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 जबरन धर्म परिवर्तन, लव जिहाद, प्रताड़ना, हत्या जैसे मामलों को सिर्फ अपराध की दृष्टि से देखने की जरुरत 

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नवीन कुमार पाण्डेय

क्या भारत में मुसलमानों के एक वर्ग की तरफ से हिंदुओं समेत अन्य गैर-मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अलग-अलग तरीके से नफरत भरी गतिविधियां चल रही हैं? क्या गैर-मुस्लिम, खासकर हिंदू लड़कियों पर एक विशेष संप्रदाय की गंदी नजर है? क्या पिछले कुछ वर्षों से हिंदू लड़कियों की हत्याओं के पीछे जिहाद प्रेरित मुसलमानों का हाथ है? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या कुछ मुसलमान रणनीति के तहत गैर-मुस्लिम लड़कियों को झूठे प्यार के जाल में फांसकर उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं, उनका धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं और उनकी बर्बर हत्या कर रहे हैं? क्या इन अमानवीय गतिविधियों को पूरी तरह सोच-समझकर, एक अभियान की तरह अंजाम दिया जा रहा है? सोशल मीडिया पर ये सवाल जोर-शोर से उठाए जा रहे हैं। एक वर्ग का कहना है कि मुसलमानों के एक वर्ग में जिहाद की समस्या काफी गंभीर रूप अख्तियार कर चुकी है जिसका खामियाजा निर्दोष लड़कियां और उनके परिजन उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इन धर्म प्रेरित अपराधों से समाज में नफरत का माहौल बढ़ रहा है। अगर ऐसी घृणित सोच और अमानवीय गतिविधियों पर जल्द से जल्द लगाम नहीं लगा तो मुसलमानों के प्रति संदेह की भावना बढ़ेगी जिसका असर सामाजिक और राष्ट्रीय एकता पर पड़ेगा।

हालांकि, ऐसा कहने वालों का जबर्दस्त विरोध भी हो रहा। जबरन धर्म परिवर्तन, लव जिहाद, प्रताड़ना, हत्या जैसे मामलों को सिर्फ और सिर्फ अपराध की दृष्टि से देखने की वकालत करने वाला वर्ग, ऐसी घटनाओं को धार्मिक रंग देने की प्रवृत्ति को खतरा बताता है। उसका कहना है कि अपराध, अपराध होता है, वो चाहे हिंदू करे या मुसलमान, औरत करे या मर्द। इस वर्ग का कहना है कि अपराधी को सिर्फ अपराधी की दृष्टि से देखा जाना चाहिए, अपराधी का धर्म ढूंढना गलत है। यह सही भी है। लेकिन क्या ऐसा कहने वाले लोग, सच में हमेशा इसी नीति का पालन करते हैं? मतलब, क्या अगर अपराधी हिंदू और पीड़ित मुसलमान हो तो भी वो घटना को अपराध के रूप में ही देखते हैं, उसमें धर्म का एंगल नहीं निकालते? बहरहाल, इन बातों पर बहस होती रहेगी, पहले यह जान लें कि आखिर मुसलमानों में गैर-मुस्लिमों के प्रति नफरत और जिहाद की भावना से प्रेरित होने के दावे क्यों किया जा रहे हैं।

आफताब की हैवानियत से देश सन्न
आइए पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर नजर डालें। मुंबई की दलित हिंदू लड़की श्रद्धा वाकर की दिल्ली में हत्या और शव को 35 टुकड़ों में काटने की घटना उजागर होने के बाद से पूरा देश सन्न है। श्रद्धा ने अपने परिवार को त्याग कर आफताब अमीन पूनावाला के साथ लिव इन में रह रही थी। आफताब मुस्लिम है, इसलिए श्रद्धा के पिता ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया था। श्रद्धा सच्चे प्यार में थी, इसलिए उसने परिवार को त्याग दिया। उसके सच्चे प्यार का एक और सबूत देख लीजिए- उसने पिता को तो त्याग दिया, लेकिन जब आफताब उससे मारपीट करने लगा तो वो उसे नहीं छोड़ सकी। लेकिन आफताब क्या कर रहा था? अब तक के खुलासों से यही लगता है कि आफताब को श्रद्धा से रत्ती भर प्यार नहीं था।

