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दुनिया हमेशा से पुरुषों की रही, लेकिन मूलत: दोषी स्त्रियां 

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           ~ बबिता यादव 

शहरी मध्यवर्ग/उच्चवर्ग की लड़कियाँ अपने से कम कमाने वाले या कम सफल लड़कों से विवाह नहीं करतीं।

      अपनी मर्ज़ी के विवाहों में भी लड़कियाँ वही दिखावा और पैसे की बर्बादी करवाती हैं, दान-दहेज चाहती हैं।

     चर्चित SDM साहिबा वाले प्रसंग में स्त्री ने जो किया उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता है।

 दुनिया हमेशा से पुरुषों की रही। सफलता के बाद पढ़ाई, सुंदरता, स्तर आदि के कारण पहली पत्नी/पार्टनर को उन्होंने ही छोड़ा है। अब जब स्त्री ऐसा कर रही तो उनको चुभेगा।

      कायदे से देखें तो जो पुरुष ने किया उसी तरह से स्त्री के द्वारा करने से कोई बदला नहीं पूरा होगा। गलत तब गलत रहा तो अब कैसे सही होगा? लेकिन दुनिया में जब स्त्री साधनहीन थी तो भी वही सहे और जब वह साधन संपन्न है तो भी वही सहे? विवाह क्यों टूटते हैं? 

    यह समझना कोई रॉकेट साइंस तो नहीं। क्या अहसान मान कर साहचर्य ज़ारी रखा जा सकता है? किसी का दाम्पत्य क्यों टूट रहा है इसपर वायरल पोस्ट्स बना कर कुछ नहीं होता।

    सफलता के करण टूटा या कोई और बात यह तो वही दोनों जाने। शादी से बाहर आने की एक कानूनी प्रक्रिया है। उसमें कुछ गलत नहीं। छोड़ दिया जाना हमेशा व्यक्तिगत ईमानदारी का सवाल होता है। स्त्री छोड़ रही इसलिए व्याप्क सामाजिक प्रश्न बन रहा है।

अब दूसरी बात :

   लड़कियों को संपत्ति में बराबर हिस्सा दे दीजिए, शिक्षा भी बराबरी से दिलवाइए और उनकी इस माँग और विवाह के नाज़ो-नखरे मना कर दीजिए। लेकिन नहीं पूरा समाज उनको पापा की प्रिंसेज बनाता है।

      बस उसी में उसको कठोर पितृसत्तात्मक संरचना से नहीं टकराना है।इसीलिए जो हो रहा है उसका रोना छोड़िए। आप भी बदलना नहीं चाहते।

     पहला मुद्दा खास है। स्त्री स्वयं या अभिभावकों के द्वारा कहने पर भी अपने से कमतर लड़के से विवाह में हिचकती है। पर इसका उत्तर आसान है। क्या लड़कों की लंबाई, कमाई और पढ़ाई अपनी पार्टनर से ज्यादा हो इस मानसिक बनावट से समाज नहीं चलता? क्या सिर्फ लड़कियाँ ऐसा मानती हैं? आप किसी सफल स्त्री के कम सफल या असफल पति को देख कोई कमेंट या अचरज नहीं करते? 

       जब विवाह का आधार ही एसेट्स का बंटवारा और भविष्य की संतति को उसे पास करना है तो फिर मोहब्बत, आदर, कदर जैसे भाव आप स्त्रियों से ही क्यों अपेक्षित करते हैं?

हद है हिप्पोक्रेसी की।

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