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जनता को सत्ता परिवर्तन के अभियान में शामिल करने की जरूरत

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मुनेश त्यागी

     भारत की जनता को मोदी सरकार से बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ है और अब तो जनतंत्र और बोलने लिखने की आजादी पर खुलकर हमले हो रहे हैं। सरकार से असहमति रखने वालों की आवाज दबाई जा रही है, कलम पर लगाम लगाने की मुहिम जारी है, पत्रकारों को आतंकवादी बता कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है और इंडिया गठबंधन बनने के बाद, जाति जनगणना शुरू होने के बाद और दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में 12 लाख से ज्यादा आदमी आदमियों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर सरकार बदहवास हो गई है। वह जनता की एकजुटता से घबराती जा रही है।

    भाजपा ने पिछले नो सालों से सांप्रदायिक और कारपोरेट गठजोड़ को मजबूत करते हुए, जनता पर तानाशाहीपूर्ण हमले बढ़ा दिए हैं। संविधान, जनवाद और गणतंत्र को खतरे में डाल दिया है।अब धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर भी हमले किए जा रहे हैं। मोदी सरकार आर एस एस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को तेज गति से आगे बढ़ा रही है, उदारवादी नीतियों को अबाध गति से आगे बढ़ा रही है। आर एस एस का एजेंडा भारतीय संविधान, कानून के शासन, जनतंत्र, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की विचारधारा के ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंचा रहा है।

     इन नो सालों में की अवधि में किसानों, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों और महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ा है, उनको आधुनिक गुलाम बनाने की सारी कोशिशें जारी हैं। उनके जनवादी अधिकारों पर हमले हुए हैं, मध्यम मध्यम वर्ग और छोटे और मझोले उद्योग धंधों की दुर्दशा हो गई है, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं, लाखों उद्योग धंधे ठप हो गए हैं। आज हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभरी है और यह देश के ताने-बाने को बहुत बड़ा खतरा बन गयी है। आज हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़कर, मुसलमान के खिलाफ नफरत फैलाकर ध्रुवीकरण बढ़ाकर, नफरत का अभियान जारी है। यहां पर सबसे मुख्य और अहम सवाल उठता है कि इसको रोकने के लिए क्या हो और हम क्या करें?

     इस जनविरोधी और देशविरोधी निजाम का मुकाबला करने के लिए, धर्मनिरपेक्षता के लिए सतत और समझौताविहीन संघर्ष करने से ही काम चलेगा। इसके लिए सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और ताकतों को एक साथ लेना होगा और सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए अवसरवादी रवैइया छोड़ना पड़ेगा और हम इस देश की, समाज की, प्रदेश की, सारी जनवादी धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रगतिशील और वामपंथी ताकतों को जोड़कर, एकजुट करके, “भाईचारे की मुहिम” को मुख्य अभियान बनाना पड़ेगा और इसमें जनता के बुनियादी मुद्दों को रखना पड़ेगा और हिंदू मुस्लिम के बीच बढ़ती खाई को रोकना पड़ेगा और खत्म करना पड़ेगा। भाईचारा मंच बनाकर काम करने का और हिंदू मुस्लिम एकता को मजबूत और पुख्ता करने का आज का सबसे जरूरी काम है।

      आगामी दिनों में भाजपा को अलग-थलग करना होगा, उसकी नफरत भरी मुहिम को हराना होगा और जनता को साझी संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब की हकीकत और तथ्यों से अवगत कराना होगा। हमारे इतिहास में हिंदू मुसलमान नायक नायिकाओं के हीरे मोती भरे पड़े हैं, हमें उन्हीं को निकाल कर जनता के बीच ले जाना होगा और उसकी साझी संस्कृति को और उसके ज्ञान को मजबूत करना होगा ताकि वह सांप्रदायिक ताकतों द्वारा नफरत भरी मुहिम को जान सके और तैयार होकर उसका माकूल जवाब दे सके।

    सरकारी संपत्तियों, सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों और खनिजों की बड़े पैमाने पर निजीकरण की मुहिम को रोकना होगा और जनविरोधी और देश विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करना होगा। किसान संघर्ष की तर्ज पर, किसान और मजदूरों का मिला-जुला और साझा अभियान शुरू करना होगा जिसमें छात्रों, नौजवानों, एससी एसटी और ओबीसी के लोगों को शामिल करना होगा और कारपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के शासन के खिलाफ सभी जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी ताकतों को एकजुट करना होगा।