आखिर श्रद्धा दो साल से उसके साथ लिव इन में रह रही थी, घर-वार छोड़ दिया था, परिजनों छूट गए थे, तो उसे रिश्ते को नाम देने की चिंता होना तो स्वाभाविक थी। वह आफताब से शादी करने को कहती और बदले में उसकी पिटाई हो जाती। 18 मई को तो आफताब ने उसकी हत्या ही कर दी। इतना ही नहीं, उस हैवान ने श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े कर दिए। फ्रिज में श्रद्धा के शव के टुकड़े पड़े थे और आफताब दूसरी लड़कियों को लेकर रंगरेलियां मना रहा था। क्या कोई प्रेमी, अपनी प्रेमिका की लाश घर में रखकर दूसरी लड़कियों को बुला सकता है? इसीलिए सवाल उठता है कि अगर आफताब को श्रद्धा से प्यार नहीं था, तो फिर दो-ढाई साल से वह श्रद्धा के साथ क्या कर रहा था? श्रद्धा के घरवालों का दावा है कि आफताब जिहादी है और उसने लव जिहाद के लिए श्रद्धा की बलि ले ली। हैरानी की बात है कि आफताब खुद को महिलाओं और एलजीबीटीक्यू के रूप में पहचाने जाने वाले लोगों के अधिकारों के झंडेबरदार के रूप में पेश करता है। उसने सोशल मीडिया पोस्ट में खुद की छवि पर्यावरण कार्यकर्ता की भी गढ़ी।

लखनऊ में सूफियान के प्रेम में गई निधि की जान
अब बात आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की। राजधानी लखनऊ के दुबग्गा इलाके में 19 वर्षीय हिंदू लड़की निधि गुप्ता की चौथी मंजिल से गिरकर मौत हो गई। परिजनों का दावा है कि निधि को मुस्लिम लड़के सूफियान ने चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया। उनका कहना है कि निधि और सूफियान के बीच प्रेम संबंध थे। जब उन्हें (निधि के परिजनों) को इस बात का पता चला तो वो सूफियान के घर पहुंचे। निधि भी वहीं थी।

पिता रवि गुप्ता के मुताबिक, ‘सूफियान ने निधि को एक मोबाइल दिया था। सूफियान उसका ब्रेन वॉश कर रहा था। वो बेटी को इस्लाम अपनाने के लिए बरगला रहा था। हमने सूफियान के घर पर शिकायत की, मगर उसके परिवार ने कुछ भी सुनने से इनाकर कर दिया। विवाद भी हुआ। इसी बीच निधि छत पर चली गई। उसके पीछे सूफियान भी भागता हुआ गया था। इसके बाद हमें चीख सुनाई दी। हम लोग भागते हुए ऊपर छत पर पहुंचे। वहां सूफियान अकेला था। वह हमें धक्का देकर भाग गया। छत से नीचे झांकने पर हमें खून से लहूलुहान निधि जमीन पर तड़पती हुई दिखी। हम नीचे भागते हुए पहुंचे। निधि को अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।’

निधि की मां लक्ष्मी गुप्ता ने कहा, ‘सूफियान निधि पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता था। इनकार करने पर सूफियान ने उसे छत से फेंक दिया। इन लोगों ने मेरी बेटी छीन ली। निधि अपनी नानी के घर कुछ दिन पहले गई थी। वापस आने के बाद वो सूफियान से मिलती नहीं थी। सूफियान से बातचीत भी नहीं कर रही थी। इसी बात को लेकर सूफियान गुस्से में था। वो हम लोगों से झगड़ा करता और जान से मारने की धमकी भी देता था। पहले भी दोनों परिवार के लोगों के बीच कहासुनी हो चुकी थी। मामला थाने तक पहुंचा था। उस वक्त पुलिस ने सूफियान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।’

हजारीबाग में हिंदू लड़की को घर से उठा ले गए मुस्लिम युवक
झारखंड के हजारीबाग में एक हिंदू महिला ने पुलिस से शिकायत की कि दो मुस्लिम लड़कों ने उसकी नाबालिग लड़की का अपहरण कर लिया। लड़की की मां का आरोप है कि उसकी बेटी पर जबरन इस्लाम अपनाकर मुस्लिम लड़के से निकाह करने का दबाव बनाया जा रहा है। हिंदू महिला ने पुलिस को दी गई तहरीर में शाहिद अंसारी, अरबाज अंसारी और मुस्लिम अंजुमन कमेटी को नामजद किया है। महिला ने कहा कि छह महीने पहले आरोपियों ने उसकी बेटी को अगवा करने की धमकी दी थी। महिला ने कहा, ‘शाहिद अंसारी 4 नवंबर को अपने दोस्तों के साथ आया और हमको डराने-धमकाने लगा। अरबाज और शाहिद अंसारी जबरन हमारी बेटी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले गए।’ केरेडारी थाना पुलिस ने 14 नवंबर को लड़की को बरामद कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

