुनावों की तिथियां घोषित की जाएँगी। मै तो इस तरह के झांसे में नहीं आता फिर भी आपको बता दूँ कि खरमास को विशेष ज्योतिषीय घटना है। ज्योतिषानुसार, सूर्य देव के धनु और मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास लगते हैं। खरमास साल में 2 बार लगते हैं और खरमास के दौरान कुछ कामों को करने से मनाही होती है। इस साल 14 मार्च, गुरुवार से खरमास की शुरूआत होने वाली है और ये खरमास आने वाली 13 अप्रैल तक रहेंगे।।


केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने खरमास को देखते हुए ही शायद नागरिक संशोधन क़ानून पाक रमजान महीने में लागू किया है। इसी पाक रमजान महीने में खटटर साहब को हरियाणा की चौकीदारी से आजाद कर वहां नायब साहब की सरकार बनवाई गयी है और इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों कि पहली सूची खरमास शुरू होने से बहुत पहले जारी कर दी गयी। कांग्रेस और दूसरे क्षेत्रीय दलों ने भी कम से कम इस मामले में एक-एक सूची जारी कर शगुन कर लिया। लेकिन नए दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और आम चुनावों की घोषणा को खरमास से नहीं बचाया जा सका।
ज्योतिषी खरमास को शुभ समय नहीं मानते ,इसके चलते इस दौरान शादी करने से मना किया जाता है। खरमास के दिनों में मुंडन, गृह प्रवेश और सगाई वर्जित है खरमास में कुछ नया खरीदने से भी मना किया जाता है, खासकर संपत्ति या गाड़ी खरीदनी से हमेशा मना किया जाता है। संयोग से किसी भी ज्योतिषाचार्य ने खरमास में चुनाव करने की मनाही नहीं की। मुमकिन है कि ज्योतिषी चुनावों को शुभ कार्य मानते ही न हों ! क्योंकि अब चुनाव काले धन से लड़े जाते हैं। चुनाव जीतने के लिए हर गलत काम किया जाता है।


खरमास को कोई मलमास कहता है तो कोई पुरुषोत्तम मास। खर का मतलब दुष्ट भी होता है और गधा भी। इसीलिए दुनिया के तमाम गधे इस महीने में बहुत खुश दिखाई देते हैं हालाँकि उनका ज्योतिष ज्ञान शून्य होता है। दुष्ट लोगों के लिए मलमास बड़े काम का होता है। वे इस महीने में अपनी दुष्टत्ता का भरपूर प्रदर्शन कर सकते हैं। राजनीति इस युग में दुष्टता का पर्याय है। इसमें गधे-घोड़ों की महत्ता ज्यादा बढ़ गयी है गधे और खच्चर कभी भी बोझा धोने के लिए राजी रहते है। उन्हें कभी भी चौकीदारी दी जा सकती है या चौकीदारी से हटाया जा सकता है । रहे घोड़े तो वे हमेशा बिकने के लिए राजी होते हैं और बिना हिनहिनाये बिक जाते हैं। उनकी स्वामिभक्ति स्थाई नहीं होती। वे जिस घुड़साल में बांधे जाते हैं उसी के हो जाते हैं। उन्हें तो केवल अपनी कीमत और दाना-पानी से मतलब होता है। पिछले दिनों खरमास से पहले और खरमास के बाद भी गधों और घोड़ों की खूब मांग रही। खरमास में इनका बाजार उठान पर होता है।
मुझे अच्छा लग रहा है कि देश के आम चुनाव इस बार खरमास में ही घोषित किये जायेंगे। नए चुनाव आयुक्त भी इसी खरमास की उपलब्धियों में शुमार किये जायेंगे। सरकार के फैसलों का शुभ-अशुभ से कोई लेना-देना नहीं होता । सरकार जो करती है वो शुभ ही होता है । सरकार शिलान्यास करे या लोकार्पण,हरी झंडी दिखाए या लाल आँखें सभी कुछ शुभ है। सरकार के हाथ केवल हाथ नहीं बल्कि वे कर-कमल होते हैं सरकार के हिसाब से जात-पांत कुछ नहीं है ,इसलिए खटटर साहब को हटाने और नायब साहब को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने में किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। खरमास से पहले हरियाणा में सत्ता परिवर्तन एक शुभ घटना है । भले ही चौटाला फैमिली इस घटना से चोटिल हुई है। राजनीति में ये तो आम बात है । फिर अमरबेल जिसका भी आसरा लेती है ,उसका खून चूसती ही है। भाजपा इस काल की सबसे बड़ी अमरबेल है । चौटालाओं को भाजपा के साथ खड़ा होने से पहले अकालियों,शिव सैनिकों ,बसपाइयों और समाजवादियों से सलाह -मश्विरा करना चाहिए था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सही समय पार इलेक्टोरल बांड के मामले में अपना फैसला सुनाया। मजा तो तब आये जब सुप्रीम कोर्ट सरकार से बांड से धन की उगाही की फेहरिश्त चुनाव आयोग की वेब साइट पर डालने के साथ ही अखबारों में भी उनका विज्ञापन कराये। आजकल केंद्र और राज्यों की सरकारें वैसे भी अपनी तमाम उपलब्धियों का विज्ञापन हार चैनल पार करा रहीं है। इलेक्टोरल बांड से धन हासिल करना भी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है । उसका भी प्रचार सरकारी पैसे से ही होना चाहिए,क्योंकि हर कोई तो चुनाव आयोग की वेब साइट पर जा नहीं पायेगा ,और क्या पता कि ये जानकारी अपलोड होते ही केंचुआ कि वेब साइट दम तोड़ दे। इसमें आखिर समय ही कितना लगता है। यदि ऐसा हुया तो सांप भी मर जायेगा और सरकार की लाठी भी नहीं टूटेगी। किसी भी वेब साइट को हैक करना एक अहिंसक काम है।
मैंने तो खरमास में खरगोशों की सेवा करने का फैसला किया है । खरगोशों के कान ही गधों जैसे होते हैं ,बाक़ी हर खरगोश बड़ा बुद्धिमान माना जाता है । खरगोशों के कान सोशल मीडिया के पत्रकारों की तरह हमेशा खड़े रहते हैं जबकि गोदी मीडिया के पत्रकारों के कानों में हमेशा मैल भरा रहता है।। मेरी चले तो मै गोदी मीडिआ के हर पत्रकार को कानों की अत्याधुनिक मशीने दिलवा दूँ ! बहरहाल खरमास में आम चुनावों का खरखसा साफ़ सुनाई दे रहा है। भाजपा की सरकार ने सीएए लागू कर दिया है। विपक्षियों के पास इसका कोई तोड़ नहीं है। विपक्ष अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने में भी पिछड़ रहा है। आप भी खरमास में खाली है। इसलिए हर घटनाक्रम पर नजर रखिये। पता नहीं कब और खाना ,कैसा खेला हो जाये ?

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