अग्नि आलोक

लगातार बढ़ रहा है परमाणु युद्ध का खतरा …क्या हम इसके लिए तैयार हैं?

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परमाणु युद्ध का खतरा लगातार बढ़ रहा है। परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र अपने हथियार और मिसाइलें बढ़ा रहे हैं। क्या कोई इस विषय में सोच रहा है? आज देश जैसे परमाणु हथियार बना रहे हैं, वे 1945 में अमेरिका द्वारा नागासाकी व हिरोशिमा में बरसाए गए बमों की तुलना में ज्यादा घातक हैं। आज दुनिया एक बड़े खतरे के साये में जी रही है। यह खतरा केवल यूक्रेन ही नहीं, बल्कि फारस की खाड़ी, ताइवान, कोरियाई प्रायद्वीप इत्यादि उन सभी जगहों पर मंडरा रहा है, जहां युद्ध हो सकता है। यह कहानी इस बारे में है कि अगर एक छोटा-सा परमाणु बम भी किसी देश पर गिराया जाए, तो वहां का मंजर कैसा होगा? किसी भी तरह के परमाणु विस्फोट का सामना कर चुके लोगों के साथ सैकड़ों घंटे के साक्षात्कार, परमाणु विस्फोट की मॉडलिंग और विभिन्न तरह के अनुसंधानों के आधार पर हम उस अनुभव के करीब पहुंचे हैं, जो वाकई परमाणु हमले का अनुभव है। परमाणु युद्ध को अक्सर अकल्पनीय बताया जाता है। लेकिन सच यह है कि इसकी कभी ठीक से कल्पना भी नहीं की गई।

परमाणु बम फट चुका है। चारों तरफ नर्क का दृश्य है। चीखें सुनाई दे रही हैं। डामर, स्टील, मिट्टी, कांच, मांस और हड्डियों का मलबा उड़कर मीलों तक फैले मशरूम की आकृति के बादलों, जो जमीन से लेकर आसमान तक व्याप्त है, में समा गया है। भयानक शोर के बीच इसका रंग बदलता रहता है…फिर यह सूर्य को ढक लेता है। शीतयुद्ध काल के बाद कई पीढ़ियां गुजर गईं, इसलिए परमाणु युद्ध एक बिसरी हुई कहानी माना जाने लगा था। लेकिन अब इसकी तैयारी के लिए मानवता को जगाने का समय आ गया है।

अगर आपको परमाणु हमले के भयावह परिणामों की आशंका खतरनाक लगती है, तो जरा विचार करके देखें कि अमेरिका और यूक्रेन की सरकारें कम से कम दो वर्षों से इस परिदृश्य की योजना बना रही हैं। यह बात दरअसल तब की है, जब 2022 खत्म हो रहा था। एक अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने यह आशंका जताई थी कि यूक्रेनी सेना को रोकने के लिए रूस उस पर परमाणु हमला करने वाला है। अमेरिका और यूक्रेन तुरंत हरकत में आ गए। यूक्रेन के शहरों और परमाणु संयंत्रों के पास सैकड़ों रेडिएशन डिटेक्टर लगा दिए गए। अमेरिका ने भी हाथ से उपयोग में लाए जाने वाले एक हजार से ज्यादा उपकरण यूक्रेन भेजे। सबसे खराब स्थिति की कल्पना करते हुए यूक्रेन में करीब 200 अस्पतालों को परमाणु हमले की स्थिति में सहायता प्रदान करने वाली सुविधाओं से सुसज्जित किया गया। हजारों डॉक्टरों व नर्सों को रेडिएशन के जोखिम से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया। रेडिएशन के असर को कम करने वाली पोटैशियम आयोडाइड की गोलियों के भंडार पूरे देश में एकत्र किए गए।

लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के चार दिन बाद भी जब रूस ने परमाणु हमला नहीं किया, तब बाइडन प्रशासन ने विशेषज्ञों और रणनीतिकारों का एक छोटा-सा समूह बनाया, जिसे ‘टाइगर टीम’ नाम दिया गया। इस टीम को परमाणु हमले की स्थिति में क्या तैयारियां होनी चाहिए, इस पर एक ‘मार्गदर्शिका’ तैयार करनी थी। टाइगर टीम ने खुफिया, सैन्य और नीति क्षेत्रों के विशेषज्ञों से विमर्श करके परमाणु हमलों के मॉडल पर काम करते और वर्षों पुरानी आपातकालीन तैयारी योजनाओं में संशोधन करते हुए एक रिपोर्ट तैयार की। इसमें उन बिंदुओं को हटा दिया गया, जो आज साइबर युग में अप्रासंगिक हो गए हैं। टाइगर टीम की रिपोर्ट फिलहाल व्हाइट हाउस के वेस्ट विंग की बगल में आइजनहॉवर कार्यकारी कार्यालय भवन में रखी है। इसमें राष्ट्रपति बाइडन या किसी भी अन्य भावी राष्ट्रपति के लिए राजनयिक और सैन्य विकल्पों की अद्यतन मार्गदर्शिका दी गई है, जो उसी सूरत में काम में आएगी, जब यूक्रेन में परमाणु हमला होता है। इस पूरी कवायद का चौंकाने वाला निष्कर्ष यही है कि परमाणु हमले की आशंका, जो अब तक अकल्पनीय मानी जा रही थी, शीतयुद्ध के बाद अब किसी भी अन्य समय की तुलना में बढ़ गई है। टाइगर टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘पिछले तीस साल से जिन्न बोतल में रहा है।’ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अभी पिछले हफ्ते दुनिया को इस अस्तित्वगत खतरे की याद तब दिलाई, जब उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नाटो ने यूक्रेन में अपनी भागीदारी बढ़ाई, तो परमाणु युद्ध होगा। शीतयुद्ध काल के बाद कई पीढ़ियां गुजर गईं, इसलिए परमाणु युद्ध को एक बिसरी हुई कहानी माना जाने लगा था। लेकिन अब इसकी तैयारी के लिए मानवता को जगाने का समय आ गया है।

