मुनेश त्यागी
भारत के संसदीय के चुनाव 1 जून को खत्म हो जाएंगे। इसके बाद 4 जून को मतगणना शुरू होगी। इन चुनावों को लेकर अधिकांश विपक्षी पार्टियों, जागरूक नागरिकों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, कवियों और सिविल सर्विसेज के जागरूक कार्यकर्ताओं में जागरूकता बनी हुई है। कुछ में भारत के चुनाव आयोग की कमियों को लेकर भी चर्चा हो रही है। बहुत सारे लोग भारत के चुनाव आयोग की निष्पक्षता, स्वतंत्रता, ईमानदारी और पारदर्शिता पर संदेह कर रहे हैं। बहुत सारे लोग चुनावी पार्टियों द्वारा मॉडल कोड आफ कंडक्ट का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग द्वारा तुरंत और सही कार्यवाही न करने को लेकर भी चिंता व्याप्त है।
ऐसे में यही सवाल उठ रहा है कि अगर चुनाव आयोग ने कोई खेल दिया या उसने किसी पार्टी के कहने पर, उसको चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए बेईमानी की, तो क्या होगा? यदि उसने मतगणना में पक्षपात और बेईमानी करके जीतने वाले उम्मीदवार को हरा दिया और हारने वाले को जीता हुआ घोषित कर दिया गया तो क्या होगा? इसको लेकर काफी लोगों में बेचैनी व्याप्त है।
यहीं पर सवाल उठता है कि जब चुनाव आयोग कानून और संविधान के हिसाब से अपना काम नहीं कर रहा है, निष्पक्षता, स्वतंत्रता और पारदर्शिता नहीं दिखा रहा है, तो ऐसे में मतगणना के दिन क्या किया जाए? क्या हो? उस दिन क्या हो सकता है? यहां पर मतगणना को ईमानदार, निष्पक्ष, स्वतंत्र, कानून और संविधान के हिसाब से मुकम्मल करने के लिए कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं, जो स्वतंत्र मतगणना सम्पन्न कराने में सहायक और मददगार साबित हो सकते हैं,,,,
पहला,,, पूरी मतगणना टीम ईमानदार, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। इसमें चुनावी एजेंट, मतगणना अधिकारी, वोटो की संख्या लिखने वाले चुनावी कार्यकर्ता शामिल हैं। अगर यह पूरी टीम निष्पक्ष और ईमानदार नहीं है, किसी उम्मीदवार के प्रति झुकी हुई है, किसी को नाजायज फायदा पहुंचाना चाहती है, तो ऐसे में चुनावी मतगणना सही नहीं हो सकती।
दूसरा,,, मतगणना की संख्या को लिखने वाले सरकारी चुनावी एजेंट एकदम निष्पक्ष और ईमानदार हों। अगर वे बेईमानी और पक्षपात पूर्ण तरीके से काम करेंगे तो मतगणना सही नहीं हो सकती।
तीसरा,,,, वोटों की वैधता ठहरने वाले एजेंट भी निष्पक्ष और ईमानदार होने चाहिएं। अगर वे पक्षपाती, बेईमान और भ्रष्ट होंगे तो वे निष्पक्ष मतगणना नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वे गलत वोट को वैध और वैध वोट को अवैध करार दे देंगे और जीतने वाले उम्मीदवार को हरा देंगे और हारने वाले उम्मीदवार को जीता सकते हैं।
चौथा,,,, चुनावी उम्मीदवार के एजेंट को सजग और बहुत जागरूक रहने की जरूरत है। अगर बाई चांस कोई चुनाव अधिकारी या मतगणना अधिकारी बेईमानी या पक्षपात से, उदासीनतावश या अनजाने में मतगणना टीम में शामिल कर दिया गया है, तो वह अपना बेईमान खेल खेलने से बाज नहीं आएगा। वह अपनी बेईमानी का रंग दिखाएगा और जीतने वाले उम्मीदवार को हराने की और हार रहे उम्मीदवार को जिताने की भरसक कोशिश करेगा और निष्पक्ष चुनावी मतगणना को प्रभावित कर देगा।
पांचवा,,,, गिनती कराने वाले चुनाव अधिकारियों के साथ-साथ एक ईमानदार जागरूक और निष्पक्ष पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया जाए, ताकि गलत मतगणना को तत्काल रूप से रोका जा सके और चुनावी धांधलियों और मतगणना में की जाने वाली हेरा फेरी पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।
छठा,,,, चुनावी परिणामों को पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी करने के लिए मतदान के दिन मतगणना पत्रों का डिजिटल प्रदर्शन किया जाए, ताकि मतदान के दिन जनता उन पर निगरानी रख सके और बाहर बैठकर अपनी निजी मतगणना कर सके।
