मुनेश त्यागी
कुछ मैं बदलूं कुछ तुम बदलो
यह सारा जमाना बदलेगा
यह जुल्म का ताना बदलेगा
यह सितम का बाना बदलेगा।
यह चमन हमारा सबका है
यह वतन हमारा सबका है
चाहे जुदा हो राह मगर
जीवन का तराना बदलेगा।
ईश्वर की कसम, अल्लाह की कसम
यह लूट का शासन बदलेगा
जातिवाद, सांप्रदायिकता का
रिश्वत का जमाना बदलेगा।
आवाज जरा कुछ और बढ़ा
रफ्तार जरा कुछ और बढ़ा
शीशे को बदल, साकी को बदल
सारा मयखाना बदलेगा।
किसान आ मजदूर आ
वतन के नौजवान आ,
जुल्म के बंधन तोड़ के आ
चुप रहना भी छोड़ के आ।
ताकत को बढ़ा ऐके को बढ़ा
जीने का तरीका बदलेगा,
संघर्ष का दामन थाम के आ
जीवन का फसाना बदलेगा।
गंगा जमुना सतलज कहरी
ये नील गगन पर्वत कहरे,
सूरज चंदा तारे कहरे
यह जुल्मी जमाना बदलेगा।
मेरा मन कहरा, मेरा तन कहरा
जीवन का तराना बदलेगा,
भगत अश्फाक बिस्मिल कहरे
यह ताना-बाना बदलेगा।