कल्पना करें कि परमाणु बम गिरने ही वाला है
मिसाइल लॉन्च कर दी गई है। जब इसकी ठोस-ईंधन वाली रॉकेट मोटर सक्रिय हो जाएगी, तो वारहेड वापस पृथ्वी की ओर गिरने लगेगा। और जमीन से कुछ मील ऊपर यह फट जाएगा। इसकी प्लूटोनियम कोर और आसपास की सामग्री इस तरह से एक साथ जुड़ी हुई है कि यह एक मिली सेकंड के भीतर आयनित गैस और फिर विद्युत चुंबकीय तरंगों में बदल जाएगी। एक चमकदार सफेद रोशनी आकाश को मीलों तक ढक लेगी। जो भी इसे देखेगा, वह कुछ देर के लिए अंधा हो जाएगा। 10 हजार टन टीएनटी विस्फोटक फट गया हो, ऐसी गर्जना से नीचे की जमीन हिल जाती है। एक विशाल आग का गोला तेजी से फैलने लगता है। और यह सब इतनी जल्दी से होता है, जैसे एक साथ ही सब कुछ हो रहा हो। एकदम से तापमान लाखों डिग्री तक पहुंच जाता है, जो सूर्य की सतह से भी अधिक गर्म होता है। लकड़ी, प्लास्टिक, तेल इत्यादि ज्वलनशील चीजें आग को भड़काती हैं और जानवर आग की लपटों से घिर जाते हैं। फिर कुछ ही सेकंडों में वे राख में तब्दील हो जाते हैं। गैसें और गिरे हुए बिजली के तार इस नर्क को मीलों तक भड़काने का काम करते हैं। आग का तूफान इतनी अधिक ऑक्सीजन की खपत करता है कि इससे कारों या घरों के अंदर छिपे लोगों का दम घुट सकता है।

फिर एक शॉक वेव आती है। भरपूर गड़गड़ाहट के साथ एक ऊर्जा, जो हर दिशा में फैल जाती है और सुपरसोनिक की गति से दौड़ती है। इमारतें, पेड़ और अन्य सभी चीजें टूटने लगती हैं और एक-दूसरे पर चढ़ने लगती हैं। वस्तुएं, इमारतें, पेड़, जानवर और इंसान सब जल चुके हैं। डामर, स्टील, मिट्टी, कांच, मांस और हड्डियों का मलबा उड़कर मीलों तक फैले मशरूम की आकृति के बादलों, जो जमीन से लेकर आसमान तक व्याप्त है, में समा गया है। जमीन से आकाश तक फैला बादलों का तूफान एक जीवित वस्तु की तरह प्रतीत होता है। इसका रंग आकाश में तब तक सफेद से पीला, लाल से काला होता रहता है, जब तक यह सूर्य को ढक न ले।

चारों तरफ अंधेरा छा गया है। कानों में घंटियां बज रही हैं। धुएं और मलबे से हवा घनी हो चुकी है। जो लोग बच गए हैं, उन पर रेडिएशन का असर उल्टी और दस्त के दौरों के रूप में होता है। जो लोग स्वस्थ दिख रहे हैं, वे कुछ दिन बाद एनीमिया से पीड़ित और कमजोर हो सकते हैं। उनके बाल झड़ सकते हैं, आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है या फिर प्रतिरक्षा प्रणाली विफल हो सकती है। गर्भवती महिलाओं के गर्भों पर असर पड़ सकता है और पारिस्थितिकी तंत्र को पहुंचा नुकसान वर्षों तक बना रह सकता है।

वर्ष 2022 का एक वैज्ञानिक अध्ययन बताता है कि अगर हिरोशिमा में गिराए गए बम के आकार के 100 बम, जो अनुमानित वैश्विक परमाणु शस्त्रागार के एक फीसदी से भी कम हैं, शहरों में गिराए जाते हैं, तो करीब तीन करोड़ लोग तो तुरंत मर सकते हैं और करीब 26 करोड़ लोग दो वर्षों के भीतर भूख से मर सकते हैं।

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