,मुनेश त्यागी
आज से 40 साल पहले जब हमने अपने जीवन की जद्दोजहद में कदम रखा था तो हमने सोचा था कि आगे आने वाली दुनिया और हसीन होगी, गरीबी दूर होगी, जुल्मों सितम दूर होंगे, लोगों में आपस में भाईचारा होगा, विकास का फल सबको मिलेगा। इससे पहले हमारे स्वतंत्रता सेनानी ताऊजी और हमारे गांव के दूसरे स्वतंत्रता सेनानी कहा करते थे कि हमने आजादी की लड़ाई लड़कर अंग्रेजों को यहां से भगाया है। अब हमारे देश में सबको रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार मिलेगा, विकास में सबके भागीदारी होगी, सब लोग मिलजुल कर रहेंगे और हमारे देश से शोषण, जुल्मो-सितम और तमाम तरह की गुलामी, भेदभाव और अन्यायों का खात्मा हो जाएगा।
मगर आज हम देख रहे हैं कि वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था ने स्वतंत्रता संग्राम के सपनों को, जनतंत्र के विचार को, सबके विकास की प्रणाली को, भारत में आजादी, समता समानता, न्याय, विकास, रोजगार और भाईचारे के विचारों को जमींदोज कर दिया है। आजादी के बाद जो समाज विकसित होना था, जो चुनाव प्रणाली विकसित होनी थी, जहां सबको शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार मिलना था, जहां पर जनता और किसानों मजदूरों की सरकार बननी थी और सारी जनता को विकास के लाभ मिलने थे, वे सब वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था से गायब हो गए हैं।
वर्तमान पूंजीवादी जनतंत्र के खिलाफ कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आज सवाल उठ रहे हैं कि क्या अनपढ़, गवार, अशिक्षित, भ्रष्ट, जातिवादी, वर्णवादी, सांप्रदायिक बेईमान, जनता और उसके नेता, एक बेहतर जनतंत्र कायम कर सकते हैं और वे बेहतर चुनाव कराकर अपने बेहतरीन नेता चुन सकते हैं? क्या जातिवादी, धर्मांध, बेईमान और भ्रष्ट कर दी गई जनता, एक स्वतंत्र जनतंत्र का निर्माण कर सकती है? वर्तमान व्यवस्था को देखकर लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता।
वर्तमान व्यवस्था के पूंजीपतियों और धन्नासेठों ने नेताओं, जनतंत्र, मतदाताओं और चुनाव आयोग के जन समर्थक स्वरूप को बिगाड़ दिया है, उन्हें पक्षपाती और बेईमान बना दिया है। वर्तमान जनतांत्रिक व्यवस्था ने कानून के शासन, संविधान, समता, समानता, न्याय, जन विकास और सुशासन के समस्त विचारों को ही रोक दिया है।
पूरी पूंजीवादी व्यवस्था ने ही दुनिया भर में पहले अनेकों हिटलर और मुसोलिनी और आज नेत्यानाहू खडे किए हैं। इसी लुटेरी व्यवस्था ने इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल और अमेरिका को पैदा किया था जिन्होंने झूठे वादे और नारे देकर जनता के हिमायती नेताओं जैसे सद्दाम हुसैन और गद्दाफी को मौत के घाट उतार दिया था और इन्होंने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। इन्होंने दुनिया को अपने मुनाफों को बढ़ाने के लिए, दो-दो विश्व युद्ध किये जिनमें करोड़ों लोगों को मार डाला और अनेक युद्ध की मुहिम आज भी जारी हैं।
वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था ही आज पूरी दुनिया में जातिवादी, भ्रष्ट, बेईमान, नस्लवादी, फासीवादी, भ्रष्टाचारी और धनवान लोगों और ताकतों को पाल पोस रही है, उनको आर्थिक मदद दे रही है और उनकी नीतियां और राजनीति तय कर रही है। दुनिया के पूंजीपति ही आज पूरी दुनिया में जनता के जनतंत्र, सुशासन, कानून के शासन और संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को रोक और रौंद रहे हैं और उन सबको नाकाम करने की मुहिम चला रहे हैं।
इन मुल्कों की करतूतों ने मिलकर एक जनविरोधी स्वरूप धारण कर लिया है और ये जन विरोधी ताकतें ही आज समता, समानता, न्याय, जन विकास और भाईचारे की भावनाओं और सिद्धांतों को मटियामेट कर रहे हैं। ये तमाम ताकतें ही जनता के जनतंत्र, असली गणतंत्र, जनता की संपूर्ण सम्प्रभुता, निष्पक्षता, धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी मूल्यों और सिद्धांतों को धरती में मिला रही हैं।