सातवां ,,,, चुनावी परिणाम को पूरी तरह से निष्पक्ष और प्रभावी बनाने के लिए सभी उम्मीदवारों के एजेंट चुनावी नियमावली का पूरा अध्ययन करें और इसके अनुसार मिलने वाली तमाम सुविधाओं की मांग करें और मतगणना अधिकारी की चालाकी और मक्कारियों और बेईमानी पर तुरंत आवाज़ उठाएं, विरोध करें और उन्हें चुनाव नियमावली के अनुसार मतगणना करने को बाध्य करें।
आठवां,,,, ईमानदार चुनावी मतगणना के लिए पूरी मतगणना का डिजिटल माध्यम से सार्वजनिक प्रदर्शन यानी डायरेक्ट रिले किया जाए, ताकि जनता इसे सीधे तौर पर देख सके। इससे मतगणना की टीम की तमाम प्रक्रियाओं और कारस्तानियों पर जनता की आजाद नजर रहेगी। जब यह सब सार्वजनिक किया जाएगा तो इससे किसी बेईमान मतगणना अधिकारी, एजेंट या कार्यकर्ता की हिम्मत नहीं हो पाएगी कि वह मतगणना में कोई बेईमानी या पक्षपात करे।
नौवां,,,, निष्पक्ष मतगणना कराने के लिए निष्पक्ष चुनाव पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया जाएं, ताकि वे पूरी मतगणना प्रणाली पर आजाद नजर रख सकें और वहां पर होने वाली किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट चुनाव अधिकारी को कर सकें।
दसवां ,,,,सारी मतगणना क्रमवार तरीके से होनी चाहिए, मनमानी तरीके से नहीं, डराने धमकाने वाले तौर तरीकों से नहीं। इन सब मतगणना अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को याद दिलाया जाए कि वे संविधान के रक्षक हैं, कानून के हिसाब से काम करने वाले हैं, वे किसी पार्टी के पक्षपाती कार्यकर्ता नहीं हैं, मतगणना प्रक्रिया कानून के हिसाब से हो, फ्री और फेयर हो।
यहीं पर इस बात पर भी जोर देने और गौर करने की जरूरत है कि वर्तमान में हमारे भारत में इस देश और दुनिया के पूंजीपतियों का शासन है। वर्तमान सरकार केवल और केवल उन्हीं के लिए काम कर रही है, उन्हीं की धन दौलत बढ़ा रही है, उनकी तिजोरियों को भर रही है, देश के सारे सरकारी संस्थान और प्राकृतिक संसाधनों को उन्हीं के हवाले कर रही है। देश और दुनिया के इन तमाम लुटेरे पूंजीपति, सामंती और संप्रदायिक ताकतों का यह गठजोड़ किसी भी दशा में नहीं चाहेगा कि वे केंद्र की सत्ता छोड़ें। वे हर कोशिश करेंगे कि वे किसी भी दशा में सरकार में बने रहें और वे हर मुमकिन कानूनी या गैरकानूनी, कोशिश करेंगे कि किन्हीं भी हालात में मोदी सरकार को फिर सत्ता में स्थापित किया जाए। उनके लिए कानून, नियम, संविधान, जनतंत्र के कोई मायने नहीं हैं। किसी भी दिशा में वे सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार को पुनः सत्ता सौंपने के लिए आमदा हैं। भारत के चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली स्पष्ट रूप से स्थापित कर रही है कि वह पूंजिपतियों के पुनः सत्ता प्राप्ति के इस खेल में पूरी तरह से शामिल है। वह उन्हीं के इशारों पर काम कर रहा है।
भारत के तमाम जागरूक मतदाताओं के लिए यहां पर यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि वे ध्यानपूर्वक देखें कि ऐसे विपरीत समय में जहां, चुनाव आयोग निष्पक्षता, ईमानदारी और पारदर्शिता से काम नहीं कर रहा है, वह सरकार और पूंजीवादी शासकों के प्रति झुका हुआ है, वहां भारत के तमाम सेवानिवृत्त अधिकारीगणों, सिविल सर्वेंटस, प्रबुद्ध नागरिकों, जागरूक मतदाताओं और तमाम विपक्षी दलों की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि वे गिनती के चौकीदार बनें, भारत के संविधान और जनतंत्र की हिफाजत करने के लिए, मतगणना के समय स्वनियुक्त जागरूक प्रहरी और संविधान, जनतंत्र और जनता के चौकीदार बनें और जनता के असली मैंडेट को अमली जामा पहनायें।