Site icon अग्नि आलोक

ट्रांसजेंडर समाज की समस्याओं को उठाने का काम एनसीएचआरओ के सिल्वर जुबली कार्यक्रम मे किया गया

Share

एड. आराधना भार्गव
एनसीएचआरओ देश में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर काम करते हुए 25 वर्ष की लम्बी यात्रा तय कर चुका है तथा सिल्वर जुबली का उत्सव गोवा में आयोजित किया गया। जिसमें एनसीएचआरओ ने तय किया है कि वह ट्रांसजेंडर समाज की समस्याओं को देश के सामने लायेगा तथा उनके मानव अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा। सिल्वर जुबली कार्यक्रम के दौरान पूरा एक सत्र ट्रांसजेंडर के नाम समर्पित किया गया। मंच पर सभी ट्रांसजेंडर बहनों को बिठाया गया जो भारत के भिन्न भिन्न राज्यों से आई हुई थी सिल्वर जुबली कार्यक्रम के पहले मैं खुद भी ट्रांसजेंडर की क्या समस्या है परिवार, समाज और राज्य उनके साथ कैसा व्यवहार करता है नही समझती थी। जब ट्रांसजेडर बहनों ने मंच पर अपनी समस्याओं को सांझा किया तब समझ में आया की सदियों से यह समाज किस तरीके की दर्द और पीड़ा से गुजर रहा है। सम्मेलन के दौरान बहनों ने बताया कि ट्रांसजेडर समाज से लोग डरते है समाज उन्हें स्वीकारता नही है परिवार भी उन्हें समझता नही है, हमारी सरकार भी उनकी तरफ ध्यान नही देती। ट्रांसजेंडर के लिए कुछ कानून तो सरकार ने बनाये हैं पर वे कानून पैसा कानून की तरह ही जमीन पर दिखाई नही देते।
बहन जरीन ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरा बचपन बहुत बुरा गुजरा है। मुझे कपड़े लड़कियों के पसन्द थे तथा मेकप करना अच्छा लगता था पर मेरे परिवार के लोगों को यह पसन्द नही था, मेरी माँ को रिश्तेदार बहुत परेशान करते थे। घर के आस पास रहने वाले मेरे परिवार को ताना देते थे कि तुम्हारे बच्चे के कारण उनके बच्चे बिगड़ जायेंगे, तो मुझे लगा कि मेरे कारण मेरा परिवार पड़ोसियों के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है, अगर मैं अपने परिवार को छोड़कर चली जाँऊ तो मेरा परिवार इस प्रताड़ना से बच सकता है और मैं घर से निकल गई तब से आज तक स्टेशन ही मेरा घर है स्टेशन की जिन्दगी कितनी कष्टप्रद होगी इस बात का अन्दाज आप लोग लगा सकते है। बहन जोया ने बताया कि मैं मडगांव में रहती हूँ, हम तीन भाई बहन थे, बड़े भाई की शादी हो गई छोटा भाई विकलांग था जिसकी मौत हो गई, मुझे लड़कियों जैसे रहना पसन्द था इस पर मेरे पिता ने मुझे बहुत मारा, आॅपरेशन कराने के बाद मैं वापस गोवा आ गई और मेरा ठिकाना रेल्वे स्टेशन हो गया, लोग मुझसे सेक्स चहाते थे जो मुझे पसन्द नही था। एक सेक्स वर्कर ने मुझे अपने घर में शरण दी। मेरा एक्सीडेण्ट हो गया मेरे पास कोई नही आया। मेरा मालिक बहुत अच्छा था उसने मेरी माँ को मेरे एक्सीडेण्ट की खबर दी मेरी माँ मुझे देखने अस्पताल आई और कहा कि मैं उनका बेटा हूँ और अपने साथ घर ले गई, मेरे पिता ने मुझे बहुत मारा, परिवार भी हमें स्वीकार नही करता, सम्पत्ति में भी हमें कोई हक नही मिलता, स्कूल में भी हमें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है, शिक्षक तथा विद्यार्थी हमारा मजाक उड़ाते हैं इस कारण मजबूर होकर हमें स्कूल भी छोड़ना पड़ता है। बहन जूली ने कहा की मैं राजस्थान की रहने वाली हूँ, घर की प्रताड़ना से प्रताड़ित होकर मैने अपना घर छोड़ दिया, वर्तमान में मडगांव (गोवा) में रहती हूँ मुझे लड़के सेक्स करने के