ये तमाम लुटेरी ताकतें, समाजवादी देशों के रास्ते में तमाम तरह के अवरोध खड़े कर रही हैं, तमाम समाजवादी मुल्कों को आजादी से काम करने से रोक रही हैं, उन पर हमले कर रही हैं, उनका विकास रोक रहे हैं, उन्हें समाजवादी नीतियों को और जनकल्याणकारी नीतियों को लागू करने से रोक रही हैं, उन्हें उन सब जनकल्याणकारी योजनाओं और कामों को करने के लिए मजबूर कर रहे हैं जो वे करना नहीं चाहते और जो पूरी तरह से जन विरोधी हैं।
ये ताकतें ही पूरी दुनिया के निर्गुट देशों की सरकारों और समाजों के मामलों में खुला हस्तक्षेप कर रही हैं। ये इन समुदायों और सरकारों को अपना काम करने से रोक रही हैं। ये तमाम ताकतें ही दुनिया के तानाशाहों और फासिस्टों को खड़ा कर रही हैं, उन्हें समर्थन दे रही हैं। इन्होंने ही हिटलर को पैदा किया था। ये ही आज हत्यारे नेत्यानाहू को समर्थन दे रहे हैं और फिलिस्तीन की निर्दोष जनता और बच्चों को मौत के घाट उतारने के लिए हथियार और सैनिक भेज रहे हैं।
फिलिस्तीन में इन्हीं समर्थकों के बल पर इजरायल ने गाजा पट्टी में वर्तमान हमलों में अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी हैं, जिनमें 4000 बच्चे और ढाई हजार से ज्यादा औरतें शामिल हैं। इन्हीं ताकतों के बल पर इसराइल ने अंतरराष्ट्रीय कानून का खात्मा कर दिया है और वह युक्त अपराधी बनकर फिलिस्तीनियों के साथ हत्या और अपराध कर रहा है, उसने उनका खाना पानी दवाई सड़कें गैस ईंधन सब कुछ बंद कर दिया है और वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
ये तमाम ताकतें ही दुनिया भर के प्राकृतिक संसाधनों, तेल, पेट्रोल, डीजल, गैस, कोयला, लोहा और दूसरे तमाम खनिज पदार्थों पर कब्जा करने की मुहिम चला रहे हैं और पूरी दुनिया पर अपना आतंकवादी, हमलावर और भ्रष्टाचारी और प्रभुत्ववादी नियंत्रण कायम करना चाहती हैं, सारी दुनिया को अपना बेरोकटोक चारागाह बनाना चाहती हैं, ताकि इन समस्त संसाधनों का प्रयोग अपनी मुनाफाखोरी को बढ़ाने और पूरे विश्व पर अपना कब्जा जमाया जा सके, और पूरी दुनिया को अपने नियंत्रण में लिया जा सके।
ये तमाम ताकतें ही दुनिया की जनवादी, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी क्रांतिकारी शक्तियों को अपना काम करने से रोक रही है, उनके रास्ते में रोड़ा बन रही है और उन्हें जातिवाद, धर्मांता और सांप्रदायिकता के हथियारों से विभाजित कर रही हैं और उनकी एकता और अखंडता को पूरी तरह से खंड-खंड करने का काम कर रही है ताकि वहां की जनता एकजुट होकर, इन जनता के दुश्मनों के खिलाफ कोई संगठित प्रयास या संघर्ष न कर सके।
इन ताकतों ने ही लोगों को किसी भी तरह से पैसा कमाने के गुलाम बना दिये हैं, उनके सुख, चैन, शांति और पारिवारिक जिम्मेदारियां छीन ली हैं, उन्हें अपने मां बाप से अलग कर दिया है, उन्हें बस पैसा कमाने की मशीन बना कर रख दिया है और उन्हें सच्चा इंसान बनने और वैश्विक नागरिक बनने से पूरी तरह से रोक दिया है।
इसी लुटेरी व्यवस्था ने पूरी दुनिया में अमीरी गरीबी की खाई में बेतहाशा वृद्धि कर दी है। जहां पर दुनिया के लगभग एक प्रतिशत लोगों का अपने देश की आधी संपत्ति पर कब्जा हो गया है और आज हालात ये हो गए हैं कि दुनिया के 20% लोगों के पास दुनिया की 80% संपदा पर कब्जा हो गया है। भारत में भी यही हो रहा है। आज 50% गरीबों के पास केवल 3% राष्ट्रीय संपदा है।
पूरी दुनिया के हालात ये हैं कि इन पूंजीवादी लुटेरों ने मुनाफों का निजीकरण कर दिया है और घाटे का सार्वजनिकरण कर दिया है। अधिकांश मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है, अधिकांश किसानों को अपनी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलता है, सस्ता जनता को सस्ता और सुलभ न्याय नहीं मिल रहा है, अधिकांश लोग बेरोजगारी के शिकार हैं। इस प्रकार हम देख रहे हैं कि आज दुनिया में हिंसा और अपराधों की आंधी आई हुई है। इस पूंजीवादी लुटेरी व्यवस्था ने जनता के एक बड़े हिस्से से उसकी शांति, सुखचैन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास छीन लिया है और यह जनविरोधी पूंजीवादी व्यवस्था आज दुनिया की सबसे जन विरोधी ताकत बनकर हमारे सामने मौजूद हैं।