दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्रियों के चेक इन लगेज से चोरी करने वाले आठ लोडरों को एयरपोर्ट पुलिस ने हाल में गिरफ्तार किया। इनसे लाखों का चोरी का सामान बरामद हुआ। हवाई यात्रा के दौरान लगेज बैग से सामान की चोरी आम समस्या है।इससे हर यात्री को कभी न कभी रूबरू होना पड़ता है।
अशोक मधुप
दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्रियों के चेक इन लगेज से चोरी करने वाले आठ लोडरों को एयरपोर्ट पुलिस ने हाल में गिरफ्तार किया। इनसे लाखों रूपये का चोरी का सामान बरामद हुआ।हवाई अड़डों पर यात्रियों के लगेज बैग से सामान चोरी होना आम समस्या है।इस चोरी का यात्रियों को रास्ते में पता नही चलता।पता अपने घर पहुंचने पर चलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
फ्लाइट में सामान दो तरह से ले जाया जाता है।लैपटाप बैग,केबिन बैग और लेडीस पर्स प्लेन में साथ ले जाया जाता है। केबिन बैग का वजन छह −सात किलो तक होना चाहिए।लैपटाप बैग,केबिन बैग और महिला पर्स में कीमती सामान होता है। केबिन बैग में पहनने के एक− दो जोड़ी कपड़े इसलिए होते हैं कि कई बार लगेज बैग उनके साथ फ्लाइट से नही जा पाते।वह बाद में पहुंचता है। ऐसे में परेशानी से बचने के लिए यात्री अपने साथ केबिन बैग में कुछ पहनने के कपड़े भी ले जाते हैं।
ज्यादा सामान के बैग एयरलाइंस लगेज में ले जाते हैं। इंटरनेशनल फ्लाइट में लगेज बैग पर ताला लगाना मना है।क्योंकि एयरलाइन्स स्टाफ इनकी जांच करता है। प्लेन की सुरक्षा की दृष्टि से आपत्तिजनक सामान निकाल देता है।इनमें ज्यादा कीमती सामान नही होता। किंतु नए कपड़े , जूते, जीन्स , जैकेट,सैंट , बाडी स्प्रे आदि का इनमें से चोरी हो जाना आम बात है। होता यह है कि एयर लांइस के ग्राउंड स्टाफ को पता होता है कि कहां सीसी कैमरे नही लगे। इसी जगह पर प्लेन में सामान रखते या निकालते मौका देखकर कुछ शातिर लोडर जल्दी में जो हाथ लगता है,वह निकाल लेता है। यात्री को गंतव्य पर पहुंच कर सामान लेकर एयरपोर्ट से बाहर निकलने की जल्दी होती है, इसलिए यात्री यहां बैग नही देखता। बैग देखता है घर पंहुच कर आराम करने के बाद । तब उसे चोरी का पता चलता है।
लगभग 16 साल पहले बड़ा बेटा अमेरिका गया। वह अपने पहनने के लिए नया लेदर का जूता और कुछ बाड़ी स्प्रे ले गया। अमेरिका पहुंचने पर जब उसने बैग खोले तो लेदर शू और स्प्रे लगेग बैग से गायब मिले।हमें तीन बार अमेरिका,एक बार दुबई,श्रीलंका और नेपाल जाने का अवसर मिला। हम ये चौकसी रखते की जूता एक बैग में न रखें। दाए पांव का जूता एक बैग में रखते बांए का दूसरे में । क्योकि चोर जूते का पूरा सैट चुराता है,एक नहीं ।कपड़े भी काफी नीचे दबाकर ले जाते किंतु जैकेट , जींस आदि बैग से निकल जाती रहीं।
अमेरिका से पहली बार लौटते हुए एयरपोर्ट का महिला स्टाफ पत्नी निर्मल को जांच के लिए अलग कक्ष में ले गया। कुछ देर बाद निर्मल आ गईं। बोली इन्हें कुछ शक था। तलाशी ली। कुछ नही मिला। किंतु भारत पहुंच कर देखा तो उनके पर्स के अंदर रखे छोटे पर्स की चेन खुली थी। इसमें हमारे रास्ते में जरूरत के लिए कुछ डालर थे। चैंकिंग करने वालों ने निर्मल को तलाशी में लगाकर मौका पाकर ये डालर निकल लिए।
इस प्रकार की चोरी आम बात है।अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाने वालों को इससे दो चार होना ही पड़ता है। पर इन चोरियों का पता गंतव्य पर पंहुचने के भी काफी बाद चलता है,इसलिए शिकायत नही होंती।शिकायत नही होतीं तो एयरपार्ट ओथर्टी को इसका पता नही चलता।इसलिए ये रूकती भी नहीं।
दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर चोरी दूसरी तरह की हुई,इसलिए पकड़ में आ गईं। यहां सामान लोड करने वाले पकड़े गए स्टाफ ने बैग से छोटी −मोटी चोरी शुरू की। पता न चलने पर वह केबिन बैग के कीमती सामान पर चैंकिंग के दौरान हाथ साफ करने लगे।
यात्री केबिन बैग,लैपटाप, महिला पर्स को चैकिंग के लिए देने के बाद अपनी जांच कराते हैं।अपनी जांच के बाद अंदर जाने पर वह सामान लेते हैं।यहां चैंकिग करने वाले और हैल्पर सब बहुत बिजी होते हैं,ऐसे में कोई शातिर ही ऐसा कर सकता है। दूसरे यात्री भी यहां अपने सामान पर नजर रखते हैं।इसलिए चोरी होने पर शोर मचाना और शिकायत होना आम बात है। घटनांए बढ़ने पर चौकसी बढ़ी और चोरी के माल समेत आठ लोडर पकड़े गए। पकड़े गए आठ आरोपी लोडरों के पास से सोने की चूड़ी, लाकेट, अंगूठी, टाप्स, चेन चांदी की चूड़ी, बिछिया, एक एप्पल आइ फोन, एप्पल घड़ी, नौ यूएस डालर, पांच आइपौड, दो पर्स सहित अन्य सामान बरामद हुए। यह एयर पोर्ट पर तैनात थे, किंतु इन्हें ये पता नही था कि आईफोन,एप्पल घड़ी, आई पौड के स्पेसिफिक नंबर होते हैं, ये अपनी लोकेशन बताते रहतें है और उन्हें सरलता से पकड़वा सकते हैं।हालाकि सब ही एकसे नही होते।ये तो पकड़े गए पकड़े वे भी पकड़े जाने चाहिए तो प्लेन से सामान उतारते या सामान चढ़ाते बैग से सामान निकाल लेते है। ये चोरी भारत में ही नही पूरी दुनिया में होतीं हैं,हालाकि सब ही बुरे नही होते। इस बार अमेरिका से लौटने पर दिल्ली एयरपोर्ट पर हमारे व्हील चैयर वाले ने हमारे देने के बावजूद टिप नही ली। मैंने उसे मुट्ठी में लिया पांच सौ का नोट दिखाया भी किंतु वह मनाकर चैयर लेकर वापस हो गया।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)