सिख बनकर नूर मोहम्मद ने कर ली शादी, फिर..
देश की राजधानी दिल्ली के पटेल नगर में एक मुसलमान के खुद को सिख बताकर शादी करने का मामला सामने आया है। पिंकी नाम की पीड़िता का दावा है कि उसका पति शादी से पहले अपनी पहचान गुरप्रीत बताया था। दोनों की जान-पहचान फेसबुक पर हुई था। वहां से प्यार का सिलसिला चला और 2016 में दोनों ने झंडेवालान मंदिर में शादी कर ली। दो महीने बाद जब पिंकी ससुराल गई तो वहां नूर मोहम्मद उससे दूर रहने लगा। ससुराल वालों ने पिंकी से कहा कि कोर्ट मैरिज करने के बाद उसका पति साथ रहने लगेगा। पिंकी का आरोप है कि ससुराल वालों ने कोर्ट में उसे मुस्लिम महिला के तौर पर पेश किया और दोनों का निकाह करवा दिया। पिंकी का नाम आलिया हो गया। उसे इस बात की भनक भी नहीं लगी। जब पिंकी को एक बच्चा हो गया तब जाकर उसे पहली बार पता चला कि उसका पति मुसलमान है जिसका नाम नूर मोहम्मद है। पिंकी के पिता ने उससे पूछा भी अब वो क्या चाहती है तो पिंकी ने कहा कि अब वो मां बन चुकी है, इसलिए अब शांति से रिश्ता निभाना ही बेहतर होगा। लेकिन जब पति नूर मोहम्मद ने बेवजह उसकी पिटाई शुरू कर दी, उसके परिजन भी प्रताड़ित करने लगे तब उसने धोखेबाजी और अत्याचारों के खिलाफ खुलकर खड़े होने का मन बनाया। अब पिंकी के पिता का आरोप है कि नूर मोहम्मद ने धोखे से उनकी बेटी को फंसाया क्योंकि उसका धर्म परिवर्तन करवाना था। पिंकी ने बताया कि शादी के वक्त उसका पति सरदार बनकर आया था और बारात में शामिल लोग भी खुद को सरदारों की तरह पेश कर रहे थे। अब पिंकी ने नूर मोहम्मद से रिश्ता तोड़ने का फैसला कर लिया है।

ऑटो में छेड़छाड़ करने लगा अकबर हामीद, छात्रा ने लगाई छलांग
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 17 वर्ष की छात्रा ट्यूशन पढ़कर घौर लौटने के लिए ऑटो रिक्शा लिया। ऑटो ड्राइवर सैयद अकबर हामीद ने थोड़ी देर बाद लड़की के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया। छात्रा को लगा कि वो फंस गई तो उसने ऑटो से छलांग लगा दी। तेज भागते ऑटो से गिरने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं। उसे राहगीरों ने अस्पताल पहुंचाया जहां उसका इलाज चल रहा है। क्रांति चौक पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी को छानकर आरोपी तक पहुंच गई। आरोपी अकबर हामीद पर पॉक्सो ऐक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

होटल में हिंदू लड़की का रेप करने की कोशिश, फिर धक्का दिया
मध्य प्रदेश के सीहोर में मुस्लिम युवक सोहेल ने एक हिंदू लड़की को धमकाकर होटल में बुलाया और उसके साथ जबरन संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था। कुछ लोगों को इसकी भनक लग गई। उन्होंने होटल को घेर लिया। जब सोहेल को पता चला तो उसने लड़की को दूसरी मंजिल से ही धक्का दे दिया। लड़की ने पुलिस को बताया कि सोहेल पहले भी उसके साथ गलत हरकत कर चुका है। चार-पांच महीने पहले उसने युवती के घर में उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद से वह युवती को ब्लैकमेल कर रहा था। उस दिन भी उसने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ही लड़की को होटल बुलाया था।

शिशु गृह में हिंदू बच्चों को मुसलमान बना दिया!
मध्य प्रदेश के ही रायसेन में एक शिशु गृह संचालक हसीन परवेज ने तीन नाबालिगों का नाम बदल दिया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रायसेन के गोहरगंज कस्बे में स्थित इस शिशु गृह का दौरा किया था। वहां उन्हें पता चला कि संचालक हसीन परवेज ने तीन बच्चों के आधार कार्ड मुस्लिम नाम से बनवा दिए जबकि उसके माता-पिता हिंदू थे।