   जनहित के समान मुद्दों पर सभी जनतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को संसद और संसद के बाहर एकजुट करना होगा और औद्योगिक घरानों और हिंत्ववादी साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई की सफलता के लिए, इन दोनों के खिलाफ, एक राष्ट्रीय मोर्चा बनाना और भाईचारा मंच बनाना ही समय की सबसे बड़ी मांग है। संसद और संसद कि बाहर सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और ताकतों को एक मंच पर लाकर ही इस जनविरोधी निजाम को मात दी जा सकती है, इसे सत्ता से हटाया जा सकता है।

     तमाम वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक और गहन लामबंदी करके, एक संयुक्त मोर्चा बनाकर, एक सर्वमान्य “कॉमन मिनिमम प्रोग्राम” के तहत, दमनात्मक कानूनों, उदारवाद के हमलों और लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ, लुटेरे शासक वर्ग के हमलों के खिलाफ, मैदान-ए-जंग में उतरना पड़ेगा। किसानों, मजदूरों, नौजवानों, विद्यार्थियों, महिलाओं, बुद्धिजीवियों, मीडिया कर्मियों, लेखकों और कवियों समेत, वर्गीय और तमाम संगठनों की सांझी और एकजुट  कार्यवाहियों को अमल में लाना होगा।

    इसकी पहल वामपंथी ताकतों को करनी होगी क्योंकि उनके पास जनमुक्ति की देशव्यापी नीतियां हैं, कार्यक्रम हैं और लड़ने की क्षमता है और माद्दा है और वे ही पिछले 31 साल से सरकार की जनविरोधी और देशविरोधी  ,,,उदारवादी, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों से लगातार लड़ते आ रहे हैं। उन्हें इस संयुक्त संघर्ष की कार्यवाही को नेतृत्व प्रदान करना होगा। आज मौका है, इसे वे गंवाने की जुर्रत नहीं कर सकते। 

    जनमुक्ति मंत्र से हमारा मतलब है कि जनता को शोषण, अन्याय, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और मुफलिसी से निजात दिलाना, उन्हें रोजगार देना, उन्हें सस्ते और मुफ्त इलाज और मुफ्त और आधुनिक शिक्षा की सुविधाएं प्रदान करना और इन सब से उन्हें निजात दिलाना। सामान्य अर्थों में जीवन के आवागमन, स्वर्ग नरक या मोक्ष जैसी मान्यताओं से हमारा कोई लेना देना नहीं है।

    वर्तमान कारपोरेट संप्रदायिक गठजोड़ की सरकारों और सत्ता को मात देने के लिए निम्नलिखित मुक्ति-मांगपत्र जनता के सामने रखना होगा और जनता को संयुक्त संघर्ष के मैदान में लाना होगा, पूरी जनता को इन मांगों के आधार पर एकजुट करना होगा। हमें इन मांगों को लेकर जनता के यानी किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के बीच जाना होगा और उसे इस लुटेरे निजाम के खिलाफ, जनता के जनवाद, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी व्यवस्था की स्थापना करने के अभियान में लगाना होगा और उसे इस जनमुक्ति के कार्यक्रम के इर्द-गिर्द एकजुट करना होगा। जनता की जनमुक्ति का मांगपत्र इस प्रकार होगा,,,,,

1. देश की सारी जनता को आधुनिक, अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा दी जाए,

2. देश की सारी जनता को मुफ्त और आधुनिक इलाज की सुविधाएं मुहैया कराई जाएं,

3. सभी नौजवानों को रोजगार मुहैया कराये जाएं और बेरोजगारों को ₹12000 महीना बेरोजगारी भत्ता दिलाया जाए, 

4. जनहित में उद्योग धंधों का जाल बिछाया जाए और देश का पर्याप्त औद्योगिकरण किया जाए,

5. देश की सार्वजनिक संपत्ति पूंजीपतियों यानी धन्ना सेठों और उद्योगपतियों को कोडी के दाम बेचने पर रोक लगाई जाए, 

6. पूरे देश में भूमि सुधार लागू किए जाएं और सीलिंग से फालतू जमीन को गरीबों और खेतिहर मजदूरों में बांटा जाए,

