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फेफड़ों के कैंसर का मूल कारण है धूम्रपान और ओरल सेक्स 

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      ~ > डॉ. नेहा, नई दिल्ली 

 प्रदूषित हवा में पल पल सांस लेना फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होता है। फिर चाहे वो आउटडोर हो या इंडोर। मेट्रो सिटीज़ में दिन ब दिन बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर रेस्पिरेटरी हेल्थ को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकता है।    

     दरअसल, फेफड़ों के स्वास्थ्य का ख्याल न करना लंग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। रोजमर्रा के जीवन में कई कारणों से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है। ये समस्या पुरूषों के साथ साथ महिलाओं को भी प्रभावित करती हैं। 

*लंग कैंसर किसे कहते हैं?*

   लंग सेल्स में होने वाला परिवर्तन लंग कैंसर का कारण बन जाता है। वे लोग जो लंबे वक्त से स्मोकिंग कर रहे हैं या फिर सेकण्ड हैंड और थंड हैंड स्मोकिंग का शिकार है। या फिर ओरल सेक्स वाले मानसिक रोगी हैं,  उनमें लंग कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। टॉक्सिक पदाथों को ग्रहण करने या उनके लगतार संपर्क में आने से इस समस्या का खतरा बढ़ता है।

      वे नरनारी जो नॉन स्मोकर्स हैं, लेकिन ओरल सेक्सीयर उनमें लंग कैंसर के अधिक मामले देखने को मिलते हैं। अनुवांशिकता और एयर पॉल्यूशन से इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा वे जगह जहां एस्बेस्टस शीट  बनती है, उस जगह पर लंगे वक्त तक रहना भी सांसों की समस्या को बढ़ाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में लंग कैंसर से होन वाली मौत का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ रहा है। लंग कैंसर से पीडित 95 फीसदी मामले स्मोकिंग और ओरल सेक्स के कारण बढ़ रहे हैं। खांसी, चेस्ट पेन और ब्रीदिंग प्रॉबल्म bh लंग कैंसर के संकेत हैं, जिनकी समय रहते पहचान कर लेने पर इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। 

     आईएआरसी यानि इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार साल 2020 में लंग कैंसर से 1.8 मीलियन लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

ये हैं फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार कारक :

*1. धूम्रपान :*

 फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है। लंग कैंसर के अधिकांश मरीजों की मृत्यु स्मोकिंग के कारण होती है। सिगरेट, बीड़ी, सुलफ़ा, गांजे के धुएं में मौजूद कार्सिनोजेन्स तत्व लंग के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सेल्स की ग्रोथ बढ़ने लगती है, जो कैंसर का कारण बन जाते हैं।

*2. ओरल सेक्स :*

    जो अप्राकृतिक़ यानी अन-नेचुरल है वो घातक है. मनुष्य रूपी कचरों के अलावा कोई भी मादा लिंग को मुँह में नहीं लेती. कोई भी जीव योनि में अपनी जीभ नहीं डालता. कोई भी जीव गुदा सेक्स नहीं करता.

    योनि में कितने वैक्टीरिया, जर्म्स होते हैं आपको अंदाजा भी नहीं है. पेनिस के सेक्स से डिस्चार्ज हुई स्त्री का लिक्विड गुणवत्तापूर्ण होता है, लेकिन इस तरह तो लाखों में कोई एक पुरुष उसे डिस्चार्ज कर पाता है, पीयेगा कहाँ से. वीर्य भी अमृत होता है, इसे पीना स्त्री का कायाकल्प तक कर सकता है, लेकिन शुद्ध वीर्य लाखों में से किसी एक का होता.  सोच-विचार-कर्म, मन-मस्तिष्क और खून की तरह वीर्य भी गंदा हो चुका है.