ये घटनाएं बीते कुछ दिनों की है। करीब-करीब हर दिन देश के किस-न-किसी हिस्से से मुसलमानों या मुस्लिम संगठनों की तरफ से कोई-न-कोई ऐसे अपराध सामने आते हैं जिन पर समाज के एक वर्ग धर्म प्रेरित होने का आरोप लगाता रहता है। कई बार कुछ मामलों में आगे चलकर ट्विस्ट भी आते हैं और उसमें धार्मिक एंगल नहीं निकलता और एक सामान्य अपराध सा मालूम पड़ता है। इसी तरह, छानबीन में कभी-कभार सामने आता है कि आरोप ही गलत थे। वहां हिंदू-मुस्लिम की कोई बात नहीं थी, मामला आपसी झगड़े का था जिसे धार्मिक एंगल देने का प्रयास किया गया। संभव है कि ऊपर जिन घटनाओं का उदाहरण दिया गया है, उनमें भी कोई मामला छानबीन के बाद अलग मोड़ ले ले। आखिर इन घटनाओं में अभी मुस्लिम समुदाय के अलग-अलग लोगों पर आरोप ही लगे हैं, उनकी पुष्टि नहीं हो गई है। संभव है कि कुछ आरोप गलत साबित हों। लेकिन बीते कुछ वर्षों में कई हिंदू लड़कियों की मुस्लिम लड़कों के हाथों हत्याएं हुई हैं, यह भी एक तथ्य है। उसके उलट मुस्लिम लड़कियों का हिंदू लड़कों द्वारा हत्या के मामले लगभग नगण्य हैं। इसलिए एक वर्ग दावा करता है कि हिंदू लड़कियों की हत्याएं लव जिहाद के कारण हो रहा है जिसका चलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि कुछ बीजेपी शासित सरकारों ने अपने यहां लव जिहाद विरोधी कानून भी बनाए हैं। लेकिन ध्यान रहे कि कई मामलों में लड़कियों ने अदालत के सामने माना है कि मुस्लिम लड़के ने उस पर कोई दबाव नहीं बनाया बल्कि उसने खुद ही धर्म परिवर्तन करके निकाह करने का फैसला किया। श्रद्धा वाकर भी अपने पिता से नाता तोड़कर आफताब के साथ रह रही थी।

क्या सभी मामले जिहाद के ही?

सवाल यह नहीं है कि कथित लव जिहाद के कितने मामले सही पाए जाते हैं और कितने झूठ। सवाल यह है कि आखिर एक धर्म के लोगों पर ही ऐसे आरोप लगातार क्यों लग रहे हैं? क्या प्यार सिर्फ हिंदू लड़कियों और मुस्लिम लड़कियों में ही होता है? मुस्लिम लड़कियों को भी तो हिंदू लड़कों से प्यार हो सकते हैं ना? होते भी हैं। लेकिन ऐसे कई मामलों में सामने आ चुका है कि कैसे मुस्लिम लड़कियों के घर वालों ने हिंदू लड़कों की हत्या कर दी या उसे डराया-धमकाया, उसके परिजनों को प्रताड़ित किया या फिर अपनी ही बच्ची को खत्म कर दिया। ये सब तो बाद की बात है। सवाल तो यह है कि हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के के बीच प्यार और मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के के बीच प्यार का अनुपात क्या है? कितनी खबरें आती हैं कि मुस्लिम लड़की ने हिंदू लड़के से प्यार किया और उसपर धर्म परिवर्तन का दबाव बना या उसकी हत्या हो गई? अगर ऐसी एकाध घटना हो भी जाए तो अपवाद को रिवाज नहीं माना जा सकता है। इसके उलट जब करीब-करीब हर दिन एक या एक से अधिक मामले आने लगें तो उसे रिवाज कहेंगे, अपवाद नहीं। तब उसे सामान्य अपराध कहने की जगह धर्म प्रेरित अपराध होने का संदेह पैदा होगा।

बेवजह धार्मिक रंग दिया जा रहा है या सच में चल रहा है जिहादी अभियान?

समाज के उस वर्ग की शिकायत भी एक हद तक सही है कि अपराधी का धर्म देखना सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने जैसा है। लेकिन इस डर से कि हकीकत को सामने लाने पर समाज बंट सकता है, इससे समस्या का स्थाई समाधान होगा, यह संदेहास्पद है। जब किसी समाज में कोई गंभीर खामी पैदा हो गई है तो उसे जड़ से मिटाने पर ही स्थायी शांति की उम्मीद की जा सकती है। आखिर गलतियों पर पर्दा डालते रहने से गलतियां ठीक तो नहीं हो जातीं। अगर कोई समाज किसी ना किसी रूप में गंभीर रूप से बीमार होने का संकेत दे रहा है तो उसका इलाज करना उस समाज के प्रगतिशील समूह के साथ-साथ पूरे देश की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है। ध्यान रहे कि बीमारी का इलाज बीमारी से नहीं हो सकता। पहले तो अलग-अलग पैमानों पर परखते हुए तय करना होगा कि क्या किसी समाज पर लग रहे आरोपों का सच में कोई आधार है? अगर सभी मानदंडों पर बीमारी की पुष्टि हो जाए तो उसका इलाज भी जरूर होना चाहिए, वरना कहते हैं ना- एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। वक्त है कि लव जिहाद जैसे मामलों पर समाज में शांति से गंभीर चर्चा हो ताकि सकारात्मक परिणाम सुनिश्चित हो सके।

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