7. देश के साठ बरस से ऊपर सभी बुजुर्गों,,, स्त्री पुरुष को ₹6000 मासिक पेंशन दी जाए और और  20,000 रु प्रतिवर्ष ब्याज पाने वाले बुजुर्गों की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाए,

8.  किसानों की फसलों के वाजिब दाम दिए जाएं और एमएसपी पर खरीद की गारंटी की जाए, 

9. पूरे देश में धर्मनिरपेक्षता पर आधारित समाज की स्थापना की जाए और अंधविश्वासी, धर्मांध और कपोल कल्पित और पाखंडपूर्ण आचार विचार पर रोक लगाकर, जनता में वैज्ञानिक संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जाए,

10. कमरतोड़ महंगाई पर अविराम रोक लगाई जाए, पेट्रोल, डीजल और गैस के बढ़े हुए दाम तुरंत वापस लिए जाएं और जनता को राहत प्रदान की जाए,

11. मझोले और छोटे उद्योग धंधों का विकास किया जाए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके और उनकी आमदनी बढायी जा सके,

12. किसान मजदूरों की सरकार कायम की जाए ताकि पूंजीवादी लूट खसोट का खात्मा करके आम जनता का विकास किया जा सके,

13. देश के प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग बंद किया जाए और इनका प्रयोग देश की सारी जनता के विकास के लिए किया जाए,

14. वर्तमान लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था को बदल कर इसके स्थान पर जनता की जनवादी और क्रांतिकारी समाजवादी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना का अभिमान चलाया जाए और किसानों, मजदूरों, नौजवानों और सारी जनता को इसके इर्द-गिर्द  लामबंद यानी एकजुट किया जाए,

15.  कई कई वर्षों से खाली पड़े हुए सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों के खाली पदों को तुरंत भरा जाए ताकि शासन प्रशासन में होने वाली परेशानियों से जनता को राहत मिल सके और उसके काम समय से हो सके और बेरोजगारों को काम मिल सके, 

16. समाज में आकंठ और सर्वव्यापी भ्रष्टाचार पर और कानून की खामियों पर रोक लगाकर जनता को सस्ता और सुलभ न्याय दिलाया जाए और एक भ्रष्टाचार रहित समाज का निर्माण किया जाए, और

17.पूरे भारतवर्ष के तमाम मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिया जाए, नियुक्ति पत्र दिये जाएं, वेतन पर्चियां दी जाएं और श्रम कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और कानून का उल्लंघन करने वाले पूंजीपतियों और सेवायोजकों को, पैसे वालों को और धन्ना सेठों को, कठोर से कठोर दंड दिया जाए,

18. पूरे प्रदेश और देश में चल रहे मुसलमान विरोधी नफरत को रोकने के लिए और हिंदू मुसलमान एकता बनाए रखने के लिए, देश प्रदेश जिला गांव और मोहल्ला स्तर पर “भाईचारा मंच” का निर्माण करके, लोगों को मिली-जुली संस्कृति के बारे में बताया जाए और सांप्रदायिक नफरत की मुहिम का डटकर मुकाबला किया जाए और इन देश विरोधी और समाज विरोधी व मानवता विरोधी ताकतों को परास्त किया जाए।

19. पूरे देश में जाति के आधार पर जनगणना कराकर, इस देश के समस्त वंचितों, शोषितों, पीड़ितों ओबीसी, एससी, एसटी और तमाम गरीब लोगों को उनकी संख्या के आधार पर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा प्रदान की जाए,

20. देश के तमाम बुजुर्गों को रेल और सड़क परिवहन की मुफ्त सेवाएं उपलब्ध कराई जाए,

21. देश के समस्त गरीबों को इसमें किसान और मजदूर दोनों शामिल हैं, मुफ्त बिजली मोहिया कराई जाए,

22. हमारे देश में एक अनुमान के अनुसार इस समय लगभग दस करोड़ से ज्यादा मुकदमें अदालतों तों में लंबित है, जनता को एक समय सीमा के अंदर सस्ता और सुलभ न्याय दिलाया जाये और वादकारियों को सस्ता और सुलभ न्याय देने करने के लिए मुकदमों के अनुपात में न्यायाधीश, स्टेनो, कर्मचारीगण नियुक्त किए जाएं और मुकदमों के अनुपात में अदालतों का नव निर्माण किया जाए।

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