       शुद्ध-स्वस्थ वीर्य नेचुरली एक घंटे से पहले डिस्चार्ज नहीं होता. स्पर्म फेसियल सेंटर चेतना मिशन के डायरेक्टर हमारे डॉ. मानवश्री के स्पर्म के लिए लाख रूपये तक देने को तैयार रहते हैं. लेकिन वे व्यापार नहीं करते. उनका सबकुछ निःशुल्क है. उनका स्पर्म हमसे ही नहीं बचता तो एक्स्ट्रा कहाँ से आये. ऐसा अमृतवीर्य सबमें नहीं मिलता. यही कारण है की ओरल सेक्स कैंसर दे रहा है.

*2. एस्बेस्टस एक्सपोजर :* 

एस्बेस्टस शीटस को तैयार करने के दौरान निकलने वाली धूल और फाइबर को इनहेल करने से साँस संबधी समस्या बढ़ जाती है। इससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एस्बेस्टस एक मिनरल होता है, जो हवा में लंबे समय तक मौजूद रहता है। इससे फाइबर बनता है। वे लोग माइनिंग, मेनुफेक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन का कार्य करते हैं, वे ज्यादातर इसके संपर्क में रहते हैं।

*3. वायु प्रदूषण :*

चाहे इनडोर हो या आउटडोर एयर पॉल्यूशन लंग कैंसर के मुख्य कारणों में से एक है। रेडऑन गैस के संपर्क में आने से लंग सेल्स डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। इंडोर पाई जाने वाली इस गैस में छोटे रेडियो एक्टिव पार्टिकल पाए जाते हैं, जिससे लंग कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है। इसके अलावा आउटडोर पॉल्यूटेंटस और हार्मफुल गैसिस एयरपॉल्यूशन को बढ़ाती हैं।

*4. अनुवांशिकता :*

आनुवंशिक कारक भी फेफड़ों के कैंसर को बढ़ा सकते हैं। डज्ञॅ अवि कुमार बताते हैं कि पारिवारिक इतिहास के चलते हर साल स्क्रीनिंग करवाना बेहद आवश्यक है। ऐसे लोगों में लंग कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। स्वस्थ्य को लेकर सतर्क रहने से समस्या से बचना आसान हो जाता है।

फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए अपनाएं ये अच्छी आदतें :

*1. एयर प्यूरी फायर का प्रयोग करें :*

      घर में वेंटिलेशन को बनाए रखने और पॉल्यूटेटस की रोकथाम के लिए एयर प्यूरी फायर आवश्यक है। इससे इनडोर गेसिस से भी राहत मिल जाती है, जिससे धूल और हवा में घुले कणों को दूर किया जा सकता है। एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने से सांस संबधी समस्याएं और रेस्पीरेटरी एलर्जी से भी राहत मिलती है।

*2. शरीर को हाइड्रेट रखें :*

भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इससे फेफड़े स्वस्थ (lungs health) रहते हैं और शरीर निर्जलीकरण के खतरे से भी दूर रहता है। शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा कई बीमारियों के जोखिम को कम कर देती है।

*3. धूम्रपान से दूर रहें :*

    चाहे आप स्मोक करते हैं या नॉन स्मोकर हैं, सिगरेट के धुंए से बचाव बेहद ज़रूरी है। धुएं को इनहेल करने से फेफड़ों को उसका नुकसान झेलना पड़ता है, वे लोग जो लंबे समय से सेकण्ड हैंड स्मोकिंग के शिकार है, उनमें भी स्मोकर्स के समान कैंसर का खतरा रहता है। ऐसे में मास्क पहनकर बाहर निकलें।

*4. ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें :*

फेफड़ों की मज़बूती के लिए प्राणायाम का अभ्यास करें। ब्रीछिंग एक्सरसाइज़ की मदद से एयरवेज़ ओपन होने लगते हैं और शरीर विषैले पदार्थो से मुक्त हो जाता है। एक्सरसाइज़ से लंग्स का फंक्शन नियमित बना रहता है और वे किसी भी संक्रमण का आसानी से सामना कर पाते हैं।

   ओरल सेक्स से बिल्कुल बचें.

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