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*सिर्फ झूठ की खेती करता है कथित ब्राह्मण*

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         ~ पुष्पा गुप्ता 

ब्राह्मण को भी पता भी रहता है कि वह झूठ ही बो रहा है किन्तु बाकी को नहीं पता. ब्राह्मण सदियों से हमारे दिमाग में झूठे भगवान देवी-देवता , पूर्वजन्म पुनर्जन्म,स्वर्ग नर्क ,भूत प्रेत ,भाग्य आदि का भय और लालच ठूंस रहा है.

   हम ब्राह्मणों के झूठ को सत्य मानते हैं. हमारी इसी अज्ञानता के दम पर ब्राह्मणों के झूठ की खेती लहलहा रही है और उन्हें मालमाल और हमें कंगाल कर रही है.

    इतना ही नहीं इसी झूठ की खेती के बदौलत ब्राह्मण भारत के शासक बने बैठे हैं और हम सब शासित , पीड़ित , अधिकार वंचित।

ब्राह्मण को पता है मंदिर की उस मूर्ति में जिसमें उसने प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर झूठ मूठ का छू मंतर किया है कोई शक्ति नहीं है वह साधारण पत्थर से अधिक कुछ नहीं है.

लेकिन हमारे दिमाग में उसने यह झूठ बिठा दिया है कि मंदिर की घंटी बजाओगे उसमें रखी मूर्ति के आगे नाक रगड़ोगे पूजा अर्चना करके चढ़ावा चढ़ाओगे तो सारे दुख दूर हो जायेंगे. पूरे परिवार का कल्याण होगा.

     ब्राह्मणों के इस झूठ को सच मानकर हम अपनी मेहनत की कमाई मंदिरों की दानपेटियों में डाल रहे हैं।

ब्राह्मण को पता है कि जो आदमी मर गया वह न किसी की झोली भर सकता है न खाली कर सकता है लेकिन ब्राह्मणों के फैलाये झूठ के वशीभूत होकर करोड़ों लोग साईं बाबा और भी हजारों बाबाओं की समाधियों और मूर्तियों द्वारा अपनी झोली भरवाने एवं बिगड़ी बनवाने की आश लिए पहुंच जाते हैं. अपनी झोली खाली करके पंडे पुजारियों की झोली भर के चले आते हैं।

हमारे घर बच्चा पैदा होते ही पैदा होने के समय तिथि के आधार पर उसकी राशि बताना. उसी के आधार पर बच्चे के भविष्य तय होने का झूठ बताकर धन ऐंठना. किसी बच्चे को मूल नक्षत्र में पैदा होने पर किसी बड़ी अनहोनी का झूठ फैलाकर उससे बचाव के नाम पर पूजा पाठ कराकर धन ऐंठना।

    कुछ बच्चों को मांगलिक बता देना जो विवाह आदि में बड़ी अड़चन बनता है, हालांकि उसका भी उपाय ब्राह्मणों के पास होता है. उन्हें पता रहता है कि वास्तव में वह उनके ही द्वारा पैदा की गई कृतिम समस्या है।

    ब्राह्मण सत्ताधारी होने के कारण उसके द्वारा लिखे काल्पनिक ग्रंथों की कहानियों रआदि को सच्चे इतिहास के रूप पाठ्यक्रमों में शामिल करके बच्चों के दिमाग में झूठ रोपता है. उसे पता है  की सब के सब उसके किरदार काल्पनिक हैं, लेकिन उन्हें सच्चे इतिहास के रूप में  निरंतर संचार माध्यमों द्वारा हमारे के दिमाग में ठूंसते रहना ब्राह्मणशाही के लिए जरूरी है.

    इसलिए वह फिल्मों व सीरियलों तथा विभिन्न माध्यमों द्वारा उन कपोल कथाओं का प्रचार-प्रसार करके हम सबको को अंधविश्वासी बनाते  रहते हैं।

ब्राह्मण को पता है कि न कभी समुद्र मंथन हुआ था और न चौदह रत्न निकले थे लेकिन गप्प कथाओं में ब्राह्मणों ने समुद्र से निर्जीव तो निर्जीव कामधेनु गाय , ऐरावत हाथी ,लक्ष्मी और धन्वतंरि वैद्य भी निकला हुआ बता दिया बताया ही नहीं बल्कि लोगों से मनवा भी लिया ।

    अमृत जैसा कोई पेय होता ही नहीं जिसे पीकर कोई अमर हो जाय लेकिन  गप्पियों ने उसे भी समुद्र से निकला हुआ बता दिया.

    अमृत कुंभ से छलककर जहां जहांअमृत गिरा (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) वहां कुंभ मेला भी लगवा दिया जिसमें लाखों लोग आज भी पुण्य लाभ के लिए शामिल होते हैं।

    ब्राह्मणों को पता है कि वह सत्यनारायण कथा के नाम पर उनके ही द्वारा गढ़ी गई पांच कहानियां सुनाकर आमजनों से जो धन ऐंठते हैं उसमें न सत्य है न नारायण है. सबकी सब बातें कपोल कल्पित हैं लेकिन वह बड़े शान से झूठ की खेती करता है. अपने झूठ स्थापना मिशन की कामयाबी पर खुश होकर शंखनाद भी करता है।

     ब्राह्मणी झूठ स्थापना मिशन के  प्रचारक क्षेत्रीय , राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त बाबा हैं वे इन्हीं ब्राह्मणी गप्प ग्रंथों में वर्णित अलौकिक शक्तियों की झूठी कहानियां सुना सुना कर लोगों को भ्रमित करके लखपति करोड़पति अरबपति बन जाते हैं.

उन्हें पता रहता है कि वह सारा धन उन्होंने झूठ की खेती करके लोगों को मूर्ख बनाकर कमाया है उन्हें यह भी पता है कि मरने के बाद कुछ भी नहीं है. इसलिए वे इसी जीवन में नैतिकता को त्यागकर हर ऐशो आराम कर लेना चाहते हैं इसी एशो-आराम के चक्कर में कई कुख्यात बाबा जेल की हवा खा रहे हैं।

ब्राह्मणों को पहले से ही पता है कि आमजन के दिमाग को खेत समझकर जो वे झूठ की खेती कर रहे हैं. जब आमजन जागेगा उनके झूठ का भांडा फूटेगा तब निश्चित ही ब्राह्मणों से ब्याज सहित वसूली करेगा।

इसलिए भयभीत ब्राह्मण अपने बचाव के लिए भी झूठ का ही सहारा लेता है. जैसे ब्राह्मण को मारोगे तो ब्रह्महत्या का पाप लगेगा. वह सबसे बड़ा पाप है. वह सबसे खतरनाक भूत “बरम” बनता है।

   जिसके दरवाजे पर ब्राह्मण का अपमान हो गया उससे नारायण नाराज हो जाते हैं और वह बहुत बड़े पाप का भागी बनता है ।

कबीर कहते हैं :

कबीर माया, बेसवा, दोनूं की इक जात.

 आंवत का आदर करें,जात ना बूझें बात.

सच्चा धर्म वही है जो मानव धर्म है।

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