लिए बाध्य करते हैं। जब मैं अपनों की प्रताड़ता से प्रताड़ित होकर अपना राज्य राजस्थान छोड़कर गोवा आई तो मुझे कोई मकान किराये पर देने को तैयार नही था, और आज भी कोई मुझे मकान किराये पर नही देता। होटल में जाने पर हमें होटल मालिक ना तो बैठने देता है ना खाना देता। बहन संध्या ने बताया कि मै दिल्ली से हूँ, 10 साल पहले घर की प्रताड़ना के कारण अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुई अभी गोवा घूमने आई हूँ। मेने होटल में काम करने की कोशिश की क्योंकि हमें काम करना अच्छा लगता है हम लोग भीख मांगना पसन्द नही करते कोई तो हमारी मजबूरी को समझे होटल में साथ में काम करने वाले लोग हिलमिल कर नही रहते तथा कुछ दिन में ही हमें काम से निकाल दिया जाता है। हमारा परिवार, और हमरा समाज ट्रांसजेंडर परिवार ही है हमें सिर्फ हमारा समाज अपनाता है और हम आपस में एक दूसरे के सुख दुख को बांटते हुए प्रेम से रहते हैं। बहन हिना ने बताया कि हमारे साथ किस किस तरह की हिंसा होती है पर हमें समझने वाला समाज अभी तैयार नही है हिना से कहा कि मैं गोवा से हूँ, गोवा में देश विदेश के पर्यटक आते है एक पर्यटक की सोने की चैन किसी ने चुरा कर भाग गया और हमारी ट्रांसजेडर बहन वहाँ खड़ी थी वह पकड़ी गई उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया, उसकी बात को सुनने तथा उस पर विश्वास करने वाला कोई नही था, 6 महने तक जेल के सींखचों के अन्दर बन्द रही, छूटने के पश्चात् उसने अपनी व्यथा हमें बताई। हिना ने कहा कि ट्रेन, बस, आटों में हमारे साथ कोई बैठना पसन्द नही करता। अस्पताल में हमारा इलाज नही होता, हम लोगों के पास कोई रोजगार नही है, रहने के लिए मकान तक नही है नौकरी नही है इस कारण हम लोग भीख मांगने पर मजबूर हैं, अन्दर का समाज हमें स्वीकारता नही है। हिना ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि हमारे जिन्दा रहते समाज हमें नही स्वीकारता, परन्तु मरने के बाद भी शमसान घाट में भी हमारा अन्तिम संस्कार नही करने दिया जाता। उन्होंने कहा कि मुझे सबसे बड़ी खुशी तब हुई जब मेरा वोटर कार्ड तथा आधार कार्ड बना, वोटर कार्ड पर ट्रांसजेडर लिखा हुआ है।
मैंने कुछ ट्रांसजेडर बहनों की आपबीती आप लोगों के समझ रखी। हमारा समाज चींटि, बिल्ली, पशु पक्षी, हर जानवर की पूजा करता है यहाँ तक की वह साँप जिसके डसने से आदमी की मौत हो जाती है उसकी भी पूजा नागपंचमी के दिन करता है, किन्तु देखिये ट्रांसजेंडर के प्रति समाज में कितनी नफरत पैदा की गई है और धार्मिंक ग्रंथ इस नफरत को फैलाने में अहम भूमिका निभाते है। महाभारत में मैने ट्रांसजेडर के बारे में हुए भेद भाव को स्पष्ट तौर पर देखा है। भारत का संविधान शौषण के विरूद्ध अधिकार प्रदान करता है। अनुच्छेद 23 मानव के दुव्र्यवहार पर रोक लगाता है आइये हम सब मिलकर भारत के संविधान का पालन करते हुए ट्रांसजेंडर समाज को उनके सभी मौलिक अधिकार दिलाने के लिए सामने आये ताकि ट्रांसजेडर समाज भी इस भारत में अपनी गरिमा के अनुकूल अपना जीवन यापन कर सकें, अपने अपने जिलों एवं राज्य में हम उनका संगठन बनाये तथा जो अधिकार हमें मिले है उन अधिकारों को दिलाने में उनकी मदद् करें। तभी सही मायनों में यह माना जायेगा की हमने भारत के संविधान को अंगीकृत अध्यनियमित और आत्माप्रित किया है।
एड. आराधना भार्गव
प्रदेश उपाध्यक्ष एनसीएचआरओ

Exit mobile version