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भ्रष्टाचारियों पर मेहरबान है पूरी व्यवस्था

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मुनेश त्यागी

         हमारे देश की अधिकांश जनता भ्रष्टाचार से परेशान है। अधिकांश सरकारी और प्राइवेट विभाग भ्रष्टाचार के गर्त में डूब गए हैं। इस भ्रष्टाचार से निकलने का जनता को कोई सुराग नहीं मिल रहा है। वह इधर-उधर मारी मारी फिर रही है। बस सरकारी विभागों और सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा लुटने पिटने को मजबूर है। पूरी सरकारी व्यवस्था और मशीनरी इन भ्रष्टाचारियों पर मेहरबान है। अधिकांश सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार को साधन बना कर अपना घर भर रहे हैं और तमाम मानवाधिकारों को पैरों तले रौंद रहे हैं। उन्हें जनता के दुख दर्द से कुछ लेना देना नहीं है। यह तथ्य केंद्रीय सतर्कता आयोग की फिलहाल की रिपोर्ट से सत्य साबित हो रहा है।

     केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट 2022 तक के आंकड़ों में बताया है कि  केंद्रीय जांच ब्यूरो की तरफ से भ्रष्टाचार से जुड़े जितने मामलों की जांच की जा रही है उनमें 6,841 मुकदमे विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। उसने यह भी बताया है कि 313 मामले 20 वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं।

     सीवी रिपोर्ट के मुताबिक कुल मामलों में से 2,039 ऐसे हैं जो 10 साल से 20 साल तक की अवधि से लंबित है। 2,324 मामलों की कोर्ट में लंबित होने की अवधि 5 से 10 साल के बीच है। 842 मामले 3 से 5 साल के बीच अवधि से लंबित है। और 1,323 मामले 3 साल की कम अवधि से लंबित हैं।

    12,448 अपीलें उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित हैं। इनमें 417 मामलें ऐसे हैं जो 20 सालों में भी ज्यादा समय से लंबित हैं।  2022 तक 692 मामले ऐसे थे जिनमें सीबीआई जांच पूरी नहीं हो पाई है। आमतौर से सीबीआई को मामला दर्ज होने के एक साल के भीतर जांच पूरी कर लेनी चाहिए।

       यहीं पर सबसे प्रमुख सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों के लिए कौन जिम्मेदार है? इन मामलों के लटकने के लिए ज्यादा काम, जांच में होने वाली देरी, पर्याप्त मानव संसाधनों  का ना होना और समय से जवाब नहीं मिलना और गवाहों का दूर दराज जगह पर होना बताया गया है। 

     भ्रष्टाचार के मुकदमों के समय से न निपटने के लिए सबसे मुख्य कारण है कि पर्याप्त संख्या में न्यायालयों का न होना, मुकदमों के अनुसार न्यायिक अधिकारी, प्रशिक्षित विशेषज्ञों का न होना और प्रशिक्षित स्टाफ का ना होना शामिल हैं और एक निश्चित समय सीमा के अंदर मुकदमों के निपटारे का प्रावधान न होना है।

     यहीं पर सबसे मुख्य सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के मुद्दों को समय से न निपटाना और भ्रष्टाचारियों को समय से सजा न देने के लिए सरकारी व्यवस्था पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। आखिर क्या कारण है कि इन भ्रष्टाचार के इतने लंबे समय से लंबित होने का समय से निपटारा नहीं किया जा रहा है? इसका मुख्य कारण है की सरकार के पास इन मुकदमों को निपटने का कोई रोड मैप नहीं है। सरकार लगातार एक औपचारिकता पूरी कर रही है। वह जनता को दिखा रही है कि देखिए हम भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, उनके खिलाफ मुकदमे कर रहे हैं।

      उपरोक्त परिस्थितियों को देखकर यही कहा जा सकता है कि सरकार भ्रष्टाचारियों को सजा देने का सिर्फ नाटक और दिखावा कर रही है। इन भ्रष्टाचारियों को समय से सजा देने की सरकार की कोई मंशा नहीं है क्योंकि मुकदमों के अनुपात में न्यायालय नहीं है, न्यायालय में विशेषज्ञ अधिकारी वकील और प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है जिस वजह से मामले दस दस बीस बीस साल से लंबित चले जा रहे हैं।

       भ्रष्टाचारियों को समय से सजा न देने के परिणाम, भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता को भुगतने पड़ रहे हैं। इन भ्रष्टाचारियों को समय से सजा न मिल पाने के कारण भ्रष्टाचारियों की हौसले बुलंद हो गए हैं। अब वे और मनमानी तरीकों से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। सरकार के अधिकांश विभागों में भ्रष्टाचार अपने चरम पर कायम है। इन भ्रष्टाचारियों को पता है कि उनके खिलाफ समय से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, सरकार ने इसमें ढील दे रखी है इसलिए वे मनमानी तरीके से भ्रष्टाचार के मामलों को अंजाम देते हैं।

      यहीं पर भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा और मुख्य कारण है कि हमारी वर्तमान व्यवस्था पूर्ण रूप से पूंजीवादी सामंती साम्राज्यवादी सांप्रदायिक ताकतों के गठजोड़ पर आधारित है। इस गठजोड ने भ्रष्टाचार के मामलों को निपटने के मार्ग में तरह-तरह की रुकावटें पैदा कड़ी कर दी हैं जिस वजह से भ्रष्टाचारियों को समय से सजा नहीं मिल पा रही है। यह पूरी पूंजीवादी व्यवस्था किसानों मजदूरों और आम जनता के शोषण, अन्याय और भ्रष्टाचार पर आधारित है। इसलिए इस लुटेरी व्यवस्था के रहते, भ्रष्टाचार रूपी महामारी से निजात नहीं पाई जा सकती है।

      उपरोक्त परिस्थितियों से स्पष्ट है की वर्तमान व्यवस्था भ्रष्टाचारियों को समय से सजा नहीं दे सकती और पीड़ितों को न्याय नहीं दे सकती। इस लुटेरी और भ्रष्ट पूंजीवादी, सामंती और सांप्रदायिक गठजोड़ पर आधारित व्यवस्था को मिटाऐ बिना और इसका पूर्ण रूप से खात्मा किये बिना जनता भ्रष्टाचार की इस महामारी से निजात नहीं पा सकती। जनता को इस आदमखोर भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने के लिए किसानों मजदूरों की सरकार और सत्ता कायम करनी होगी और इसके स्थान पर सबको न्याय देने वाली समाजवादी व्यवस्था कायम करनी होगी।

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