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माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर बंद होने से पूरी दुनिया के देशों में अफरा-तफरी

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सनत जैन

माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर शुक्रवार को कुछ देर बंद रहा। पूरी दुनिया के देशों में अफरा-तफरी मच गई। 1 घंटे के अंदर ही माइक्रोसॉफ्ट की सिक्योरिटी कंपनी क्राउड स्ट्राइक को 73000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। शेयर बाजार मैं कंपनी के शेयर में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई। देखते ही देखते कंपनी के 73000 करोड़ रुपए शेयर बाजार में डूब गए। एयरपोर्ट, रेल, बैंक, शेयर बाजार में मची अफरा-तफरी के कारण बैंकों, शेयर बाजार, कारोबारी कंपनियों तथा अन्य कंपनियों को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। यात्रियों को काफी कष्ट उठाना पड़ा। बैंक के ग्राहक भी कई घंटों तक परेशान होते रहे। सिक्योरिटी कंपनी क्राउड स्ट्राइक के 30000 से अधिक ग्राहक हैं। क्राउड स्ट्राइक कंपनी 30000 से अधिक कंपनियों को साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराती थी। जैसे ही माइक्रोसॉफ्ट का सॉफ्टवेयर बंद हुआ। उसके बाद सारी दुनिया में हाहाकार मच गया था। यूरोपीय देशों में इसका सबसे ज्यादा असर हुआ। भारत में नुकसान हुआ लेकिन यह नुकसान यूरोपीय देशों की तुलना में कम था। क्योंकि यूरोपीय देशों की तरह भारत अभी पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं हुआ है। इसलिए बहुत हद तक बचा रहा। यूरोपीय देशों में सब कुछ ऑनलाइन था, जिसके कारण यात्रियों, बैंक के ग्राहकों और शेयर बाजार के निवेशकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। क्राउड स्ट्राइक कंपनी और उससे जुड़ी हुई अन्य कंपनियों के यदि नुकसान को देखा जाए तो यह लाखों करोड़ों रुपए में पहुंच जाता है। यह आर्थिक नुकसान की बात हुई। 15 घंटे तक सारी दुनिया के देशों मे ऑनलाइन सर्विस के कारण ऑनलाइन सेवा नहीं दे पाए। उसके कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। माइक्रोसॉफ्ट का डिजिटल और ऑनलाइन कारोबार में एकाधिकार है। अपरोक्ष रूप से हार्डवेयर पर भी माइक्रोसॉफ्ट का एकाधिकार है। माइक्रोसॉफ्ट के सॉफ्टवेयर चुनिंदा हार्डवेयर पर ही संचालित होते हैं। इस एकाधिकार के कारण और कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से, ऐसा लगा कि जैसे सारी दुनिया ठहर गई है। थोड़ी सी लापरवाही कितना बड़ा नुकसान कर सकती है, इसका सबसे बड़ा प्रमाण सर्वर क्रैश हो जाना है। जैसे-जैसे सारी दुनिया तकनीकी के सहारे आगे बढ़ रही है। सारे काम डिजिटल प्रोग्रामिंग से संचालित हो रहे हैं। यदि 1 घंटे के लिए इंटरनेट बंद हो जाए। जिस तरह से माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर बंद हुआ है। माइक्रोसॉफ्ट की तकनीकी से जुड़े हुए कंपनियों के लाखों सर्वर एकाएक बंद हो गए। सेवाओं से जुड़े हुए लोगों को सेवा मिलना बंद हो गई। जिस तरह से अब ए-आई तकनीकी आ गई है। सारे काम सॉफ्टवेयर की प्रोग्रामिंग से संचालित हो रहे हैं। अब जगह-जगह रोबोट भी इंटरनेट और डिजिटल तकनीकी से जुड़कर काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है। हमारे जीवन में जिस तरह से तकनीकी का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। मानवीय चूक का अब कोई कारण नहीं है। अब जो भी चूक हो रही है। वह सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग, तकनीकी तथा संचार माध्यमों के कारण हो रही है। जिन पर कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं है। तकनीकी अथवा संचार की गड़बड़ी से कभी भी कहीं पर भी कोई भी बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। पिछले दो दशक में सुरक्षा, कारोबार, घर, व्यापारिक स्थलों के कामों में डिजिटल तकनीकी और संचार माध्यमों पर आश्रित होकर रह गए हैं। अब मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट के जरिए एक स्थान से सारी दुनिया में कंट्रोल कर रहे हैं। जब कंट्रोल ही नहीं कर पाएंगे, तब क्या स्थिति होगी। इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती है। क्राउड स्ट्राइक साइबर सिक्योरिटी कंपनी जब अपनी ही रक्षा नहीं कर पाई। वह उससे जुड़ी हुई 30000 कंपनियों के सर्वर और सॉफ्टवेयर की क्या सुरक्षा कर पाएगी। इसे आसानी से समझा जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में एकाधिकार बना लिया है। यदि उसके प्रोग्राम कहीं क्रश होते हैं, तो इसका कितना बड़ा नुकसान सारी दुनिया को हो सकता है। इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। शुक्रवार की एक घटना ने सारी दुनिया को एक तरह से चेतावनी दे दी है। तकनीकी के ऊपर आश्रित होकर मानवीय विकास एवं मानव क्षमता का सही उपयोग नहीं किया गया, तो कभी भी विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। भारत जैसे देश में जिस तरह से यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान, अधिकतम सेवायें ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरवर में रखा हुआ डाटा यदि हैक हो जाता है। साइबर ठग उसका दुरुपयोग कर ठगी करते हैं। पिछले वर्षों में भारत जैसे देश में हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए की ठगी होने लगी है। तकनीकी कारणों से यदि डाटा तक पहुंच नहीं हो पाती है। डाटा हैक हो जाता है। डाटा को प्रोग्रामिंग के द्वारा बदल दिया जाता है। तो कितना बड़ा नुकसान हो सकता है, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। भारत जैसे देश के पास इंटरनेट के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दुनिया के कई देशों ने इंटरनेट के साथ-साथ इंटरानेट पर भी काम करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपना संचार माध्यम विकसित किया है। जिस पर उनका स्वयं का कंट्रोल है। राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने अलग व्यवस्था बना रखी है। जिन देशों के पास इंटरानेट आधारित संचार नेटवर्क है। उन्होंने डाटा को कई स्तर पर स्टोर करके रखा हुआ है। उन देशों के पास एक अच्छा विकल्प होने के कारण ज्यादा नुकसान नहीं होगा। दुनिया के वह देश जो केवल माइक्रोसॉफ्ट और इंटरनेट पर आधारित होकर रह गए हैं। वह कभी भी तकनीकी की इस दौड़ में डूब सकते हैं। लाखों करोड़ों रुपए का नुकसान कुछ ही घंटे में तकनीकी के कारण हो सकता है। जान-माल का नुकसान बड़े पैमाने पर हो सकता है। जिसकी कल्पना संभव नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में जो गड़बड़ी आई। प्रोग्रामिंग के जरिए मशीनों के द्वारा मशीनों को चलाने की जो नई तकनीकी विकसित हुई है। आगे चलकर उसके दुष्परिणाम बड़े भयानक हो सकते हैं। समय रहते भारत सहित दुनिया के सभी देशों को विकल्प के बारे में ध्यान देना होगा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन सेवाओं को अलग-अलग तरीके से अलग-अलग प्रोग्रामिंग के जरिए नियंत्रण करने की व्यवस्था बनानी होगी। तकनीकी में एकाधिकार से भी बचना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भगवान ही मालिक है।

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